कार्यक्षमता में इजाफा कर पांए कामयाबी…

कार्यक्षमता में इजाफा कर पांए कामयाबी…

 

ऑफिस में आपकी कार्यक्षमता का सीधा असर आपकी प्रगति पर पड़ता है। आपको नई जिम्मेदारियां दी जाएंगी या नहीं, इसका फैसला भी आपकी कार्यक्षमता को देखकर ही लिया जाता है। कैसे अपनी कार्यक्षमता में इजाफा करें, बता रहे हैं हम…

 

बिजनेस या नौकरी क्षेत्र का एक पुराना दस्तूर है कि हर कोई उसी घोड़े पर रेस लगाना चाहता है, जो तेज भागता है। ऑफिस की स्थिति भी कमोबेश इसी तरह की होती है। बॉस अथवा सीनियर उसी कर्मचारी पर अपना भरोसा जताते हैं या जिम्मेदारियां डालते हैं, जो हर काम बखूबी और समय से कर देता है। यानी उसकी कार्यक्षमता अधिक है।

 

वहीं दूसरी ओर लेटलतीफ व आलसी कर्मचारी लकीर के फकीर बने रहते हैं और तरक्की के नाम पर हर साल उन्हें मायूसी हाथ लगती है। करियर बिल्डर की तरफ से नौ देशों पर कराए गए एक सर्वे के अनुसार भारत में सबसे अधिक लोग (करीब 42 फीसदी) देर से दफ्तर जाने की वजह से बाहर का रास्ता देखते हैं। लेटलतीफ व आलसी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में भारत पहले स्थान पर है। इसके बाद ब्राजील का नंबर आता है। कार्यक्षमता का यह गुण जन्मजात नहीं होता, बल्कि इसे बढ़ाया या निखारा भी जा सकता है।

 

सहकर्मियों से बिठाएं तालमेल

ऑफिस में आपके काम की गति तभी बढ़ेगी, जब सहकर्मियों के साथ आपका तालमेल ठीक हो। आप जो भी कदम उठाने जा रहे हों, उसके लिए बॉस की सहमति होनी चाहिए। साथ ही सहकर्मियों का परस्पर सहयोग भी जरूरी है, खासकर किसी टीमवर्क में। इसका फायदा यह होगा कि आपके प्रयास में यदि कोई कमी भी रहेगी तो कई हाथ आपके सहयोग के लिए तैयार रहेंगे। तालमेल बैठाने के लिए आपको सिर्फ अपने विचार न थोपकर सहकर्मियों की बातों को भी गंभीरतापूर्वक सुनना होगा। उनकी बातों में दम है तो स्वीकार करें और उन्हें सराहें।

 

अपडेट रहें

लम्बी रेस का घोड़ा बनने के लिए जरूरी है कि आपको हर प्लेटफॉर्म की सही जानकारी हो। समय-समय पर इन जानकारियों को अपडेट करते रहना भी जरूरी है। इसके लिए सभी संचार माध्यमों अथवा एक्सपर्ट लोगों से जानकारी जुटानी होगी। ऐसे मौके पर जब आपको किसी खास प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी मिली हो, अपना नेटवर्क बनाकर रखें। प्रोफेशनल्स के साथ संपर्क बढ़ाने से नए अवसरों की जानकारी मिलती रहेगी, जो आपको नई तकनीक और करियर में आगे बढ़ने के रास्ते सुझा सकते हैं।

 

प्लानिंग

आप जो भी काम शुरू करने जा रहे हैं, उसकी पहले प्लानिंग करें। उसके नेगेटिव व पॉजिटिव बिन्दुओं को जानने की कोशिश करें। प्लान बनाते समय अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से लिखें। यह आपको लीक से भटकने नहीं देगा और आगे बढ़ने में पूरी मदद करेगा। सौंपे गए कार्यों की एक सूची बनाकर अपने डेस्क पर सही जगह चिपका कर रखें। मोबाइल फोन में रिमाइंडर भी लगा सकते हैं। काम को पूरा करने से कहीं ज्यादा जरूरी है कि उसे तय समय में पूरा करना।

 

