जबरिया रिटायर केस- सही किया, कोर्ट को अधिकार नहीं: केंद्र सरकार…
लखनऊ 26 जुलाई। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर द्वारा जबरिया रिटायर के आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की लखनऊ बेंच में दी गयी चुनौती पर केंद्र सरकार ने अपने जवाब में अपने निर्णय का बचाव किया है.
गृह मंत्रालय के अनुसचिव संजीव कुमार द्वारा दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि 21 नवंबर 2019 को राज्य पुनरीक्षण समिति की बैठक हुई जिनके द्वारा अमिताभ के पूरे सेवा अभिलेखों को देखा गया और उन्होंने अमिताभ को सेवा में रखने के योग्य नहीं पाया. इस आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 08 जनवरी 2020 को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जिसे गृह मंत्रालय द्वारा 18 जून 2020 को कैबिनेट नियुक्ति समिति को भेजा गया. कैबिनेट नियुक्ति समिति द्वारा 16 मार्च 2021 को इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया, जिसके बाद गृह मंत्रालय ने 17 मार्च को अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश जारी किया, जिसके क्रम में राज्य सरकार ने 21 मार्च को अमिताभ को सेवानिवृत कर दिया.
हलफनामे के अनुसार केंद्र सरकार को यह पूरा अधिकार है कि 50 साल से ऊपर के किसी भी आईपीएस अफसर को राज्य सरकार के अनुमोदन पर 3 माह का वेतन देकर सेवा से अलग कर दे. यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के अनुसार कोर्ट को ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का बहुत सीमित अधिकार है. हलफनामे में अमिताभ के तर्कों को आधारहीन बताते हुए उनकी याचिका को ख़ारिज करने की बात कही गयी है.
अमिताभ ने अपनी याचिका में आदेश को पूरी तरह मनमाना तथा अस्पष्ट बताया था जिसमे आदेश देने का कोई कारण नहीं बताया गया है. कैट ने इस मामले में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से जवाब माँगा था. मामले की अगली तिथि 06 अगस्त 2021 को नियत है.
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…