असली जंगल की सफारी का रोमांच है केन्या में….
आप यदि वन्यजीवों को करीब से देखने के शौकीन हैं तो केन्या इसके लिए सबसे उपयुक्त है। केन्या में आप वन्य जीवों को करीब से उनके घर में जाकर देखने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति, बेहद खूबसूरत समुद्र तट, रोमांच और शान से ठहरने के स्थानों का आनंद एक साथ ले सकते हैं। घने जंगलों के बीच बने किसी होटल में एक बार रुक गए तो इन स्वर्णिम पलों को जीवन भर याद रखेंगे।
पर्यटन के लिहाज से समृद्ध
राजधानी नैरोबी के खूबसूरत जेकेआईए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही हमें यह अहसास होने लगा कि पिछड़ा देश होने के बावजूद केन्या पर्यटन के लिहाज से काफी समृद्ध है। एयरपोर्ट पर केन्या एयरवेज और केन्या के पर्यटन विभाग के लोग हमें मदद के लिए तैयार मिले। चूंकि केन्या में हमारा छह दिन का टूर प्लान पहले से ही तय था अतः एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही केन्या वाइल्ड लाइफ ट्रेवल्स लिमिटेड की दो सफारी टोयटा वैन तैयार थीं।
भारत से हम आठ लोगों के समूह में आए थे और दोनों सफारी वैनों में यहां से चार-चार के ग्रुप में बंट गए। यहां से हमें नैरोबी होते हुए माउंट केन्या सफारी क्लब जाना था। मृदुभाषी ड्राइवर जूलियस हमारा गाइड था, वह अंग्रेजी धारा प्रवाह बोलता था। उसने बताया कि वैन में वायरलेस रेडियो है।
नैरोबी शहरः तीस लाख की आबादी वाला नैरोबी किसी विकसित देश की राजधानी जैसा ही दिखता है। नैरोबी के कुछ इलाके तो दिल्ली से भी काफी ज्यादा खूबसूरत और विकसित हैं। भारतीयों विशेषकर गुजरातियों की संख्या यहां अच्छी-खासी है। लिहाजा यहां के सिनेमाहालों में आपको नई हिंदी फिल्में भी देखने को मिल जाएंगी। होटलों में भारतीय खाना और भारतीय मिठाइयां भी मिल जाएंगी। नैरोबी शहर के बीच में बने विशालकाय और खूबसूरत सरोवा होटल के डायरेक्टर-आपरेशन्स दिलीप पुरी भारतीय हैं। यहां के मुख्य शेफ दिल्ली के खुशमिजाज युवा सिख शैलेन्द्र सिंह हैं।
शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि केन्याई भारतीय खाना पसंद करते हैं और केन्याई पाककला की कई विधियां हमारी भारतीय शैली से मिलती-जुलती हैं। शैलेन्द्र बताते हैं यहां भारतीयों के प्रति सम्मान का भाव रहता है। भारत की तरह ही यहां के लोगों में भी देर रात तक खाना और घूमना चलता है। नैरोबी में ही मांसाहारी लोगों का पसंदीदा सुप्रसिद्घ कारनिवोरस रेस्तरां है। यहां पर मांसाहारी खाना बनाने और परोसने की अपनी विशिष्ट शैली है। दुनियाभर में लोग यहां जिराफ से लेकर घड़ियाल तक का स्वाद चखने आते हैं। नैरोबी में ही दो स्वामीनारायण मंदिर भी हैं और यहां की एक सड़क का नामकरण भी मंदिर के नाम पर ही है। नैरोबी की रातें भी खासी तड़क-भड़क वाली रहती हैं।
माउंट केन्या सफारी क्लब
नैरोबी से करीब चार घंटे के सफर के बाद हम माउंट केन्या सफारी क्लब पहुंचे। जूलियस से केन्या के बारे में जानकारी लेते और केन्या के ग्रामीण और छोटे शहरों को उत्सुकता से देखते हुए रास्ता कब बीत गया, पता ही नहीं चला। नानयूकी शहर के करीब घने जंगलों में स्थित राजसी ठाट-बांट वाला माउंट केन्या सफारी क्लब पर्यटन के लिहाज से केन्या की खूबसूरत जगहों में से एक है। केन्या का लानरो होटल समूह इसका संचालन करता है। करीब 45 एकड़ क्षेत्र में फैले इस क्लब में 223 लोगों के लिए शानदार कॉटेज और सूईट है। क्लब के खूबसूरत लॉन से माउंट केन्या की बर्फीली चोटी को आप एकटक निहारते रह जाएंगे।
