कोरोना पॉजिटिव महिला का शव लेकर घूमते रहे परिजन…
नहीं मिली रखने की जगह…
नई दिल्ली। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से जहां अस्पतालों में बेड की दिक्कत हो रही है, वहीं मृत लोगों के शव को रखने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। खासकर, निजी अस्पतालों के कोविड अस्पताल में बदलने के बाद भी यहां शव रखने व शव दूसरी जगह भेजे जाने के लिए वाहन की सुविधा नहीं मिलने से दिक्कत हो रही है। सोमवार की रात इन्हीं असुविधाओं का शिकार एक परिवार हुआ। कोरोना पॉजिटिव महिला के शव को कोल्ड स्टोर में रखवाने के लिए परिजनों को पूरी रात घूमना पड़ा।
बाहरी दिल्ली के रामा विहार निवासी 55 वर्षीय महिला कोरोना पॉजिटिव हो गई थी। 16 अप्रैल की रात महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो कंझावला स्थित सावित्री अस्पताल में भर्ती कराया गया। 19 अप्रैल की रात महिला की मौत हो गई। परिजनों को रात नौ बजे सूचित किया गया कि वे महिला के शव को ले जाएं। इससे पहले रुपये जमा कराने को कहा गया। परिवार वाले वहां पहुंचे। उन्होंने लाखों रुपये का बिल भरने के बाद पूछा कि शव का कहां ले जाएं। इस पर उन्हें बताया गया कि रोहिणी स्थित अंबेडकर अस्पताल की मोर्चरी में शव को जमा करा दें। परिवार ने एंबुलेंस के लिए कहा तो उन्हें बताया कि इसकी व्यवस्था उन्हें खुद करनी होगी। किसी तरह परिवार एंबुलेंस की व्यवस्था कर शव को लेकर अंबेडकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां कहा गया कि उनके पास शव रखने का कोई आदेश नहीं आया है। परिवार ने पूछा कि कोरोना पॉजिटिव का शव को लेकर कहां जाएं तो उन्हें कहा गया कि जिस अस्पताल से लाए हो उन्हीं से पूछो। इस तरह रात दस बजे से रात दो बजे तक यह परिवार यहां से वहां भटकता रहा। आखिर किसी बड़े अधिकारी से बात होने के बाद रात दो बजे अंबेडकर अस्पताल ने शव को मोर्चरी में रखने की अनुमति दी। मृत महिला के बेटे का कहना है कि छोटे-छोटे नर्सिंग होम को कोरोना हॉस्पिटल तो बना दिया गया पर उनके पास कोई सुविधा नहीं है। उलटा वह कोरोना की आड़ में मोटी रकम वसूल रहे हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…