मौत के सरकारी आंकड़ों और श्मशान घाटों पर…
जलती चिताओं के आंकड़ों में रात और दिन का अंतर:..
चंडीगढ़। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से तुरंत जिला स्तर पर वॉर रूम की स्थापना और पर्याप्त ऑक्सीजन आपूर्ति सुचारू करने की मांग दोहराते हुए कहा कि जितनी जल्दी वॉर रुम बनाकर मरीजों को बेड, ऑक्सीजन, दवाईयां आदि मिलना शुरू होंगी, उतनी ज्यादा जानों को बचाया जा सकेगा। सरकार वॉर रुम की स्थापना में अब एक पल की भी देर न करे। दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि बहुत से अस्पतालों द्वारा इलाज के नाम पर लोगों से मनमाने रेट वसूलने की जानकारी सामने आ रही है। सरकार जिला स्तर पर वॉर रूम के जरिये इस लूट-खसोट पर तुरंत रोक लगवाए। निजी अस्पतालों में इलाज का खर्च अब आम गरीब, मध्यम वर्ग की पहुँच से बाहर हो रहा है, ऐसे में इलाज का सारा खर्च सरकार उठाए। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि हरियाणा का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 162 एमटी से 232 एमटी कर दिया गया है, तो फिर ये बढ़ा हुआ ऑक्सीजन कोटा आखिर कहाँ चला गया, अस्पतालों में भर्ती मरीजों को मिल क्यों नहीं रहा? हालत ये हैं कि मरीजों को अस्पताल के दरवाजे से ये कह के लौटाया जा रहा है कि ऑक्सीजन नहीं है। ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर जमीनी सच्चाई, सरकार के दावों से बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने ये मांग भी की, कि प्रदेश स्तर पर एकीकृत कमांड सेंटर भी बनाया जाए जिससे सारे जिलों के वॉर रूम जुड़े हों। मुख्यमंत्री खुद इस प्रदेश स्तर के एकीकृत कमांड सेंटर की देखरेख करें, ताकि सरकार को हर जिले की सही और जमीनी स्थिति पता रहे। साथ ही, इन्टरनेट के माध्यम से लिंक भी सार्वजनिक किया जाए जिसपर रियल टाइम अपडेट हो कि कौन से अस्पताल में कितने बेड खाली हैं, कितनी दवाईयों का स्टॉक मौजूद है, ऑक्सीजन सप्लाई व भण्डार की ताज़ा स्थिति क्या है, ताकि लोगों को भटकना न पड़े। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अस्पतालों में बेड की भयंकर मारा-मारी है। भले ही सरकार के कागजों में कहीं किसी चीज़ की कमी नहीं है, सरकार की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड खाली दिखाए जा रहे हैं। अगर अस्पतालों में बेड खाली हैं तो इनपर कौन लेटा हुआ है। जमीनी हकीक़त ये है कि लोग एक-एक बेड के लिये अपना मरीज लेकर अस्पताल दर अस्पताल चक्कर काट रहे हैं, फिर भी एक बेड नसीब नहीं हो रहा है। इसके चलते कई बार गंभीर मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे भयावह हालात में लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है और लोग अपनों को बचाने के लिये तमाम जतन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में अव्यवस्था और अफरातफरी का माहौल है। हालात गंभीर नहीं भयंकर हो चुके हैं। बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। मौत के सरकारी आंकड़ों में और श्मशान घाटों पर जलती हुई चिताओं के आंकड़ों में भारी अंतर है। ख़बरें और जमीनी सच्चाई साफ़ बता रही है कि मौतें ज्यादा हो रही लेकिन सरकार इसे कम बता रही है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि इस राष्ट्रीय आपदा के समय सरकार पारदर्शिता के साथ काम करे और सही मायनों में लोगों के लिये मदद का हाथ बढाए। दीपेन्द्र हुड्डा ने कोरोना से ठीक हो चुके लोगों का आवाह्न किया कि लोग आगे आयें और वो अपना प्लाज्मा अस्पतालों में इलाज करा रहे जरूरतमंद मरीज को डोनेट कर उनकी जान बचाएं। उन्होंने कहा कि लोग कोरोना की आपदा से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। लोग कोरोना से ज्यादा सरकारी अव्यवस्था, फेल सिस्टम और हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर, जीवन बचाने वाली दवाइयों जैसे संसाधनों की कमी से अपनों को खो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 1 मई से कोरोना टीकाकरण शुरू हो रहा है, ऐसे में टीका लगवाने से पहले यदि कोई अपना प्लाज्मा दान करेगा तो वो किसी के काम आ जाएगा और इससे दानदाता को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि कोरोना से जूझ रहे मरीज और उनके परिवार की ढेरों दुआएं मिलेंगी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…