होटल का स्विमिंग पूल आपको पानी में उतरने के लिए प्रेरित कर देगा। क्लब पहुंचते ही हमारा स्वागत बेहद जोशीले तरीके से अफ्रीका के पारंपरिक लोक नर्तकों की एक छोटी से टोली ने किया। बेहद भव्य माउंट केन्या सफारी क्लब की एक खास विशेषता यह है कि यह पृथ्वी को दो हिस्सों में बांटने वाली भूमध्य रेखा (इक्वेटर) पर बना हुआ है। क्लब में जंगली जानवरों का एक छोटा सा आश्रय स्थल भी है। इस आश्रय स्थल में बीमार और लावारिस मिले जंगली जानवरों की परवरिश की जाती है। इनमें कुछ चीतें भी है। यही पर भूरी और काली धारियों वाले एक विशेष संकर प्रजाति के जेब्रा की जोड़ी है। जेब्रा और खच्चर से जन्मे अपनी तरह के अजूबे यह जेब्रा पूरी दुनिया में सिर्फ यहीं पर है। क्लब में विशिष्ट अंदाज में आयोजित होने वाले डिनर का अपना अलग ही आनंद है। डिनर के बाद जब आप बाहर निकलेंगे तो खुले आसमान में तेज चमकते तारों को देख कर आपका मन अपने कमरे में जाने का नहीं करेगा। रात यहां बिताने के बाद सुबह हम लोग केन्या के दूसरे पर्यटन स्थल साबा के लिए रवाना हो गए।
साबा
करीब तीन घंटे के सफर के बाद हम साबा के जंगलों में पहुंचे। गेम ड्राइव यानि जंगल की सैर के लिए साबा केन्या के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक है। सोंबुरु नेशनल रिजर्व के नाम से प्रसिद्ध इस क्षेत्र में बफेलो स्प्रिंग पार्क और सोंबुरू साबा नाम से दो नेशनल पार्क है। यहां पर हमें घने जंगलों के बीच एक नदी के किनारे बने सरोवा साबा लॉज में दो रातें बितानी थी। कॉटेज के रूप में बने इस लॉज में एक खूबसूरत रेस्तरां बांस के ऊपर बना हुआ है। लॉज के रूम एक छोटी नदी के किनारे-किनारे बने हुए है। दोपहर में यहां पहुंचने के बाद हम शाम को गेम ड्राइव के अपने पहले सफर पर निकल गए। प्रसिद्ध बफेलो स्प्रिंग पार्क में प्रवेश करते ही हम जानवरों की निराली दुनिया में पहुंच गए। अकेशिया वृक्षों के जंगलों में कच्ची सड़क के किनारे ही हमें सबसे पहले काले हिरनों का समूह दिखाई दिया। इसके बाद के नजारों पर तो मानो हमें अपनी आंखों पर ही विश्वास नहीं हो रहा था। कहीं जेब्रा के समूह थे तो कहीं हिरनों के झुंड के झुंड। अफ्रीका में पाई जाने वाली चार हजार खूबसूरत पक्षियों की तमाम किस्में भी यहां दिखाई दी। थोड़ा और अंदर जाने पर एक मैदान सा आते ही हमने जो सामने देखा उसे हमारी आंखे जैसे खुली ही रह गई। करीब ही हिरनों के एक झुंड पर दो चीते घात लगाए बैठे थे। भारत में चीते अब नहीं है और यहां चीतों को देख कर हम सब बेहद रोमांचित थे। चीते भी बिलकुल बेफिक्र थे और हिरनों के शिकार के लिए रणनीति बना रहे थे। छोटे हिरनों डिग-डिग और विशालकाय बैंगो व जिराफों के करीब से गुजरते हुए अंधेरा होते ही हम लौट आए। अगली सुबह सरोवा साबा लॉज ने बुश ब्रेकफास्ट यानि पेड़ों और झाड़ियों के झुरमुट के बीच नाश्ते का प्रबंध किया था।
