अब सरसो के तेल ने बिगाड़ा किचेन का बजट…
लखनऊ 14 मई। जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण कई लोगों का रोजगार छिन गया है वहीं इसी दौरान लोगों को महंगाई की मार भी झेलनी पड़ रही है।
मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक साल के दौरान देश में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। घर घर में इस्तेमाल लिए जाने वाले सरसों की तेल की कीमत में एक साल में लगभग दोगुना इज़ाफ़ा हुआ है, तो वहीं सोयाबीन मूंगफली सूरजमुखी डालडा और रिफाइंड के दामों में काफी तेजी से उछाल आया है। दुकानदारों की मानें तो एक साल के अंदर दाम दोगुना होने का सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाद्य तेलों की कीमत बढऩा है।
मालूम हो कि पिछले साल सरसों के तेल की खुदरा कीमत 95 रुपये से 100 रुपये प्रति लीटर थी जो एक साल में बढ़कर अब 175 – 190 रुपये प्रति लीटर तक मिल रहा है। वहीं दुकानदारों की माने तो उनका कहना है कि कोरोना काल के चलते व्यापार धंधा पूरी तरह ठप है लोगों की आमदनी बंद हो गई है और ऊपर से बढ़ती महंगाई ने लोगों को परेशान कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरसो के तेल व रिफाइंड के दाम रातो-रात नहीं बढ़े हैं, बल्कि ये लगभग तीन माह से बढ़ रहे हैं। ऐसा नहीं है की बाजार में माल की कमी है, अवसर को उपयोगी बनाने में इन व्यापारियों ने भी इन दैनिक खाद्य वस्तुओं में वृद्धि कर किचेन का बजट बिगाड़ रखा है और अपनी तिजोरी को भारी बना लिया है।
– कहने को तो प्रशासन समय-समय पर दामों की जांच कर रही है लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।
इन दिनों लोगो के कारोबार बंद है ऊपर से लोगो के ऊपर ये महंगाई की मार पड़ रही है। हालांकि प्रशासन द्वारा समय-समय पर बढे हुए दामों की जांच बाज़ारो में आकर की जाती है इस पर दुकानदारों ने कहा छोटे दुकानदारों पर करवाई करने से कुछ नहीं होगा इसमें जो बड़े व्यापारी है जो इस लाइन के मगरमच्छ है उन्हें पकडे तो शायद मंहगाई पर रोक लग सके।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…