बाल कहानी: एक परी आसमान से उतरी…
-सोनाली यादव-
एक नन्हीं सी परी थी। उसकी इच्छा थी कि वह पृथ्वी की सैर करे और वहां बच्चों के साथ खेले। उसने अपने मन की बात अपनी परी मां को बतलायी। मां ने उसे स्वीकृति देते हुए कहा कि वह धरती पर जाने के पूर्व अपने साथ बच्चों के लिए खिलौने लेते जाए। अपनी मां के कहे अनुसार उसने ढेरों सारे खिलौने अपनी झोली में भरे और नन्हें-नन्हें परों को फरफराते हुए धरती की ओर उड़ चली। इस समय बागीचे में गोलू-भोलू-चिंटू, नीना, मीना, बिट्टू, सीनू, तन्नू, पूर्वी आदि अपने अन्य दोस्तों के साथ लुका-छिपी का खेल खेल रहे थे। नन्हीं परी दूर से इस अद्भुत खेल को देख रही थी। उसने मन ही मन तय कर लिया कि वह भी इस खेल को खेलेगी। गोलू इस समय आंख पर पट्टी बांधे, अपने साथी को ढूंढने में हाथ-पैर मार रहा था, जो किसी वृक्षादि के पीछे छिपे हुए थे। नन्ही परी, ठीक उसके सामने जा खड़ी हुई। गोलू थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि उसने नन्हीं परी को अपनी पकड़ में लेते हुए चिल्लाया- मैंने पकड़ लिया, मैंने पकड़ लिया कहते हुए अपने आंखों पर बंधी पट्टी को हटा दिया। उसे यह देखकर आश्चर्य हो रहा था कि गोलू-भोलू आदि न होकर, परों वाली एक लड़की उसके सामने खड़ी मुस्कुरा रही है। उसने उस लड़की से परिचय प्राप्त करना चाहा। नन्हीं परी ने अपना परिचय देते हुए बतलाया कि वह आसमान में रहती है और तुम लोगों से दोस्ती करने और खेलने के लिए ही धरती पर आई है तथा अपने साथ उपहार भी लेती आई है। गोलू ने हामी भरते हुए कहा, हां..हां … तुम्हें हम अपना दोस्त बनाएंगे। उसने आवाज देकर सब मित्रों को इकठ्ठा किया और नन्हीं परी से परिचिय करवाया। अपने बीच एक नया दोस्त पाकर सभी बच्चे बेहद खुश हुए।
सभी बच्चे झूम-झूमकर हाथ में हाथ डाले गाना गाने लगे
देखो-देखो परी आई.ढेर सारे तोहफे लेकर आई
गुड्डे-गुड़ियों से भरी रेलगाडी लेकर आई
देखो परी आई, परी आई।
नन्हीं परी ने सभी को उपहार में खिलौने दिए। फिर सभी के साथ तरह-तरह के खेल खेले। खेल खेलते पता ही नहीं चल पाया कि शाम होने को है। जैसे ही नन्हीं परी ने अंधेरे को घिरते देखा तो अपने मित्रों से विदा लेते हुए कहा कि वह कल फिर आएगी। इतना कहते हुए उसने अपने पंखों को फड़फडाया और आसमान में उड़ चली।
अब नन्हीं परी रोज धरती पर आती और आपने मित्रों के साथ दिन भर खेलती और शाम होने के पहले अपने घर लौट जाती। एक दिन की बात है। जब सब मित्र लुका-छिपी का खेल खेल रहे थे, नन्हीं परी इस समय एक वृक्ष के पीछे छिपी हुई थी, तभी एक जादूगर आया और उसने अपने जादू के बलपर उसे कैद कर लिया और वहां से चलता बना। यह बात देर तक किसी से छिपी न रह सकी कि नन्हीं परी का अपहरण कर लिया गया है। काफी खोजने के बाद भी बच्चे अपनी नन्हीं मित्र को खोज न सके तो उन्होंने पास के पोलिस-स्टेशन पर जाकर रपट लिखवाने की सोची। सब बच्चे पास ही के पोलिस स्टेशन जा पहुंचे। उन्होंने अपनी टूटी-फूटी जबान में अपनी व्यथा-कथा कह सुनाई, लेकिन जब थानेदार ने उसका नाम बतलाने को कहा, तो सभी ने चुप्पी साध ली थी, क्योंकि वे परी का असली नाम पूछना तो भूल ही गए थे। वे उसे केवल परी ने नाम से जानते थे, थानेदार ने जब उसका हुलिया जानना चाहा तो गोलू ने बतलाया कि एक नन्ही सी परी, परीलोक से रोज आती है और हमारे साथ खेलती है और शाम होने से पहले रवाना हो जाती है।
थानेदार को सहसा विश्वास नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। उसने अब बारी-बारी से बच्चों से जानना चाहा। सभी का जवाब एकसा था। खैर जैसे-तैसे उसने रिपोर्ट दर्ज की और बच्चों से कहा कि वह अपने आदमियों को चारों तरफ उस परी की तलाश करने को कहेगा और जैसे ही वह उन्हें मिल जाएगी, सूचना दे दी जाएगी। अब आप सब लोग अपने-अपने घर जाओ। बच्चे परी के अचानक गुम हो जाने से परेशान तो थे, लेकिन कर भी क्या सकते थे। उधर परी जब अपने घर नहीं पहुंची तो उसके माता-पिता भी परेशान हो रहे थे। उसकी खोज में दोनों धरती पर आए। इस समय बच्चे घर जाने के लिए उद्दत हुए ही थे कि वे बच्चों के सामने प्रकट होकर अपनी बेटी के बारे में जानना चाहा कि उनकी बेटी कहां है? गोलू ने भावविव्हल होते हुए बतलाया कि अचानक वह न जाने कहां गायब हो गई है। लगता है कि किसी बदमाश ने उसका अपहरण कर लिया है। काफी खोज-खबर के बाद भी वह हमें मिल नहीं रही है। उसने यह भी बतलाया कि हमने उसकी रिपोर्ट थाने में भी दर्ज करवा दी है।
परी राजा ने बच्चों से कहा कि वे और ज्यादा परेशान न हो। वे तत्काल ही उसे ढूंढ निकालेंगे। इतना कहकर उन्होंने अपनी आंखें बंद करते हुए अपनी जादुई छड़ी को चारों तरफ घुमाते हुए कुछ मंत्र पढ़े। मंत्र के पढ़ते ही नन्हीं परी और जादूगर सामने खड़े थे। जादूगर के हाथों में हथकड़ी पड़ी हुई थी। उसने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि अब वह भविष्य में बच्चों का अपहरण नहीं करेगा, उसे माफ कर दिया जाए।
राजा ने उसे सक्त हिदायत देते हुए माफ कर दिया। जादूगर के कब्जे से आजाद होते ही नन्हीं परी अपने माता-पिता के पास दौड़ी चली आई और उनसे लिपट गई। सभी बच्चे अपनी दोस्त को पुनः अपने बीच पाकर खुशियां मनाने लगे। नन्हीं परी अपने माता-पिता के साथ आसमान में उड़ चली। सभी बच्चे हाथ हिला-हिलाकर उसका अभिवादन कर रहे थे।
(लेखक सोनाली यादव, छिन्दवाडा के सरस्वती शिशु मन्दिर स्कूल की कक्षा सातवीं की छात्रा है)
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…