जानें कैसे करें अपने नन्हें मुन्नों की देखभाल…
पहली बार बच्चे का मां बाप बनना बहुत ही सुखद अहसास होता है। इस सुखद अहसास के साथ माता पिता पर जिम्मेदारियों व निगरानी का दायित्व भी बढ़ जाता है, विशेषकर तब जब बच्चा 6 माह का होता है। 6 माह से 3 साल तक के बच्चे बैठना, घुटने चलना फिर पांव-पांव चलना सीखते हैं। यह बढती उम्र का नाजुक दौर होता है। ऐसे में बच्चों के साथ कभी कभी कुछ हादसे हो जाते हैं जैसे गिरना, फिसलना, बिजली उपकरणों के साथ खेलना, हाथ लगाना, साकेट में उंगली डालना आदि सामान्य हादसे हैं पर पहली बार माता पिता बनने पर माता पिता जल्दी घबरा जाते हैं कि कैसे उस स्थिति को हैंडल किया जाए। अगर माता पिता पहले से इन चीजों की जानकारी रखते हों तो सावधानी बरतते हुए उन हादसों से अपने लाडलों को बचा सकते हैं। विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं जिन्हें जानकर हम पहले से सतर्क रह सकते हैं या स्थिति बिगडने पर कैसे उबर सकते हैं।
गिरने पर…
बच्चा जब साइड पलटना, बैठना या चलना सीखता है तो कई बार गिरता है। ऐसे में माता पिता को चाहिए कि दो साल तक के बच्चे को बेबी कॉट में सुलाएं। बैठने हेतु फर्श पर गद्दा लगाकर बिठाएं। जागते समय बच्चे को बेड पर अकेला न छोडें। बेबी कॉट की रेलिंग थोडी ऊंची रखें। कॉट के पास फर्श पर कारपेट या रॅग्स बिछा दें।
अगर कमरे से बाहर किसी काम के लिए जाना पडे तो बच्चे को फर्श पर बिछे कारपेट या रॅग्स पर लिटा कर जाएं। अगर कमरे में सीढियां हैं तो सीढी शुरू होने और खत्म होने पर छोटा दरवाजा लगाएं। उस पर चिटकनी भी लगाएं ताकि जब बच्चा चलना सीखे तो सीढी पर न चढ सके। साइड रेलिंग अगर खुला है तो प्लास्टिक की रस्सी से रेलिंग के खुलेपन को थोडा कम कर दें ताकि दो रेलिंग के बीच बच्चा झांकते हुए गिरे नहीं।
फस्र्ट एड…
अगर बच्चा गिर जाता है, खून नहीं आता, बस सूजन होती है तो बच्चे को लिटा कर बर्फ से सिंकाई कर दें। अगर इंटरनल ब्लीडिंग होगी तो रूक जाएगी। कहीं चोट लगने पर खून निकले तो बर्फ वाले पानी से उस चोट की जगह को धो दें। फिर रूई पर बेटाडिन लगाकर साफ कर लें। चोट के अनुसार पट्टी की आवश्यकता हो तो पट्टी कर लें। बैंडएड की आवश्यकता हो तो बैंडएड लगाएं। अगर चोट लगने पर नाक से या कान से खून आए या उलटी करे तो तुरंत डाक्टर के पास ले जाएं। सिर पर लगी चोट को हल्के में न लें, तुरंत डाक्टर के पास जाएं।
बिजली के साकेट में उंगली डाल दें तो…
घर के सारे साकेट पर प्लास्टिक टेप लगाएं या उन्हें साकेट ब्लॉकर से ढक लें। जब जरूरत हो, प्रयोग कर पुनः उसे कवर कर लें। बच्चे अक्सर सॉकेट में अपनी उंगली डाल देते हैं जो बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। जब भी प्रेस, हीटर, चार्जर, टोस्टर, माइक्रोवेव जैसे बिजली के उपकरण का प्रयोग करें, प्रयोग के तुरंत बाद स्विच ऑफ कर प्लग निकाल दें।
फस्र्ट एड…
बच्चे को सॉकेट में उंगली डालने से या किसी और परिस्थिति में करंट लग जाए तो फौरन मेन पावर स्विच बंद कर दें। बच्चे को दूर करने के लिए रबड की चप्पल पहनें। हाथ में कुछ भी मेटल की वस्तु हो उसे दूर रखें। अगर बच्चा बेहोश हो तो जाए या उसकी हार्ट बीट कम होने लगे तो खिडकी दरवाजे खोलकर उसकी चेस्ट पर एक हथेली पर दूसरी हथेली रखकर दबाएं, अपने मुंह से बच्चे को सांस दें और तुरंत डाक्टर के पास ले जाएं।
जल जाने पर…