ब्रेकफास्ट के बाद हम फिर जंगल में निकल गए। इस बार हम अफ्रीकी हाथियों के ठिकानों की ओर गए। हमारी किस्मत अच्छी थी और एक नदी के किनारे हमें हाथियों की एक पूरी फौज दिखाई दे गई। हाथियों के इस झुंड से हम चार-छह गज के फासले तक पहुंच गए। उस समय रोमांच में हमारा डर काफूर हो चुका था। हम बिलकुल करीब से हाथियों की तस्वीरें उतारते रहे। हाथियों के ठिकाने से निकलने के बाद हम करीब ही सोंबुरु नेशनल रिजर्व गए। अफ्रीका की शान कहे जाने वाले बब्बर शेरों के लिए यह जगह प्रसिद्ध है। शेरों को जंगल में देख पाना आसान नहीं होता है लेकिन जूलियस ने अपने अनुभव के आधार पर झाड़ियों के बीच से ले जाते हुए सीधे आराम फरमा रहे एक शेर के पास ले जाकर हमें अचंभित सा कर दिया। हमारी वैन से सिर्फ दस-बारह फुट की दूरी पर मौजूद जंगल के इस राजा को हमारी मौजूदगी से कोई फर्क नहीं पड़ा और उसने सिर उठा कर हमारी तरफ देखना तक गंवारा नहीं समझा। यहां से निकलने के बाद हम केन्याई सेना के एक जवान को साथ लेकर प्रसिद्ध अंग्रेजी फिल्म सरवाइवर के शूटिंग स्थल को देखने गए। घने जंगलों में इस स्थल पर जून से जुलाई के बीच तीन महीने सरवाइवर की शूटिंग काफी विपरीत परिस्थितियों में की गई थी। साबा में ही हम आदिवासियों के एक गांव में भी गए। आदिवासियों ने हमें अपनी परंपरागत जीवन शैली से परिचित कराया। रात लॉज में बिताने के बाद हम अपने अगले पड़ाव स्वीट वाटर टेंट की ओर रवाना हो गए।
स्वीट वाटर टेंट
साबा से नानयूकी और नारूमोरू शहरों को पार करते हुए हम स्वीट वाटर टेंट पहुंचे। निजी रूप से विकसित करीब 22 हजार एकड़ में फैले गेम रिजर्व के बीच में लानरो होटल समूह ने 30 टेंट बनाए है। चेन से बंद किए जाने वाले इन टेंटों में सारी सुविधाएं हैं। स्वीट वाटर टेंट परिसर में पहुंचते ही हमारे चैंकने की बारी थी। यहां चारों ओर जंगली जानवरों के समूह चहल-कदमी कर रहे थे। यहां की यह खास विशेषता भी है। अन्य जगहों पर आप जानवरों को देखने उनके घर जाते है तो यहां वे स्वयं आपके पास आएंगे। यहां अपने टेंट में बैठे-बैठे जंगली जानवरों के समूह को आते-जाते देख सकते है। टेंट से एक निश्चित दूरी पर छोटी सी खाई बनाकर टेंटों को चारों ओर से बिजली प्रवाहित तारों से घेर दिया गया है। तारों के दूसरी तरफ मीठे पानी के छोटे-छोटे स्त्रोत है। पानी के लिए ही यहां जानवर खिंचे चले आते है। इन जानवरों के आने का भी एक अनुशासन है। एक बार जिराफों का एक समूह आएगा। इनके जाने के बाद जेब्रा समूह पानी पीने के लिए आ जाए और उनके जाते ही काले हिरणों या जंगली भैंसों या सुअरों का समूह लाइन लगाकर पानी पीने आ जाए।
नाइट सफारी और ऊंटों पर जंगल की सैर भी यहां से की जा सकती है। जंगली भैंसे भी यहां काफी संख्या में है। यहां रास्ते में पड़ने वाली छोटी-छोटी नदियों में घड़ियाल आराम फरमाते दिख जाएंगे। केन्या में दो सींगों वाले दो तरह के गैंडे पाए जाते है। ब्लैक राइनो और दूसरे व्हाइट राइनो। यहां पर काले गैंडों की भरमार है। यहां का एक खास आकर्षण है मारिनो गैंडा। मारिनो को उसकी मां न छोड़ दिया था। वन संरक्षकों ने इसे पालतू सा बना दिया है। खुले में घूमने वाले मारिनो की पीठ पर हाथ रखकर हमने उसके साथ फोटो भी खिंचाए। यह एक रोमांचक अनुभव था।
चिंप सेंचुरी
