महामारी के दौरान जेलों में भीड़ कम करने के लिए…
कैदियों की अस्थायी रिहाई के संबंध में याचिका दायर…
नई दिल्ली, 28 अप्रैल। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के प्रसार के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी की तीन जेलों में बंद गैर-जघन्य अपराधों में शामिल कैदियों की जमानत या पैरोल पर अस्थायी रिहाई के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र, दिल्ली सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने विधि एवं स्वास्थ्य मंत्रालयों, दिल्ली सरकार, पुलिस, उपराज्यपाल कार्यालय और कारागार महानिदेशक को नोटिस जारी कर याचिका पर अपना रुख बताने को कहा है। तीन वकीलों और विधि के एक छात्र ने चार मई को यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील अजय वर्मा ने अदालत को बताया कि हाल में तिहाड़ जेल में 190 कैदी और जेल के 304 कर्मी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये और संक्रमण पूरी जेल में फैल रहा है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि ऐसे वक्त में जब कोविड-19 का संक्रमण तेजी से फैल रहा है तब जेलों में भीड़ कम करने की आवश्यकता है क्योंकि जेलों में क्षमता से अधिक कैदी मौजूद हैं। याचिका में कहा गया है, ‘‘तीन जेलों – तिहाड़, मंडोली और रोहिणी में कुल 10,026 कैदियों के रहने की क्षमता है जबकि सात अप्रैल तक वहां 17,285 कैदी थे।’’ याचिकाकर्ता वकील – शोभा गुप्ता, राजेश सचदेव और आयुषी नागर तथा विधि छात्र संस्कृति गुप्ता ने तिहाड़ जेल, मंडोली जेल और रोहिणी जेल में बंद ‘‘सभी विचाराधीन एवं गैर-जघन्य अपराध के मामलों में जुर्माना तथा अधिकतम सात साल कैद की सजा काट रहे कैदियों’’ को अंतरिम जमानत या पैरोल पर रिहा करने का अनुरोध किया है। उन्होंने अदालत से पूर्व में रिहा किये गये कैदियों और आत्मसमर्पण करने वाले कैदियों को अच्छे आचरण के आधार पर तथा किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे कैदियों को रिहा करने का भी अनुरोध किया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…