*घर-घर लोक अदालत का बार एसोसिएशन ने किया विरोध,*
*मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र*
*नई दिल्ली।* आगामी 14 फरवरी को दिल्ली में मेगा लोक अदालत का आयोजन होना है। कोविड-19 के खतरे को देखते इस बार न्यायिक अधिकारियों ने लोक अदालत को घर-घर लोक अदालत का नाम दिया है। इन विशेष अदालतों को जिला स्तर पर रिहायशी इलाकों में लगाने का निर्णय किया गया है। लेकिन दिल्ली की जिला अदालतों की बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने इसका विरोध किया है।
समन्वय समिति की तरफ से दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रमुख को पत्र लिखकर इसका विरोध किया है। समिति का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण पहले ही वकील आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में लम्बे समय से अदालतों को पूरी तरह खोलने व नियमित सुनवाई की मांग कर रहे वकीलों का कहना है कि इस तरह लोक अदालत लगाने से वकीलों के लिए और मुश्किल खड़ी की जा रही है। समन्वय समिति के अध्यक्ष संजीव नासियार ने समन्वय समिति की तरफ से मुख्य न्यायाधीश से गुहार लगाई है कि वह सातों जिला अदालतों में लोक अदालत लगाने के आदेश दें, ताकि वकीलों को रोजी-रोटी चलाने का अवसर मिले। साथ ही समन्वय समिति की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि कोविड-19 के तहत जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
इस पत्र में यह भी कहा गया है कि इस बाबत ना मीडिया और न ही बार एसोसिएशन को अवगत कराया गया कि इस बार घर-घर लोक अदालत की अवधारणा पर लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इस पत्र के माध्यम से साकेत बार एसोसिएशन के सचिव एव समन्वय समिति के सदस्य अधिवक्ता धीर सिंह कसाना ने तत्काल इस आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है।