हॉलमार्किंग पर नीति आयोग की सिफारिशें लागू हों – विनोद माहेश्वरी…

हॉलमार्किंग पर नीति आयोग की सिफारिशें लागू हों – विनोद माहेश्वरी…

लखनऊ 18 मार्च। प्रधानमंत्री द्वारा 6000 कारोबारी कंप्लायंस की समीक्षा करने के लिए कैबिनेट सेक्रेटरी की निगरानी में एक कमेटी गठित करने पर चौक सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने लखनऊ सर्राफा एसोसिएशन की तरफ से प्रसन्नता ज़ाहिर की है।
महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने कहा की इससे कारोबार करने में सुगमता के लिए सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का हम हार्दिक स्वागत करते हैं। BIS हॉल मार्किंग प्रक्रिया एक्ट 2016 के अंतर्गत कुछ आवश्यक रेगुलेशन कंप्लायंस रखे गए हैं, उन पर भी समीक्षा करते हुए तत्काल फैसला लिया जाना चाहिए। सदियों से भारत का ज्वेलरी क्षेत्र अपने ग्राहक को शुद्ध ज्वेलरी देने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा  उतर रहा हैं। हम हॉलमार्किंग का स्वागत करते हैं। देश को पूरी दुनिया का ज्वेलरी हव बनाने के लिए हमारी ज्वेलरी विश्व भर के मानकों की कसौटी पर खरी उतरने ही चाहिए इसलिए इसकी महत्ता को हम सब स्वीकार करते हैं।
उन्होंने आगे कहा की नीति आयोग की ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ गोल्ड मार्केट रिपोर्ट मय हॉलमार्किंग पर विशेष चर्चा हुई और नीति आयोग ने पाया की बी आई एस हाल मार्किंग एक्ट 2016 के बहुत से प्रावधान अनावश्यक है और इस क्षेत्र के कारोबार को कंट्रोल करने जैसे हैं, जिनकी कतई आवश्यकता नहीं है।
हाल मार्किंग को केवल हॉल मार्किंग प्रोसेस तक सीमित रखा जाना चाहिए। कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के लागू होने के बाद कोई भी दंडात्मक प्रावधान दो तरह के कानून के अंतर्गत ज्वेलरी क्षेत्र पर लागू नहीं होना चाहिए। कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट अपने आप में एक सक्षम एक्ट है इसलिए बीआईएस हॉल मार्किंग एक्ट के प्रावधानों पर फिर से विचार करना बहुत आवश्यक हो गया है। कम से कम नीति आयोग द्वारा हाल मार्किंग पर दिए गए सुझावों को तत्काल मान लिया जाना चाहिए, और 6500000 लोगों का देश का कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार उत्पन्न करने वाला क्षेत्र यह चाहता है कि नीति आयोग की सिफारिशों को कंज्यूमर अफेयर्स  मंत्रालय तत्काल लागू करे, और मैंडेटरी हाल मार्किंग लागू होने से लाखों लाखों रोजगारओं को बचाने के लिए कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय द्वारा तत्काल समीक्षा की जाए। ज्वेलरी क्षेत्र  मे इज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए, स्वर्ण ,चांदी कारोबार को कंट्रोल करने की बजाए कारोबारी सुगमता के लिए,केवल हमारे ग्राहको को शुद्ध जेवर मिले। इसके लिए  हॉलमार्किंग  के लिए नीति आयोग की सिफारिशे लागू की जाना बहुत आवश्यक है ।

