बिजनौर के चांदपुर में आयोजित किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कंाग्रेस की महासचिव एवं…
प्रभारी उ0प्र0 श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मैं आज भाषण देने नहीं आई हूं आपसे बातचीत करने आई हूं…
लखनऊ 15 फरवरी। बिजनौर के चांदपुर में आयोजित किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए भारतीय राष्ट्रीय कंाग्रेस की महासचिव एवं प्रभारी उ0प्र0 श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मैं आज भाषण देने नहीं आई हूं आपसे बातचीत करने आई हूं। क्येांकि मेरी समझ में नेता और जनता के बीच में बहुत खास रिश्ता होता है। आप इसे बनाते हैं। हम उस पर खड़े होते हैं सपोर्ट करने वाले आप हैं। आपके और हमारे बीच में भरोसे का रिश्ता होता है। वह जो भरोसा होता है उसी के बल पर आप एक नेता को आगे बढ़ाते हैं क्योंकि आप सोचते हैं आपको एहसास होता है कि वह आपके पक्ष में बोलेगा, आपकी समस्याओं की सुनवाई होगी, आपके पास खड़ा रहेगा, दुख में आएगा, दर्द में आएगा, खुशी में आएगा और आपका प्रतिनिधित्व वो नेता करेगा। तो कभी-कभी मन में आता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो दो बार जनता ने क्यों चुना? इसीलिए जिताया होगा कि मन में उम्मीद रही होगी, कुछ भरोसा रहा होगा कि वह आपके लिए काम करेंगे।
श्रीमती गांधी ने अपने उद्बोधन में कहा कि वह आपके सामने आए। पहला चुनाव हुआ, बड़ी बड़ी बातें हुई। करोड़ों रोजगार की बातें हुई, आपको आगे बढ़ाने की बात हुई, छोटे व्यापारी को आगे बढ़ाने की बात हुई, तमाम निर्णय लिए गए। उसके बाद अगला चुनाव आया, अगले चुनाव में जहां-जहां गए, मोदी जी ने किसानों की बात, बेरोजगारी की बात की थी कि उसको दूर करेंगे। आपको कहा कि आपकी आय दुगनी करेंगे, अपना बनाएंगे। ऐसी ऐसी नीतियां लायेंगे जिससे खुशहाली बढ़ेगी, लेकिन क्या हुआ? असलियत यह है कि उनके राज में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
उन्होने आगे कहा कि आप बताइए, क्या आपकी कमाई दुगुनी हुई है? क्या गन्ने का दाम 2017 से बढ़ा है? आप सब गन्ना किसान हैं, आपने जो निर्णय लिया है। सरकार ने क्या गन्ने का दाम बढ़ाए। आपका बकाया कितना है? आपको मालूम होगा कि यूपी किसानों का, गन्ना किसानों 10 हजार करोड़ बकाया है और पूरे देश भर के गन्ने का बकाया देखा जाए तो 15 हजार करोड़ बकाया है, आप सोच सकते हैं ऐसे प्रधानमंत्री हैं। आपका बकाया अब तक पूरा नहीं किया। लेकिन अपने लिए, दुनिया में भ्रमण करने के लिए इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं। दो हवाई जहाजों की कीमत आप जानते हैं क्या है? कितनी है कीमत? इन दो हवाई जहाजों की कीमत 16 हजार करोड़ रूपये है। 16 हजार करोड़ रूपये के इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं जबकि 15हजार करोड़ रूपये में इस देश के एक-एक गन्ना किसानों का बकाया वह वापस कर सकते थे।
श्रीमती गांधी ने कहा कि आपने पढ़ा होगा कि दिल्ली में संसद भवन के सुंदरीकरण के लिए बहुत बड़ी योजना बनी है। 20 हजार करोड़ की योजना के तहत नये संसद का सुन्दरीकरण हो रहा है जबकि वह संसद भवन दुनिया में मशहूर है। इंडिया गेट को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं उसके सुंदरीकरण के लिए 20 हजार करोड़ रूपये उपलब्ध है लेकिन इस देश के किसान के बकाए के लिए 15 हजार करोड़ उपलब्ध नहीं है। यही इस सरकार की नियत है। जो भरोसा आपने किया था वह भरोसा टूट चुका है। एक शायर ने कहा था – जो भगवान का सौदा करता है इंसान की कीमत क्या जाने, जो गन्ने की कीमत दे न सका वह जान की कीमत क्या जाने।।
