ड्रग की कालाबाजारी में इंस्पेक्टरों पर कार्यवाही क्यों नहीं?

ड्रग की कालाबाजारी में इंस्पेक्टरों पर कार्यवाही क्यों नहीं?

इंदौर। इंदौर और जबलपुर में हो रही रेमडेसीविर की कालाबाजारी के खिलाफ जारी प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह है कि कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई हो रही है तो ऐसे में इन दोनों शहरों के ड्रग इंस्पेक्टर्स की भूमिका क्यों नहीं जांची जा रही है। इस संबंध में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद से लेकर कांग्रेस विधायक तक ने ट्वीट के जरिये सरकार पर निशाना साधा है। विशेषज्ञों के अनुसार रेमेडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी एक मल्टी स्टेट स्कैम है। जिसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री जी प्रदेश को बताएं कि इन दोनों जिलों में ड्रग इंस्पेक्टर पर क्या कार्यवाही हुई। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने सीएम, गृह मंत्री और डीजीपी को चिट्ठी लिखी। कहा कि एमपी के हर उस मरीज की सूची सार्वजनिक होना चाहिए जिसकी मौत नकली रेमडेसीविर या टीसी इंजेक्शन देने के बाद हुई। ताकि मरीजों के परिजन को पता चले कि उनके पेशेंट की मौत, मौत नहीं हत्या है। गृह विभाग ने अलग-अलग जिलों में रेमडेसीविर और ऑक्सीजन की कालाबाजारी में पकड़े गए 21 आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई को मंजूरी दे दी है। इनमें इंदौर के नौ, उज्जैन के आठ, जबलपुर के दो और ग्वालियर के एक आरोपी शामिल हैं। इसके अलावा एक व्यक्ति सतना का है जो ऑक्सीजन की कालाजाबारी करते पकड़ा गया था। जब इंजेक्शन की आपूर्ति कंपनियां सरकार के माध्यम से कर रही हैं तो फिर कालाबाजारियों तक इंजेक्शन कैसे पहुंच रहे हैं? जब रेमडेसीविर का अलॉटमेंट प्रशासन द्वारा अस्पतालों को उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई सीरियस पेशेंट की लिस्ट के आधार पर किया जाता है तो पेशेंट को इंजेक्शन क्यों नहीं मिल रहे हैं? इस बारे में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि दवा की कालाबाजारी को लेकर बीते दिनों बैठक हुई थी। इसमें ड्रग इंस्पेक्टर औरउनकी टीम को भी शामिल किया गया था। उनकी जिम्मेदारी भी तय कर दी गई है। दवा की कालाबाजारी करने वालों से सख्ती से निपटा जा रहा है।