देश में एक और बीमारी,
हजारों की तादाद में मिल रहे श्लेष्मा के मरीज-
50 प्रतिशत लोगों की जा रही जान
नई दिल्ली। एक तरफ कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। देश में इस वक्त भी कोरोना के 30 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। वहीं दूसरी तरफ इस महामारी के बीच एक और बीमारी ने इस समय आफत ला दी है, वो है श्लेष्मा। कोरोना के लक्षणों के बीच मरीजों में श्लेष्मा के लक्षण दिखाई दे रहे हैं,महाराष्ट्र-गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में इसका असर ज़्यादा देखने को मिल रहा है। हालात ये हैं कि इसके करीब 50 फीसदी मरीज़ों की जान जा रही है।
महाराष्ट्र में इस वक्त श्लेष्मा के करीब 2000 से ज्यादा एक्टिव केस सामने आ गए हैं, जिसने राज्य सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। अब जिन अस्पतालों के साथ मेडिकल कॉलेज अटैच हैं, वहां पर श्लेष्मा बीमारी के मरीजों के इलाज की व्यवस्था की जा रही है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि राज्य में कोरोना के मामले जैसे-जैसे बढ़ रहे हैं, उसी रफ्तार से श्लेष्मा के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे में सरकार ने ज़रूरी कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार श्लेष्मा के लक्षणों में एक ब्लैक फंगस भी है, जिसके कारण 50 फीसदी मरीज़ों की जान जा रही है। श्लेष्मा के लक्षणों में ब्लैक फंगस के अलावा सिर दर्द, बुखार, आंख, नाक में ज़ोरदार दर्द और आंखों की रोशनी चला जाना भी शामिल है।
महाराष्ट्र के अलावा गुजरात में भी श्लेष्मा के कई मामले सामने आ रहे हैं। गुजरात में 100 के करीब ऐसे मामले सामने आ चुके हैं,जिनमें ब्लैक फंगस के लक्षण हैं, जबकि कुछ मरीज़ों की आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है। गुजरात के राजकोट में इसके लिए अलग से अस्पताल बनाया गया है, जहां पर स्पेशल वार्ड की व्यवस्था की गई है। राजस्थान के जयपुर में भी बीते दिनों करीब 40 मरीज़ ऐसे पहुंचे, जिनमें ब्लैक फंगस की शिकायत थी। इसमें से कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी पर भी असर पड़ा है। ऐसे में कोरोना संकट के बीच पैदा हो रही इस मरीजों की मुश्किल से चिंताएं बढऩे लगी हैं।