न्यायाल ने चेक बाउंस मामलों को निपटाने के लिये…
समिति बनाने के वास्ते केन्द्र से नाम देने को कहा…
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सरकार को चेक बाउंस के लंबित मामलों की संख्या कम करने का रास्ता तलाशने के लिये बनाई जाने वाली समिति के लिये सदस्यों , विभिन्न विभागों के सचिवों अथवा अधिकारियों के नाम सुझाने का बुधवार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और एस रविन्द्र भट्ट की पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से कहा कि वह बृस्पतिवार तक इन नामों के बारे में बतायें। पीठ की तरफ से यह निर्देश तब दिया गया जब सरकार के विधि अधिकारी ने यह सुझाव दिया कि इस मामले में विभिन्न हितधारकों और विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों और सचिवों के बीच व्यापक परिचर्चा की आवश्यकता है। ये लोग ही परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत लंबित इन समस्याओं के समाधान के बारे में सुझाव देने को लेकर सक्षम होंगे। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसमें यह जोड़ना चाहेंगे कि इसमें सुनवाई न्यायधीश के तौर पर व्यापक अनुभव रखने वाले एक पूर्व न्यायधीश को भी शामिल किया जाना जरूरी होगा। हम सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहना चाहेंगे कि आप भारत सरकार की तरफ से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल बनर्जी के साथ पेश हों।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘‘पहली नजर’’ में वह यह मानती है कि केन्द्र सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि संसद द्वारा बनाये गये कानूनों के बेहतर प्रशासन के लिये उसे अतिरिक्त अदालतें स्थापित करनी चाहिये। उसने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 247 के तहत मिली शक्ति में केन्द्र सरकार की यह भी जिम्मेदारी बनती है कि वह अतिरिक्त अदालतों को स्थापित करे। पीठ ने कहा कि इसमें कोई शंक अथवा विवाद नहीं है कि नेगोशिएबल इस्ट्रूमेंट (परक्राम्य लिखत)कानून के तहत लंबित मामले आज सुनवाई अदालतों में कुल मामलों के 30 से 40 प्रतिशत तक और उच्च अदालतों में भी इनका काफी ऊंचा प्रतिशत पहुंच चुका है। शीर्ष अदालत स्वयं संज्ञान लेते हुये चेक बाउंस और चेक से वांछित भुगतान नहीं होने के अदालतों में बड़े पैमाने पर लंबित मामलों को कम करने की दिशा में और उन्हें तेजी से निपटने के लिये एक प्रक्रिया तैयार करने को लेकर सुनवाई कर रही थी ताकि इस मामले में कानून का पालन किया जा सके।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…