सारांश सिफारिशें :-
1) आभूषण प्रमाण पत्र, इकाई (प्रायोजक) तक ही सीमित होना चाहिए, जो हॉलमार्किंग के लिए आभूषण भेज रहा है।
2 )आभूषण निर्माण के लिए आभूषण प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
3) हॉलमार्क किए गए आभूषणों को बेचने के लिए आभूषण प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
4) सोने के आभूषणों की सभी शुद्धताओं को देश में बेचे जाने की अनुमति  दी जानी चाहिए।
( विशेषकर 2o ct शुद्धता के आभूषण भी बेचे जाने की अनुमति दी जानी चाहिए बहुत से प्रदेशों में ग्राहकों द्वारा इसकी भारी मांग है)
5) हॉलमार्किंग स्टैम्प में केवल आइटम की शुद्धता, हॉलमार्किंग सेंटर का निशान और प्रायोजक का चिह्न, (इकाई) होना चाहिए, जिसमें आभूषणों को हॉलमार्क किया गया हो।
6 ) हॉलमार्किंग रिकॉर्ड केवल हॉलमार्किंग सेंटर द्वारा बनाए रखा जाना चाहिए, जिसमें जौहरी की रिकॉर्ड बनाए जाना की आवश्यकता नहीं रहनी चाहिए।
7 )एक बार हॉलमार्क किए जाने पर, आइटम की शुद्धता के लिए हॉलमार्किंग सेंटर पूरी तरह उत्तरदायी हो ।
8) अंडर कैरेटेज की स्थिति में, खुदरा विक्रेता को उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति करनी चाहिए और तदनुसार हॉलमार्किंग सेंटर द्वारा  खुदरा विक्रेता को मुआवजा दिया जाना चाहिए।
9) जौहरी के लिए हॉलमार्क किए गए आभूषणों की खरीद के प्रमाण को स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
10) केवल कैरेटेज में शामिल उन कर्मचारियों / अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, न कि जो निर्दोष रूप से नियोजित हैं या जिन्हें धोखाधड़ी का कोई ज्ञान नहीं है।
11) अधिकारियों के लिए स्वीपिंग शक्तियों को कम किया जाना चाहिए और खोज और दौरे को केवल एक वरिष्ठ अधिकारी की पूर्व स्वीकृति के साथ ही अनुमति दी जानी चाहिए।
12) भारत में अनिवार्य गतिविधि होने के लिए हॉलमार्किंग की सिफारिश करने से पहले बीआईएस को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मील के पत्थर के साथ एक योजना तैयार करनी चाहिए।
13) 24 कैरेट, (या किसी अन्य शुद्धता) के सोने के सिक्कों की पहचान, हॉलमार्किंग सेंटर द्वारा रिफाइनरियों के साथ आयोजित की जानी चाहिए।
विनोद ने आगे कहा की लाइसेंस राज को हमारा देश 1991 से छोड़ चुका है, इसलिए बीआईएस द्वारा इतनी बड़ी कॉटेज इंडस्ट्री क्षेत्र को लाइसेंस राज में बाधित करने की प्रक्रिया पर तुरंत रोक रोक लगा दी जानी चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के हल के बाद अगर हाल मार्किंग अनिवार्य की जाती है तो यह अपने आप में बिना हाल मार्किंग ज्वेलरी बेचना प्रतिबंधित हो जाएगा। इसके लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। वैसे भी लाखों लोगों के क्षेत्र में पिछले 12 वर्षों से अधिक समय में केवल 40 हजार के करीब ज्वेलर्स रजिस्टर्ड हुए हैं।
निम्नलिखित कारणों से अभी कानून के तहत हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होनी चाहिए : –
1) हॉलमार्किंग सेंटर्स एसोसिएशन द्वारा अपने स्वयं के प्रवेश के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 4.15 करोड़ टुकड़ों को प्रमाणित किया गया है।  औसतन 12 ग्राम प्रति पीस यह लगभग 500 टन आभूषण की मात्रा में आता है, जो घरेलू खपत के लिए कुल अनुमानित वार्षिक उत्पादन का लगभग 75% है।
2) यह सरकार द्वारा उपभोक्ता को जगाने के लिए किए गए ठोस प्रयासों से हासिल हुआ है, जिसने ज्वैलर्स को हॉलमार्किंग के लिए जाने के लिए मजबूर किया है।
3) यह एक उल्लेखनीय सराहनीय उपलब्धि है और जागृति कार्यक्रमों द्वारा इसे और 10% तक बढ़ाया जा सकता है।
4) यहां तक कि एक अनिवार्य हॉलमार्किंग कानून कभी भी 100% परिणाम प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगा क्योंकि कुटीर उद्योग प्रकार विनिर्माण इकाइयों की सर्वव्यापी प्रकृति के कारण, स्वरोजगार कारीगरों द्वारा चलाए जा रहे हैं – 6,00,000 गांवों में से प्रत्येक में उपस्थिति है वहां पर कभी भी हाल मार्के सेंटर शुरू नहीं होगी क्योंकि वहां बिजनेस का वॉल्यूम कम होगा –
5) इसे अनिवार्य करने से अधिकारी सशक्त होगा और नए अवतार में गोल्ड कंट्रोल एक्ट लागू होगा।
6) दूरदराज के गांवों और छोटे शहरों में छोटे स्वरोजगार कारीगर धीरे-धीरे रोजगार से बाहर हो जाएंगे और कानून यूरोप और अमेरिका की तरह ही सीमित शहर आधारित कारखानों में उत्पादन सुविधाओं की एकाग्रता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
7) बहुत सीमित प्रवेश बिंदु होने के बावजूद, सभी प्रशासनिक मशीनरी के साथ सोने के कड़े तस्करी आयात को पूरी तरह से रूका नहीं जा सकता है। तो, अगर 75% पहले से ही हॉलमार्क हो रहा है, तो इसे अनिवार्य करने की आवश्यकता कहां है?
8) यहां तक कि अधिकांश लाइसेंस प्राप्त हॉलमार्क केंद्रों पर अधिकारियों द्वारा निगरानी नहीं की जा सकती है और कई शहरों में ज्यादातर केवल लेजर-चिह्नित-मुद्रांकन केंद्रों के रूप में काम कर रहे हैं, यह अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए जाना अनुचित है। बीआईएस पहले मौजूदा हॉलमार्क केंद्रों द्वारा 100% अनुपालन सुनिश्चित करना ज्यादा जरूरी है।
9) हालमार्क लागू होने से पहले भी उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू थे और अब भीconsumer protection act 2019 लागू हैं। यहां तक कि गैर-हॉलमार्क वाले आभूषणों के मामले में, एक उपभोक्ता अपने अधिकार को इस्तेमाल कर घोषित से कम शुद्धता का माल बेचने वाले धोखा देने वाले विक्रेता को नुकसान के हर जाने से ज्यादा सबक सिखा सकता है।
10) बीआईएस हाल मार्किंग एक्ट को अब अति सक्षम कंज्यूमर प्रोटक्शन एक्ट 2019 के नजरिए से देखा जाना चाहिए और हॉल मार्किंग पर नीति आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह मान लेना चाहिए।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…