राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म निर्माता Sumitra Bhave ने…
दुनिया को कहा अलविदा…
7 बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रह चुकीं मराठी फिल्म निर्माता और राइटर सुमित्रा भावे का लंबी बीमारियों के कारण पुणे में निधन हो गया।सोमवार की सुबह पुणे के एक निजी अस्पताल में 78 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली,भावे,अपने सहयोगी और सह-निर्देशक सुनील सुखथंकर के साथ बेहतरीन फिल्म- निर्माता मानी जाती थीं,जिन्होंने मराठी फिल्म इंड्रस्टीज में एक बड़ा बदलाव लाया,जिससे इसे व्यावसायिक सफलता और आलोचनात्मक प्रशंसा मिली।
पुणे में जन्मी भावे ने अपना एमए राजनीति विज्ञान में पूरा किया और बाद में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज,मुंबई से राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र में डबल एम.ए किया।बाद में उन्होंने पुणे के कर्वे इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में एक एनजीओ और ऑल इंडिया रेडियो के साथ मराठी न्यूजरीडर के रूप में भी काम किया।
उन्होंने 1985 में स्त्री वाणी के लिए अपनी पहली लघु फिल्म ‘बाई’ बनाई,जिसके लिए फैमिली वेलफेयर (1986) में सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म के लिए उन्हें पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला,इसके बाद उनकी एक और लघु फिल्म ‘पानी’ को 1988 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।सुमित्रा भावे जब अपनी पहली फिल्म बना रही थीं,तब वह एक एफटीआईआई ग्रेजुएट सुनील सुखथंकर के संपर्क में आईं और उन्होंने एक सहायक निर्देशक के रूप में उनके साथ काम किया,उन्होंने एक मराठी फिल्म ‘दोगी’ (1995) बनाई,जिसके लिए उन्हें महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार और 1996 में एक और राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
उन्होंने एक और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘वास्तुपुरुष’ (2002) और ‘दाहवी फा’ में कॉलब्रेट किया,जिसने 2003 में महाराष्ट्र राज्य फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता। दोनों की फिल्म ‘देवराई’ (2004) को नेशनल अवॉर्ड मिला और टेलीविजन धारावाहिक ‘कथा सरिता’ और ‘माझी शाला’ को कई राज्य पुरस्कार भी मिले,उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में ‘कसाव’ (2016) भी थी जिसने 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया, ‘आस्तु’ (2013) जिसे राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और अन्य लघु और फीचर फिल्में जिन्हें दुनिया भर में विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार दिया गया।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…