दवा का अभाव … ब्लैक फंग्स के मरीज फिलहाल दुआ पर निर्भर…
भोपाल,17 मई। पहले रेमडेसिविर, फिर ऑक्सीजन, टीसी के संकट के बाद अब ब्लैक फंगस वाले मरीजों के लिए जरूरी इंजेक्शन एग्ऊोटेरेसिन-बी का संकट गहराया हुआ है। ब्लैक फंगस का शिकार मरीजों के उपचार में यह इंजेक्शन तत्काल असरकारी माना जाता है किंतु इस दवा के अभाव में मरीज फिलहाल तो दुआ पर ही निर्भर है। इसके बाद भी सरकार और प्रशासन के अधिकारियों का दावा कर रहे हैं कि जल्द ही संकट दूर हो जाएगा। एक पखवाड़े से दवा दुकानों पर यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं, कहीं मिल भी रहा है तो मुंहमागा दाम चुकाना पड़ रहा है। मरीजों की संख्या में इजाफे के चिकित्सकीय कारण तलाशने के लिए तकनीकी समिति गठित कर 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी है। शुगर पेशेंट ब्लेक फंगस के अधिक शिकार – दवा बाजार की लगभग सभी दुकानों पर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। विक्रेताओं का कहना है साल भर में जितनी डिमांड नहीं रहती वह एक दिन में लग रही है। ब्लैक फंगस के शिकार जिन मरीजों के परिजन सम्पन्न हैं उन्होंने जरूर मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, दिल्ली आदि से इंजेक्शन जुटाई हैं लेकिन अधिसंख्य मरीज बेहाल हैं। मेडिकल साइंस के जानकार यह मान रहे हैं कि ऐसे मरीजों की संख्या में ओर वृद्धि इसलिए भी हो सकती है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में जो पहले से शुगर पेशेंट हैं अब तक के 125 से अधिक मरीजों में उनकी संख्या ज्यादा है। दाखिल मरीजों के लए कन्वेंशल इंजेक्शन काम का रआ – डेंटल ईएनजी आदि एचओडी की समिति बना रखी है। इनके द्वारा ऑपरेशन से ब्लेक फंगस को निकाला भी गया है। महंगे इंजेक्शन के अभाव में कन्वेंशन इंजेक्शन (जिसकी कीमत 300 रुपए के करीब है) से भी ऑपरेशन वाले मरीजों को राहत मिल रही है। इसे आंखों में इंजेक्ट कर रहे हैं। यह कहना भी सही नहीं कि जिस इंजेक्शन की फिलहाल अनुपलब्धता है उसके बिना मरीजों को राहत नहीं मिल सकती। शासन स्तर तक प्रशासन ने हमारी परेशानियों से अवगत कराया है, जल्दी ही हल निकलेगा।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…