सिर मुंडवाकर नाचे संत, निभाई 500 वर्ष पुरानी परंपरा मुड़िया संतों ने निकाली 463 वीं…

सिर मुंडवाकर नाचे संत, निभाई 500 वर्ष पुरानी परंपरा मुड़िया संतों ने निकाली 463 वीं…

शोभायात्रा 1558 में गोलोकधाम सिधारे सनातन गोस्वामी की याद में अनुयायी भक्त करते चले आ रहे हैं परंपरा का निर्वहन…

गोवर्धन के मुड़िया पूर्णिमा मेले में मंगलवार को ढोल, ढप, झांझ-मजीरे की धुन पर मुड़िया संतों ने शोभायात्रा निकाल 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। वाद्य यंत्रों की धुन पर मुड़िया संतों ने श्रीपाद सनातन गोस्वामी के डोले के साथ नगर में भ्रमण किया। पुष्पवर्षा के साथ जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत किया गया।

मुड़िया संतों ने निकाली शोभायात्रा

गुरु पूर्णिमा पर मंगलवार को गोवर्धन के मुड़िया मेले में आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
वाद्य यंत्रों के साथ हरिनाम संकीर्तन की गूंज से गिरीराज तलहटी गुंजायमान हो उठी।

गुरु के सम्मान में सिर मुडवाए मुड़िया संत ढोलक-ढप और झांझ-मजीरे की धुन पर नाच रहे थे। मुड़िया संतों का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

चकलेश्वर स्थित राधा-श्याम सुंदर मंदिर से शनिवार सुबह मुड़िया शोभायात्रा महंत रामकृष्ण दास महाराज के निर्देशन में निकाली गई। जो दसविसा, हरिदेवजी मंदिर, दानघाटी मंदिर, डीग अड्डा, बड़ा बाजार, हाथी दरवाजा होते हुए शुभारंभ स्थल पर पहुंचकर संपन्न हुई। इस दौरान मुड़िया संत हरिनाम संकीर्तन के साथ नृत्य करते हुए निकले तो उनके आगे हर शीश नतमस्तक हो गया।
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ये है मान्यता

मान्यता है कि गोवर्धन में मानसी गंगा स्थित चकलेश्वर महादेव मंदिर में बंगाल के संत सनातन गोस्वामी रहते थे। वो हमेशा सिर का मुंडन कराकर भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। इसलिए लोग उन्हें मुड़िया बाबा कहते थे। गुरु पूर्णिमा के दिन उन्होंने ब्रह्मलोक की प्राप्ति की थी। तभी से उनके शिष्य अपना सिर का मुंडन कराकर मानसी गंगा की परिक्रमा करते हैं। जो परंपरा 500 वर्षों से चली आ रही है।

पत्रकार अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…