दीक्षांत का दिन विद्यार्थियों के लिये अविस्मरणीय होता है…
लखनऊ 12 मार्च। दीक्षांत का दिन विद्यार्थियों के लिये अविस्मरणीय होता है, क्योंकि आज से उनके कंधों पर अस्मिता को साबित करने और जीवन में एक मुकाम हासिल करने का दायित्व बोध आता है। विधार्थी अब अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिये संभावनाओं को तलाशेंगे एवं अपने जीवन के उद््देश्यों को पूरा करने के लिये स्व-विवेक के अनुभव प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के 22वें दीक्षान्त समारोह में 579 स्नातक एवं परास्नातक छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान करने के पश्चात्् अपने उद््बोधन के दौरान व्यक्त किये। समारोह के दौरान 6 उपाधि धारकों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक, 11 उपाधि धारकों को कुलपति स्वर्ण पदक तथा 8 उपाधि धारकों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। राज्यपाल ने कहा कि छात्राओं द्वारा समस्त कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राप्त करना महिला सशक्तिकरण का एक सशक्त उदाहरण है।
राज्यपाल ने उपाधि धारकों से कहा कि वे कृृषि के क्षेत्र में उन्नति लाने के साथ-साथ राष्ट्र के विकास हेतु संकल्पबद्ध होकर कार्य करें। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के प्रांगण में रहकर विद्यार्थियों ने जो ज्ञान अर्जित किया है, उसे किसानों के खेतों तक पहुंचायेंगे और कृृषि जगत में एक नई क्रांति को दिशा देंगे। विद्यार्थियों द्वारा अर्जित ज्ञान जब किसानों को लाभान्वित करेगा तभी उसकी सार्थकता सिद्ध होगी। इसके साथ ही विद्यार्थियों को राष्ट्र के विकास एवं उन्नयन के प्रति भी दृृढ़ संकल्प होना होगा। उन्होंने कहा कि कृृषि विकास के लिये उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह से बचनबद्ध है। क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग कृृषि क्षेत्र से संबंधित है। कृृषि अधिनियम, 2020 ने किसानों के सुनहरे भविष्य की नींव रखी है। संसद द्वारा पारित कृृषि संबंधी तीनों अधिनियम किसानों की भलाई के लिए उठाये गये सबसे अभूतपूर्व प्रयासों में से एक हैं, जिससे किसानों को हर तरह से बेहतर लाभ मिलेगा।
कुलाधिपति ने कहा कि कृृषि विश्वविद्यालय शिक्षण एवं शोध कार्यों के साथ शोध उपलब्ध्यिों को किसानों के प्रक्षेत्रों तक पहुंचाने तथा उन्हें प्रेरित कर अपनाने का दायित्व भी निभाते हैं। अतः विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को कृृषि संबंधी शिक्षा के साथ रूलर एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियेंस कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण कृृषि कार्य अनिवार्य रूप से कराया जाए, जिससे छात्र-छात्राएं प्रायोगिक रूप से कृृषि कार्य के साथ ग्रामीणों के बीच रहकर उनकी जीवन शैली का अध्ययन कर सकें तथा किसानों से कृृषि की जानकारी भी प्राप्त कर सकेें।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार प्रायोगिक कृृषि शिक्षा पर जोर दे रही है। ताकि कृृषि स्नातक किसानों की आय दोगुनी करने में अपना वांछित योगदान कर सके। प्रायोगिक कृृषि शिक्षा के अंतर्गत विश्वविद्यालय स्तर पर उद्यमिता विकास पर भी विशेष जोर दिया जाना चाहिये इसके लिये छात्रों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षणों द्वारा स्वावलम्बी बनाने हेतु प्रशिक्षित किया जाए, इससे छात्र शिक्षा पूर्ण करने के बाद नौकरी लेने वाले न बनकर नौकरी देने का भी काम कर सकेेेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के लिए स्वीकृृत बीस कृृषि नये विज्ञान केन्द्रों में से आठ कृृषि विज्ञान केन्द्रों का इस विश्वविद्यालय के लिये स्वीकृृत होना गर्व की बात है। अब यहां कुल पच्चीस कृृषि विज्ञान केन्द्र हो गये हैं। माननीय राज्यपाल ने नरेंद्र उद्यान में मौलश्री का पौधा रोपित किया तथा विश्वविद्यालय से एग्रीबिजनेस मेनेजमेंट में पठन-पाठन का शुभारम्भ भी किया। इसके साथ कुलाधिपति ने परिषदीय स्कूल के बच्चों को स्कूल बैग, ज्ञानवर्धक पुस्तकें, फल-फूल, पौष्टिक आहार भेंट किये तथा पूर्वांचल के विभिन्न जनपदांे से आये प्रगतिशील किसानों को अंग वस्त्र आदि पहनाकर स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय कृृषि अनसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक डाॅ0 राकेश चन्द्र अग्रवाल, विशिष्ट अतिथि एवं प्रदेश के कृृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 बिजेन्द्र सिंह, कुल सचिव डाॅ0 पी0के0 सिंह, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण सहित शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण एवं छात्र-छात्राओं उपस्थित थे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…