समस्या नहीं, समाधान बताएं

आप जो भी काम करते हैं, उसमें समस्याएं जरूर आती हैं। हर वक्त इन समस्याओं का रोना रोने से आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और आप किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते। इसलिए अपने बॉस या सहकर्मियों से बातचीत में समस्याओं का समाधान निकालने की राह बताएं। धीरे-धीरे आप फैसला लेने की दिशा में मजबूत होंगे। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर अंतिम राय बनाने से पहले बॉस अथवा सीनियर से राय-मशविरा जरूर करें।

 

नापसंद काम पहले करें

अपनी क्षमता बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप ऑफिस पहुंचने पर नापसंद काम सबसे पहले कर लें। इनको सबसे पहले पूरा करने से आप पूरे दिन तनावमुक्त रहेंगे। मन में यह संतुष्टि रहेगी कि सबसे ज्यादा खराब काम तो आप पहले ही पूरा कर चुके हैं। शेष काम भी आसानी से पूरे हो सकेंगे, लेकिन यह तभी हो पाएगा जब आप काम शुरू करने से पहले पसंद व नापसंद कार्यों की एक सूची तैयार करेंगे। दोनों काम आपको ही करने हैं।

 

आलोचनाओं को करें दरकिनार

सफलता व असफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कुछ मौकों पर आप सफल रहते हैं, जबकि कई बार आप निष्ठापूर्वक कोई काम करते हुए भी असफल हो जाते हैं। आपकी असफलता पर कई तरह की आलोचनाएं होती हैं, फैसले पर उंगली उठती है और कमियां निकाली जाती हैं। आप इन पर ध्यान न देते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करें। आलोचनाएं यदि सही हैं तो उन्हें स्वीकार करें और उनको एक चुनौती के रूप में लेते हुए अपनी कार्यक्षमता को इस कदर बढ़ाएं कि अगली बार आपको सफल होने से कोई न रोक पाए।

 

नकारात्मक चीजों से दूर रहें

नकारात्मक व निराशावादी सोच संक्रामक होती है। यह इंसान को आगे नहीं बढ़ने देती है। आपके आसपास भी ऐसे लोगों की लम्बी जमात होगी, जो हर वक्त जॉब के स्वरूप और ऑफिस की पॉलिसी आदि को लेकर टिप्पणी करते रहते हैं या उन्हें कोसते रहते हैं। ये सारी बातें नकारात्मकता लाती हैं और काम में रुकावट पैदा करती हैं। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें। आपको यदि अपनी नौकरी या कंपनी से कोई शिकायत है तो बॉस, एचआर डिपार्टमेंट या उचित फोरम पर उसकी शिकायत करें। आपस में बैठकर इस पर समय खर्च करने से न तो आपका कोई भला होने वाला और न ही कंपनी की सेहत पर कोई असर पड़ेगा।

 

आज का काम कल पर न टालें

कनाडा की कार्लटन यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के आधार पर यह बात सामने आई कि हमारा दिमाग तत्काल इनाम या फल मिलने वाली चीजों का ही चयन करता है। बहुत जरूरी होने पर भी हम जूझने वाले या मुश्किल काम अगले दिन के लिए टालते रहते हैं। यह जानते हुए भी कि इसे बाद में करने से खासा नुकसान होने वाला है। अपनी इस आदत से मजबूर हम अक्सर अपना काम इस सोच के साथ अधूरा छोड़ देते हैं कि इसे कल या उचित समय पर पूरा करेंगे, लेकिन कल या तो हमारी प्राथमिकताएं बदल जाती है या हम उसे भूल जाते हैं। इसलिए सभी काम उसी के उसी दिन निपट जाएं तो ही अच्छा है।

 

दूसरों पर दोषारोपण ठीक नहीं

यह इंसानी फितरत है कि किसी काम में असफल रहने पर अक्सर हम उसकी जिम्मेदारी दूसरों पर डाल देते हैं, जबकि सफल रहने पर उसकी पूरी वाहवाही खुद लूट ले जाते हैं। यदि आप टीम लीडर की भूमिका में हैं तो आपको सफलता-असफलता दोनों की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी। कोई काम यदि बिगड़ता है तो आपको आत्ममंथन करना चाहिए, न कि दोषारोपण। किसी और पर दोष मढ़ देने से हो सकता है कि फौरी तौर पर आपको कुछ राहत मिल जाए, लेकिन इससे आपकी कार्यक्षमता में कोई सुधार नहीं होगा। उल्टे आप सहकर्मियों के निशाने पर आते जाएंगे।