मां बनने में बाधक अन्य कारण…

मां बनने में बाधक अन्य कारण…

 

-डॉ.सागरिका अग्रवाल-

 

महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर खान-पान, धूम्रपान, वजन, तनाव, व्यायाम आदि जीवन शैली से जुडी आदतों के साथ ही उनकी उम्र भी एक बडी भूमिका अदा करती है। वास्तव में देखा जाए, तो स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की महिलाओं की क्षमता पर उम्र का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आजकल महिलाएं करियर पर ज्यादा ध्यान देती हैं। उन्हें देरी से मां बनने की जोखिम के बारे में ज्यादा पता नहीं है। ऐसे में उन्हें प्रजनन से जुड़ी कईं समस्याओं से जूझना पडता है। जैविक रूप से किसी भी महिला की प्रजनन क्षमता 20 से 30 वर्ष की उम्र में सबसे अच्छी होती है और परिवार बढ़ाने के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है। इस दौरान गर्भपात या बच्चे में किसी तरह की मानसिक बीमारी होने की जोखिम सबसे कम होती हैं। इसके बाद जब महिला 30 की उम्र पार करती है, तो उसकी प्रजनन क्षमता घटती जाती है और 35 साल या उसके बाद इसमें तेजी से गिरावट आती है। यानी हम कह सकते हैं कि उम्र बढने के साथ ही महिलाओं के अंडाणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम होती जाती है। जब हम आज के समय में महिलाओं की प्रजनन क्षमता की बात करते हैं तो आधुनिक जीवन शैली, घटिया खान-पान, तनाव, बहुत कम शारीरिक गतिविधि आदि स्थितियों के कारण 40 की उम्र पार करते ही महिलाओं के मां बनने की संभावना पांच प्रतिशत रह जाती है। हालांकि रजोनिवृत्ति से पहले आईवीएफ जैसी तकनीकों की मदद से ज्यादातर महिलाएं अपने ही अंडाणुओं से मां बन सकती है, लेकिन आईवीएफ की सफलता पर भी उम्र का प्रभाव तो पड़ता ही है। एक तरफ जहां प्रजनन क्षमता पर उम्र के प्रभाव को जानना जरूरी है।

 

(डॉ.सागरिका अग्रवाल, आई वी एफ एक्स पर्ट, इंदिरा आई वी एफ हास्पिटल नई दिल्ली)

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …