ऐतिहासिक हनुमानगढ़ी में रंगभरी एकादशी की परंपरा इस बार और चटक…
रंगभरी एकादशी पर साधु-संतों ने जमकर उड़ाया गुलाल…
अयोध्या 26 मार्च। प्राचीन काल से चली आ रही ऐतिहासिक हनुमानगढ़ी में रंगभरी एकादशी की परंपरा इस बार और चटक हो गई। जिसमें 5 अगस्त को भूमि पूजन के बाद श्री राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की खुशी के साथ नागा साधु इस बार की रंगभरी एकादशी को और भी उत्साहित ढंग से मना रहे हैं। नागा साधुओं का मानना है कि हनुमान जी के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण ने रंगभरी एकादशी का उत्साह स्वाभाविक ढंग से बढ़ा दिया है। इसलिए आज अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर से आनंदित नागा साधुओं ने हनुमानगढ़ी के प्रतीक चिन्ह को लेकर और आपस में होली खेलते हुए रंगभरी एकादशी का शुभारंभ किया।
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी स्वयं लाल रंग के हैं और उन पर कई रंगों की मालाएं चढ़ाई जाती है। हरे रंग का तुलसीदल चढाया जाता है। नागा साधुओ की रंगभरी एकादशी मैं अयोध्या के साधु-संतों सहित श्रद्धालु भी सम्मिलित होते हैं और हनुमानगढ़ी से निकलने के बाद यह 5 कोस की परिक्रमा करते हुए रास्ते में पड़ने वाले सभी मंदिरों में पूजा पाठ और रंग खेलते हुए वापस लौटकर हनुमानगढ़ी में समापन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आज ही के दिन से अयोध्या में होली की शुरुआत मानी जाती है। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजूदास ने कहा कि इस बार की रंगभरी एकादशी बहुत ही खास है क्योंकि यह प्रभु श्रीराम वाली होली है। रंगभरी एकादशी पर हनुमानगढ़ी से बजरंगबली का चिन्ह निकलता है, जो पंच कोस की परिधि में परिक्रमा कर वापस हनुमानगढ़ी पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद प्रभु राम का भव्य मंदिर बन रहा है, जिसका उमंग सबसे अलग है। रंगभरी एकादशी पर साधु-संतों ने एक दूसरे को जमकर गुलाल लगाया।ने बताया कि संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए कोविड प्रोटोकाॅल का पालन अवश्य करें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…