नगर पंचायत होने के बावजूद भी कस्बे की सूरत नहीं बदली विकास कार्यों में हो रही देरी…

नगर पंचायत होने के बावजूद भी कस्बे की सूरत नहीं बदली विकास कार्यों में हो रही देरी…

रास्तों का है बुरा हाल स्वच्छता अभियान को लेकर भी खानापूर्ति…

मोहनलालगंज नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद लोगो की उम्मीद रहती है कि शायद अब कस्बे की सूरत बदल जाएगी और नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद अक्सर होता ही ऐसा है कस्बों की सूरत बदल जाती है लेकिन मोहनलालगंज में हकीकत इसके विपरीत है नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद भी मोहनलालगंज कस्बा बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर है राजधानी लखनऊ का मोहनलालगंज कस्बा जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वज़ह से बदहाली के आंसू बहाने को मजबूर है। यह कस्बा सिर्फ नाम का नगर पंचायत है। यहां शहरी क्षेत्र जैसी कोई भी सुविधा नहीं है।यहाँ पर अभी भी कस्बे के सफाई का कोई सही इंतजाम नहीं हो पाया है। मुख्य सड़क से लेकर गली-बाजार हर ओर कूड़े-कचरे का ढेर है। गंदगी के अंबार से इस कस्बे की सूरत बिगड़ गई है। उसमे बावजूद भी जिम्मेदारों का ध्यान इस ओर नहीं है। सड़को पर लगे जगह-जगह कूड़े के ढेर अपने आप में जिम्मेदारों की लापरवाही की गवाही बयां करते हैं।गंदगी के अंबार से इस कस्बे की सूरत बिगड़ गई है। जिम्मेदारों का ध्यान अभी तो इस ओर नहीं है।। गलियों में भी गंदगी फैली हुई है। नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद भी सफाई कर्मचारी सफाई व्यवस्था में रूचि नहीं रख रहे है। दुकानों के आसपास गंदगी से आसपास के दुकानदार भी परेशान रहते हैं। नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आ सका है। हालांकि नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद सफाई कर्मचारियों को कचरे की सफाई के लिए लगाया गया है लेकिन यह सिर्फ खानापूर्ति के लिए किया जा रहा है जमीनी हकीकत इसके विपरीत है सड़कों पर जगह-जगह गंदगी के अंबार लगे हुए हैं उसके बावजूद भी जिम्मेदारों का ध्यान इधर नहीं जाता है। कस्बे में हर एक गली में आपको जगह-जगह कूड़े के अंबार लगे नजर आएंगे यहां तक कि तहसील के नाक के नीचे गंदगी का भारी अंबार लगा हुआ है।

संवाददाता अनुराग तिवारी की रिपोर्ट…