मकान-दुकान एंव जमीन की रजिस्ट्री कराने से पहले डीएम के यहां देना होगा आवेदन…
यूपी कैबिनेट ने दी नये प्रस्ताव को मंजूरी: रजिस्ट्री में लगने वाले स्टांप का पता करना अब होगा आसान…
लखनऊ। प्रदेश में अब जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि भू-सम्पत्तियों की कीमत और ऐसी सम्पत्ति की खरीद फरोख्त में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगने वाले स्टाम्प शुल्क को जिलाधिकारी तय करवाएंगे। इस बारे में सोमवार को कैबिनेट में स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि कैबिनेट के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अब प्रदेश में भू-सम्पत्तियों की कीमत तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे और इस मुद्दे पर होने वाले मुकदमों की संख्या घटेगी।
उन्होने स्पष्ट किया कि कैबिनेट के इस फैसले से लागू होने वाली व्यवस्था अनिवार्य नहीं बल्कि ऐच्छिक होगी। अगर कोई व्यक्ति किसी जमीन, भवन आदि को खरीदने से पहले उसकी कीमत और उस पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का आंकलन करवाना चाहे तो वह जिलाधिकारी के कार्यालय में आवेदन करके ट्रेजरी चालान से 100 रुपये शुल्क जमा करके करवा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक जिलाधिकारी इसमें रूचि नहीं लेते थे मगर मगर नयी व्यवस्था में जिलाधिकारियों को ऐसा आंकलन करने के लिए बाध्य होना होगा।
मालियत पता करने की यह होगी प्रक्रिया…..
स्टांप मंत्री ने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति प्रदेश में कहीं भी कोई जमीन, मकान, फ्लैट, दुकान आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र देना होगा और साथ ही ट्रेजरी चालान के माध्यम से कोषागार में 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। उसके बाद डीएम लेखपाल से उस भू-सम्पत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा कीमत का मूल्यांकन करवाएंगे। उसके बाद उस सम्पत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क का भी लिखित निर्धारण होगा।
अभी तक यह व्यवस्था चली आ रही थी….
स्टांप मंत्री ने बताया कि अभी तक जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति भूमि, भवन खरीदना चाहता था तो उस भू-सम्पत्ति का मूल्य कितना है इस पर संशय बना रहता है और खरीददार प्रापर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले वकील, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से सम्पर्क करता था और उसमें मौखिक तौर पर उस भवन या भूमि की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क लगता था।
कम शुल्क वसूलने का विवाद होगा खत्म….
बाद में विवाद की स्थिति पैदा होती थी कि उक्त भू-संपत्ति की कीमत इतनी नहीं बल्कि इतनी होनी चाहिए थी, इस लिहाज से इसकी रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क कम वसूला गया। प्रदेश के स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही थी जिस पर अब अंकुश लगेगा। वहीं स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग के जानकार अफसरों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से अगर भूमि, भवन की रजिस्ट्री पर सही स्टाम्प शुल्क मिलने लगेगा तो निश्चित ही राजस्व में बढ़ोतरी होगी। मगर यह अफसर सवाल भी उठाते हैं कि हर बैनामे से पहले यह प्रक्रिया अपनाने में वक्त लगेगा, और लेखपाल व तहसीलदार की मनमानी बढ़ेगी जिससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा, इस पर नजर रखनी होगी। (15 जून 2021)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,