यही पर पास में चिंप सेंचुरी भी है। चिंप सेंचुरी में लावारिस और वन्य जीवों के दुश्मनों से बचा कर लाए गए चिंपैंजी रखे गए है। चिंप सेंचुरी के बाद हम करीब ही स्थित हिप्पो यानि दरियाई घोड़ों के ठिकानों की तरफ गए। दरियाई घोड़ों को देखने के लिए घने जंगलों के बीच एक गहरी नदी के किनारे-किनारे पैदल ही चलना होता है। हिप्पो के ठिकाने से हम लोग रात में स्वीट वाटर टेंट लौटे। यहां पर अंधेरे में भी जानवरों की परेड जारी थी। स्वीट वाटर टेंट के विशाल रेस्तरां में रात को खासी भीड़भाड़ रहती है। रात यहां बिताने के बाद हम सुबह नोकुरू नेशनल पार्क की ओर रवाना हो गए।
नोकुरू नेशनल पार्क
नोकुरू नेशनल पार्क का करीब चार घंटे का रास्ता ऐतिहासिक ग्रेट रिफ्ट वैली होते हुए जाता है। उत्तरी सीरिया से पूर्वी अफ्रीका के मोजांबिक तक फैली करीब छह हजार किलोमीटर लंबी झीलों-नदियों से परिपूर्ण इस वैली के कई हिस्से बेहद आकर्षक है। यहां अफ्रीका के कई नेशनल पार्क है। रास्ते में ही खूबसूरत थांपसन फाल भी है। नोकुरू शहर के करीब ही नोकुरू नेशनल पार्क करीब 188 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसी हिस्से में करीब 40 किलोमीटर में फैली खारे पानी की झील नोकुरू मुख्य रूप से गुलाबी रंग के फ्लेमिंगों के लिए प्रसिद्ध है। झील में फ्लेमिंगों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि किनारे से देखने पर पानी में फ्लेमिंगों की लहर सी उठती दिखाई देती है। हम इस दृश्य को देख कर ठगे से रह गए।
यहां से निकलने के बाद हम अबरडेयर रेंज के जंगलों में गए। यही पर अफ्रीका के बबून बंदरों और अद्भूत से दिखाई देने वाले दो सींगों वाले सफेद गैंडों का घर है। हमें बड़ी आसानी से काफी करीब से सफेद गैंडों के आराम फरमाते एक पूरे परिवार के दर्शन हो गए। अंदर घने जंगलों में अन्य जानवरों के साथ तेंदुए भी है। यहां पूरा दिन बिताने के बाद हमने रात एलेमेंटाइटा झील के किनारे बने एक खूबसूरत लॉज में बिताई। इस लॉज में डिनर के दौरान केन्या के लोकनृत्य का आनंद लेने के बाद हम अगले दिन सुबह मुंबई वापसी के लिए नैरोबी के लिए रवाना हो गए।
कपड़े व अन्य सामान
जींस, पूरे बांह की टी-शर्ट, स्पोर्ट्स और एक स्वेटर व एक जैकेट अवश्य रखें। यादें सहेजने के लिए कैमरा और मूवी कैमरा तो आप रखेंगे ही। बुखार, पेट दर्द आदि की जरूरी दवाएं और मच्छरों से बचाव की क्रीम साथ रख लें।
मुद्रा
केन्या में यूएस डॉलर मान्य हैं। लेकिन सुविधानुसार केन्याई मुद्रा शिलिंग भी ले लें। भारत से ही अपना मोबाइल फोन अंतरराष्ट्रीय रोमिंग करा लें तो बेहतर रहेगा।क्या न करें
जंगल में जब कभी वैन से उतरे तो समूह में रहें, पैदल अकेले जंगल में ज्यादा दूर न जाएं। जंगली जानवर जब शिकार कर रहे हों तब उसमें खलल न पड़े, यह ध्यान रखें।
कैसे जाएं
नई दिल्ली से खाड़ी होकर भी केन्या जाया जा सकता है लेकिन सबसे आसान मुंबई से केन्या एयरवेज की उड़ान है। इससे करीब 6 घंटे के सफर के बाद केन्या के नैरोबी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा जा सकता है। केन्या में करीब ढाई हजार टूर आपरेटर हैं। वे आपके बजट के हिसाब से टूर पैकेज की जानकारी आपको दे देंगे।
मौसम
केन्या में दिन गर्म होते हैं लेकिन कई स्थानों पर रात काफी ठंडी हो जाती है। आमतौर पर तापमान 16 से 28 डिग्री के आसपास रहता है।
भाषा
सोहेली केन्या की स्थानीय भाषा है लेकिन पूरे केन्या यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी अंग्रेजी जानने वाले है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…