उन्होने कहा कि जैसे कि आपके ऊपर काफी संकट नहीं थे। इस सरकार ने 3 नए कानून बना दिए हैं और जितना भी आंदोलन हो रहा है देश में, जो किसान 80 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर सर्दी में इतने दिनों से बैठे हुए हैं, अब गर्मी की तैयारी कर रहे हैं वो किसलिए बैठे हैं? प्रधानमंत्री कहते हैं ये जो कानून बने हैं ये किसान की भलाई के लिए बने है। उन्होने कहा कि ठीक है मान भी लेते हैं कि किसान की भलाई के लिए बनाए हैं आपने कानून। लेकिन जब किसान मना कर रहा है जब किसान कह रहा है कि भैया हमें ये कानून नहीं चाहिए तो आप वापस क्यों नहीं ले रहे हैं? क्या आप किसी की भलाई जबर्दस्ती करते हैं? क्या आपकी समझ इस देश के करोड़ों किसानों की समझ से ज्यादा है? क्या ये नहीं जानते कि इनकी भलाई के लिए क्या है, क्या नहीं है। फिर सरकार कहती है शायद समझ नहीं पाये हैं किसान कि कानून क्या है। इसलिए मैंने सोचा कि आज यहां आई हूं आपको बता देती हूं कि यह तीन कानून क्या है।
किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि वर्ष 1955 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जमाखोरी के खिलाफ कानून बनाया। क्योंकि जमाखोरी के चलते किसान पिस रहा था। आज जो पहला कानून बना है उससे इस सरकार ने जमाखोरी करने की पूरी अनुमति दे दी है। इस कानून के जरिए बड़े-बड़े खरबपति, बड़े बड़े उद्योगपति कितना भी आपसे सामान खरीद सकते हैं और कितना भी सामान जमा कर सकते हैं कोई रोक नहीं है। कोई पाबंदी नहीं है। इसका मतलब यह है कि उनकी पूरी तरह से मनमर्जी चलेगी। जब वह जहां जमा करना चाहेंगें, कर लेंगे। जब वह आपसे कहना चाहेंगे कि खरीद नहीं सकते तो कहेंग,े जब आपको कहना चाहेंगे कि आपको यह भाव नहीं मिलेगा, आज हम आपको कम कीमत देंगे तो वह भी कर सकते हैं। तो ये जो यह पहला कानून है इससे जमाखोरी बढ़ेगी और पूरी तरह से सरकार ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जमाखोरी करने की अनुमति दी है।
श्रीमती गांधी ने कहा कि दूसरा कानून यह है कि जिसको प्राइवेंट मंडी खोलनी है वह खेाल सकता है। बड़े बड़े खरबपतियों की बड़ी-बड़ी मंडियां खुलेंगी। बड़ी-बड़ी मंडियां खुलेंगी तो बहुत अच्छा है बना लें यह लोग। इसमें सरकार ने क्या कहा है। जो यह सरकारी मंडी है उसमें आपसे टैक्स लिया जाएगा और जो प्राइवेट मंडी है उसमें आपसे टैक्स नहीं लिया जाएगा। इससे क्या होगा। तमाम किसान प्राइवेट मंडी में जाएंगे, जैसे ही प्राइवेट मंडियों में जायेगें, सरकारी मंडिया बंद होना शुरू हांेगी। लेकिन सरकारी मंडी में एक चीज थी जो आपको मिलती थी- न्यूनतम समर्थन मूल्य आपको मिलता था। जैसे-जैसे प्राइवेट मंडिया आगे बढ़ेंगी और सरकार की मंडिया बंद होंगी आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना बंद हो जाएगा। इसके जरिए भी जो बड़े-बड़े खरबपति, उद्योगपति हैं फिर से अपनी मनमर्जी कर पाएंगें। मंडी उनकी है दाम वह तय करेंगे, कितना खरीदना है कब खरीदना है, वह तय करेंगे।
अब तीसरा कानून सुनिए- तीसरे कानून में यह लिखा है कि कान्ट्रैक्ट यानी ठेके पर किसानी होगी। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि बड़ा खरबपति आ सकता है आपके गांव में, और आपको कह सकता है कि देखिए आप 10-15 किसान है आपके साथ मैं कांट्रेक्ट बनाऊंगा, आप गन्ना उगाइये और इस गन्ने के लिए मैं आपको 500 रूपये दूंगा। आपने मेहनत की। गन्ना उगाया। समय आया गन्ना बेंचने का। आप उस खरबपति के पास गए। आपने उससे कहा कि आपने कहा था कि 500 रूपये में खरीदंेगे। तो यह बिल्कुल उसकी मर्जी है कि वह आपसे कहेगा कि अब हमें गन्ने जरूरत नहीं है तुम्हें किसने कहा कि 500 रूपये में खरीदेंगे हम। 