टप्पल के बाद अब नूरपुर: लापरवाही के चलते बेनूर हुई नूरपुर की रंगत…
जहरीली शराब से मौतें और अब ये विवाद, मकानों पर लगे “बिकाऊ है” के बोर्ड…
लखनऊ/अलीगढ़। यूपी का टप्पल कस्बा अक्सर सुर्खियों में रहता है। 2010 में यमुना एक्सप्रेस के निर्माण के समय किसान आंदोलन को कोई भुला नहीं सकता। भूमि अधिग्रहण बिल में संसोधन इस आंदोलन के बाद ही हुआ। दो साल पहले बच्ची की निर्मम हुई हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। अब अलीगढ़ के नूरपुर गांव में बारात चढ़त के दौरान अनुसूचित जाति व मुस्लिम परिवारों में हुई तकरार को लेकर नूरपुर सुर्खियों में है। जिस दिन यह विवाद हुआ था उसी दिन पुलिस सख्त कार्रवाई कर देती तो शायद ही इतनी बात न बढ़ती। पहले शिकायतकर्ताओं पर रिपोर्ट दर्ज करना, अगले दिन दूसरे पक्ष पर मुकदमा दर्ज करना, कहीं न कहीं व्यवस्था पर तो सवाल खड़ा करता ही है। मकान बेचने की बात तो दूसरे दिन शुरू हुई जब लोगों को लगा कि उनकी कोई सुन ही नहीं रहा है। इसी के बाद यह गांव राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया।
राजनीति ठीक, भड़काऊ बयानबाजी ठीक नहीं….
जहरीली शराब प्रकरण के साथ पिछले 10 दिनों से नूरपुर पर भी लोगों की निगाहें हैं। हर कोई जानना चाहता है जिस तरह के नेताओं के बयान आ रहे हैं वहां क्या हो गया ? लोगों का मानना है राजनीति तो ठीक है, लेकिन ऐसी भाषा का भी इस्तेमाल न हो जो भड़काने का काम करे। नूरपुर में दोनों पक्षों को बिठाकर समाधान निकालने की जरूरत है। समानता का सभी को अधिकार है। कोई किसी का हक नहीं मार सकता है। विवाद को सुलझाने के लिए अहम भूमिका प्रशासन को निभानी होगी ताकि आगे कोई बात न हो। वैसे, विवादित रास्ते से बारात चढ़ने का विवाद 2006 से है, इतने साल से किसी ने उन लोगों की सुध नहीं ली जो परेशानी झेलते रहे। अब जिस तरह नेता पंचायत कर रहे हैं, हमदर्दी जता रहे हैं इससे पहले किसी ने वहां जाकर उनका हाल नहीं देखा कि किस परेशानी में लोगों ने अपने मकानों पर “मकान बिकाऊ” का बोर्ड लगाया।
व्यवस्था पर भारी जहरीली शराब प्रकरण….
जहरीली शराब प्रकरण को 11 दिन हो गए। ऐसा कोई दिन नहीं बीता जिस दिन लोगों की जान न गई है। मौत का आंकड़ा सौ के पार पहुंच गया है। जहरीली शराब ने कई घरों की खुशियां छीन लीं। लोग अपनों के लिए बिलख रहे हैं। माफिया की जड़ कितनी गहरी थीं कि इसका अंदाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि अवैध शराब अभी तक पीछा नहीं छोड़ रही है। माफिया से जुड़े लोगों ने शराब को नष्ट करने के बजाय खेत में फेंक दिया या नहर में बहा दिया। नहर में बह रही शराब भी अब लोगों की जान ले रही है। यह तब है जब प्रशासन दावा कर रहा है कि मुनादी कर लोगों को सचेत किया जा रहा है। इसके बाद भी शराब लोगों तक पहुंच रही है ? (7 जून 2821)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,