कभी बच्चे अपने ऊपर कुछ गिरा देते हैं या गर्म जोत पकड लेते हैं, ऐसे में वे स्वयं को चोट पहुंचा लेते हैं। माता पिता को चाहिए कि मंदिर में जोत जला कर दियासिलाई अच्छे से बुझा दें। जोत और अगरबत्ती को मंदिर में पूजा के बाद बाहर कहीं ऊंची जगह पर रखें ताकि बच्चे उस तक पहुंच न पाएं। गर्म प्रेस आदि को भी ऊंचाई पर स्विच बंद कर साकेट से निकालकर रखें।
फस्र्ट एड
अगर दुर्घटना घट जाए तो 10-15 मिनट तक जले हुए भाग को ठंडे बर्फ वाले पानी में डालें। ठंडे पानी से शरीर का तापमान कम हो जाएगा जिससे नुकसान कम होगा। पानी से निकालकर नर्म कपडे से पोंछ कर बरनॉल लगाएं। ज्यादा जलने पर डाक्टर के पास जाएं।
पेट्स या कीडे के काटने पर…
आजकल घर में पेट्स रखने का प्रचलन बढ रहा है पर छोटे बच्चों को उनसे दूर रखें। पेट्स को टीके आदि समय समय पर लगवाते रहें ओर उन्हें साफ रखें। घर की सफाई पर भी विशेष ध्यान दें। घर में कीडे मकौडे न आएं, इस हेतु पेस्ट कंट्रोल का ट्रीटमेंट करवाते रहें।
फस्र्ट एड
अगर बाहर किसी जानवर ने बच्चे को काट लिया है जैसे कुत्ते, बंदर आदि ने तो बच्चे के जख्म को बहते पानी में 10 मिनट तक साबुन से धोते रहे। फिर डाक्टर के पास ले जाकर एंटी रैबीज टीका लगवाएं। कीडे, मच्छर के काट जाने से कभी कभी सूजन और लालिमा आ जाती है। ऐसे में सूजन वाली जगह 10 से 15 मिनट तक बर्फ का टकोर करें। अगर काटे स्थान पर खून निकल रहा है तो उस जगह को एंटी बैक्टीरियल साबुन या सेवलॉन, डेटॉल या बेटाडिन से साफ करें। मधुमक्खी या ततैया के काटने पर सूजन और लालिमा अधिक होती है ऐसे में एंटी एलर्जिक या एंटी इंक्रेमेटरी दवा की आवश्यकता पडती है। डॉक्टर को दिखाकर ही दवा लें। इसी प्रकार चाकू या किसी नुकीली चीज के लग जाने पर भी अगर खून आ रहा है तो बर्फ से लगाएं। खून रूकने पर एंटीसेप्टिक क्रीम या लोशन लगाएं। अगर चोट गहरी है तो डाक्टर के पास ले जाएं। ३ साल में एक बार टेटनस इंजेक्शन भी लगवाएं।
गले में कुछ फंस जाने पर…
कभी कभी बच्चे कुछ ऐसा खा लेते हैं जो उनके गले में फंस कर उन्हें परेशान करता है जैसे बच्चे कभी कभी सिक्का, गलत दवा, मूंगफली, रबड, घ्यान, छोटी बैटरी निगल जाते हैं या इसमें से कुछ कान-नाक में डाल लेते हैं तो परेशानी आती है। इन सब चीजों को उनकी पहुंच से दूर रखें। कभी कभी बच्चे गुड नाइट मैट या गलत दवा भी खा जाते हैं। उन्हें भी प्रयोग के तुरंत बाद दूर रखें।
फस्र्ट एड
कुछ फंस जाने पर बच्चे को पेट के बल लिटा कर पीठ पर जोर से थपकी दें। दो तीन बार ऐसा करें। चीज बाहर निकल आएगी। अगर न निकले तो डाक्टर के पास ले जाएं। कुछ गलत निगल जाने पर पीठ जोर से थपथपाएं ताकि खाई हुई गलत चीज बाहर आ जाए। मुंह में उंगली डालकर उलटी करवाने का प्रयास करें। फिर भी न निकले तो डाक्टर के पास ले जाएं।
कुछ अन्य सावधानियां…
-बच्चों के सामने कान, नाक में स्वयं भी कुछ न डालें।
-टेबल पर, टेबल क्लॉथ न बिछाएं।
-कांच और मेटल की वस्तुएं बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
-गर्म चाय और दूध पीते समय ध्यान दें कि बच्चा आपके पास न हो।
-दवा, नुकीली वस्तुएं, बीज, सिक्के, रबड, आदि बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
-बाथरूम प्रयोग करने के बाद वाइपर से साफ करें।
-शेविंग क्रीम, साबुन, डिटर्जेट, नील, हार्पिक, शैंपू, कंडीशनर, फेसवाश, क्रीम आदि बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
-बाल्टी, टब, मग बाथरूम में खाली कर उल्टा कर रखें।
-बाथरूम की सिटकनी बंद करके रखें। जब भी बच्चा अकेला बाथरूम में हो या कमरे में सिटकनी ऐसे मोड दें ताकि वह अंदर से बंद न कर सके।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…