200 रूपये देते हैं ले लो। फिर आप क्या करोगे? सबसे जो बड़ा जुल्म है इस कानून में वह यह है कि अगर ऐसी स्थिति पैदा हुई कि आपने कांट्रेक्ट कर लिया एक खरबपति के साथ। आपने गन्ना उगा लिया। आपके साथ उन्होने तय भी किया था कि आपको दाम देंगे। फिर वह कहता है कि भैया हमको इसकी जरूरत नहीं है, भैया आप कहीं और बेंच दीजिए, तो आप अदालत में भी नहीं जा पाएंगे? आपकी कोई भी सुनवाई नहीं होगी। ऐसा कानून बनाया है कि कोई कानून ही लागू नहीं होता इनपे। और आप सोच सकते हैं कि अगर सिर्फ उस कानून में लिखा है कि अगर आपको सुनवाई करानी है – आप एसडीएम तक जा सकते हैं उनसे बड़े अफसर हैं आप उनके पास जा सकते हैं तो आप सोच सकते हैं एक तरफ खरबपति, एक तरफ आप हैं। क्या होगा? न्याय मिलेगा आपको? उन्होने कहा कि सरकार ने जो यह कानून बनाए हैं। तीनों कानून किसान के लिए नहीं बनाये गये है। ये इनके पूंजीपति मित्रों के लिए बनाए गए हैं और यह देश अंधा नहीं है, देख रहा है 7 सालों से क्या हो रहा है देश में। देश का एक-एक देशवासी देख रहा है कि चाहे कुछ भी हो, बड़े से बड़े सरकारी उद्योग हों, वह सिर्फ दो तीन जनों को दिख रहे हैं। इन्हीं के पूंजीपति मित्र सारी मीडिया चलाते हैं इन्हीं के पूंजीपति मित्रों के द्वारा इनके चुनाव चलते हैं इन्हीं पूंजीपति मित्रों को पूरा देश सौंप दिया गया है।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि चाहे हवाई अड्डे हांे, चाहे बड़े बड़े उद्योग हों, 75 सालों में जितना भी सरकार ने काम किया, बेरोजगारी को हटाने के लिए भी जो बड़े बड़े उद्योग बने, सब बेंच डाले हैं और जो अब तक बिके नहीं है उसको बेंचने की भी योजना कर डाले हैं। तो आप सोच सकते हैं कि ऐसी सरकार आपके लिए क्या करेगी? और अगर अभी भी आपको इनसे उम्मीद है तो जरा गहराई से सोचिए कि यह आपके लिए कुछ करने नहीं वाले हैं। आज भी जब लाखों किसान इनके दरवाजे पर खड़े हैं तो वहीं प्रधानमंत्री जो अमेरिका जा सकते हैं ट्रम्प साहब के चुनाव के लिए बोल सकते हैं सभा कर सकते हैं, जो चीन जा सकते हैं जो पाकिस्तान जा सकते हैं कोई ऐसा देश नहीं है, जो इन्होने छोड़ा हो, सबने देखा और सबने टीवी में देखा, कभी कहीं स्वागत हो रहा है कभी कहीं।
श्रीमती गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने घर से दो-तीन किलोमीटर दूर 3 लाख किसानों से जो वहां पर धरना दे रहे हैं जो सिर्फ आप से यह मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी हमसे आकर बात करिए। हमारी बात सुनिए। आप दो-तीन किलोमीटर अपने घर से दूर उनके पास नहीं जा पाए। आप दुनिया घूम सक,े बड़े-बड़े हवाई जहाज खरीदी अपने लिए आपने, लेकिन आप उन किसानों की सुनवाई करने के लिए नहीं जा पाये। उल्टा क्या किया आपने? संसद में खड़े होकर मजाक उड़ाया। उन्हीं किसानों को आपने एक नया नाम दिया आंदोलन जीवी, परजीवी, परजीवी होता क्या है।
उन्होने कहा कि आप सब जानते हैं आप सब किसान हैं, आपका अपमान किया भरी संसद में। हंसते हुए आपका अपमान किया। जो 215 किसान जो शहीद हुए हैं उनमें से एक 25 साल का लड़का है। मैं कुछ दिनों पहले रामपुर गई उनकी अंतिम अरदास में। इतना दुख हुआ मैं क्या बताऊं उस परिवार से मिलकर। एक 25 साल का बच्चा, उस परिवार को लगता है कि उसको गोली मार दी गई वह शहीद हुआ। उसकी मां मेरे पास बैठी थी, पूरे समय कुछ बोली नहीं। आंखों में आंसू थे और आप संसद में खड़े होकर मजाक उड़ा रहे थे आप परिजीवी कह रहे हैं। आप के मंत्री देशद्रोही कह रहे हैं इसका मतलब है आप पहचान नहीं पाए। मोदी जी आप पहचान नहीं पाए कि देशभक्त और देशद्रोह में फर्क क्या है। एक देशभक्त शांतिपूर्वक आंदोलन में 80 दिनों से हर समस्या को झेेलते हुए सड़क पर बैठकर शांति से आपसे मांग करता है कि अपना अधिकार उसे दे दो। सिर्फ एक देशभक्त कर सकता है। आप पहचान नहीं पाए। आपने मजाक उड़ाया। उन्होने आगे कहा कि कल-परसों हरियाणा में किसी मंत्री का एक वीडियो निकला। हंस हंस के बोल रहे हैं-तो क्या हुआ 215 लोग मर गए, तो क्या हुआ घर में बैठे-बैठे भी मर जाते, और हंस रहे हैं। देखिए, मैं शहीद के परिवार की बेटी हूं। शहादत बहुत बड़ी चीज होती है। शहादत को झेलने वाला जो शहीद ही नहीं होता उसका परिवार होता है। उस दुख को दिल में रखता है जीवन भर। उसका मजाक उड़ाने का किसी का अधिकार नहीं है चाहे वह मंत्री हो चाहे वह देश का प्रधानमंत्री हो चाहे कोई भी हो, जो अपने अधिकार के लिए शहीद होता है उंगलियां उठाने का किसी को अधिकार नहीं है। जो किसान आपके दरवाजे पर खड़ा है उसका बेटा आपकी सीमा पर सुरक्षा है आपके अंगरक्षक उसी किसान के बेटे हैं अपमान करने का कोई हक नहीं है आपको, और मैं कहना चाहती हूं ये जो कानून बने हैं उसे इस देश का किसान इस देश का गरीब, संकट में है रो रहा है अपना अधिकार मांग रहा है उसे आप वापस दीजिए। इन कानूनों को रद्द कीजिए। जिन्होंने आपको सत्ता दी है उनका आदर कीजिए। जिन्होने आपको सत्ता दी है उनको अपमानित मत कीजिए।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि देखिए जिसको सत्ता मिल जाती है। दो तरह के नेता होते हैं कुछ ऐसे नेता होते हैं जिनको बहुत अहंकार हो जाता है वह भूल जाते हैं कि सत्ता देने वाला कौन है? देश के इतिहास में बार बार हुआ है कि ऐसा नेता जब अहंकार में आ जाता है तो देशवासी उसको सबक सिखाते हैं। जब देशवासी उसको सबक सिखाते हैं तब वह शर्मिंदा होता है तब वह समझता है कि उसका धर्म क्या था। लोगों को बांटने का धर्म नहीं था। लोगों को संकट में डालने का धर्म नहीं था। उसका धर्म यही था कि वह जनता के लिए काम करें। जनता का विकास करायें। सर्वप्रथम जनता को रखें और अपने आपको पीछे रखे। यह उम्मीद की जा सकती है कि नहीं- कि यह अहंकारी सरकार अपनी माया में से निकले और इन्हंे समझ में आए कि इनका धर्म क्या है मुझे नहीं लगता।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि 7 साल गुजर चुके है, 7 साल में जितने वादे किए सारे तोड़े। 7 साल में जो छोटा व्यापारी था उसकी कमर तोड़ी। किसान उसकी कमर तोड़ी। गरीब, उसको मदद नहीं किया। सिर्फ अपने बड़े-बड़े दोस्तों, अपने पूंजीपति मित्रों की मदद की। हमें उम्मीद नहीं है कि आपके लिए काम करेंगे। उन्होने उम्मीद भरे स्वर में कहा कि मुझे आप पर भरोसा है इस देश की जनता पर भरोसा है और आपसे बहुत बड़ी उम्मीद है। मुझे उम्मीद है कि आप पीछे नहीं हटेंगे। आप अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता आपके साथ खड़ा रहेगा। इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं। मेरे भाई राहुल गांधी आपके साथ हैं जिन्होंने संसद में किसानों की बात की। जिन्होंने संसद में कहा कि 2 मिनट मौन आप किसान के लिए रखिए जो शहीद हुआ है। और जितने भी सरकारी नेता थे जो सरकार के नेता थे सब अपनी जगह बैठे रहे। मजाक उड़ाते रह,े लेकिन विपक्ष का एक एक सांसद खड़ा हुआ और 2 मिनट का मौन उन्होने रखा। राहुल गांधी आपके साथ हैं। कांग्रेस पार्टी का एक एक नेता आपके साथ है एक एक कार्यकर्ता आपके साथ हैं।
श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं आज यहां आपसे कहने आयी हूं कि मैं आपका साथ नहीं छोड़ूंगी। जब जब आप संकट में होंगे मैं आपके पास मौजूद रहूंगी। मेरी जान मेरा धर्म। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आपसे आग्रह करूंगी कि जो 215 किसान, किसान आन्दोलन में शहीद हुए हैं उनके लिए आप 2 मिनट का मौन रखें। बहुत बहुत धन्यवाद।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…