झीलों का शहर नैनीताल….

झीलों का शहर नैनीताल….

 

नैनीताल को पी. बेरून नामक व्यक्ति द्वारा वर्ष 1841 में स्थापित किया गया था। पी. बेरून पहला यूरोपियन था। नैनीताल अंग्रेजों का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय था। 1847 में नैनीताल मशहूर हिल स्टेशन बना, अंग्रेज इसे समर कैपिटल भी कहते थे। तब से लेकर आज तक यह अपना आकर्षण बरकरार रखे हुए है। अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल शिक्षा का भी बड़ा केंद्र बनकर उभरा। अपने बच्चों को बेहतर माहौल में पढ़ाने के लिए अंग्रेजों को यह जगह काफ़ी पसंद आई थी। उन्होंने अपने मनोरंजन के लिए भी व्यापक इंतजाम किए थे। पहाड़ियों से घिरी नैनी झील और इसके आस-पास की तमाम झीलें आकर्षण का केंन्द्र बन गयी थीं और प्रत्येक यूरोपियन नागरिक यहां बसने की लालसा लेकर आने लगे। बाद में ब्रिटिश-भारतीय सरकार ने नैनीताल को यूनाइटेड प्रोविन्सेज की गर्मियों की राजधानी घोषित कर दिया और इसी दौरान यहां तमाम यूरोपीय शैली की इमारतों का निर्माण हुआ, गवर्नर हाऊस और सेन्ट जॉन चर्च इस निर्माण कला के अद्भुत उदाहरण है। नैनीताल और उसके आस-पास ऐसी बहुत सारी जगहें हैं, जो आपका मन मोह लेंगी। अपने टूर के दौरान आप इन जगहों को देख सकते हैं:-

 

नैनी लेक:- नैनीताल में घुसते ही सबसे पहले आपको नैनी झील नजर आएगी। नैनीताल इसी झील के किनारे स्थित है। इस झील से दिखाई देते हरे घने जंगलों और ऊंची-ऊंची पहाड़ियों का नजारा वाकई मन को मोह लेने वाला है। इस झील से आप पूरे नैनीताल को एक नजर में देख सकते हैं। इस झील के पानी में जब सुबह की सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो पानी की लहरों में दिखाई पड़ती झिलमिलाहट मन को हर लेती है। यह चारों तरफ से सात पहाड़ियों से घिरा है। यहां पर लेक में वोटिंग भी एंजॉय की जा सकती है।

 

स्नो व्यू:- यह जगह शहर से 2.5 किलोमीटर की दूरी पर है। अगर आप वॉक करने के शौकीन हैं, तो पहाड़ी घने हरे-भरे जंगल से होते हुए 30 से 40 मिनट में यहां तक पहुंच जाते हैं। अगर आप वॉक नहीं करना चाहते, तो आप रोप वे से पांच से दस मिनट में यहां पहुंच जाएंगे। कुदरती सौंदर्य से सराबोर नेचरल ब्यूटी से सरोबार इस जगह से आप दूर-दूर तक की पहाड़ियों का मनमोहक दृश्य दूरबीन से देख सकते हैं।

 

नैना पीक और चाइना पीक:- नैना पीक 2611 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी है। यहां से आप हिमालय का बेहद खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। इतना ही नहीं यहां से आप दूरबीन की मदद से नैनीताल के चारों ओर की खूबसूरत जगहों को भी निहार सकते हैं।

 

गर्नी हाउस:- पहले यह जिम कॉर्बेट का घर था, जो आयरपत्ता पहाड़ी पर स्थित है। यहां अब एक म्यूजियम है, जिसमें जिम कॉर्बेट की तमाम चीजों को बहुत सहेजकर रखा गया है।

 

सेंट जॉन चर्च:- इस चर्च की स्थापना 1844 में की गई थी और यह नैनीताल की उत्तरी दिशा में मल्लीताल में स्थित है। नैनी देवी मंदिर से यह चर्च लगभग आधा मील की दूरी पर है।

 

टिफिन टॉप और डोरती सीट:- यह शहर से चार किलोमीटर की दूरी पर आयरपत्ता जिले में स्थित है। टिफिन टॉप से आप हिमालय का खूबसूरत व्यू देखने के साथ ही आस-पास की खूबसूरत जगहों को भी देख सकते हैं। इसे एक ब्रिटिश पेंटर महिला की याद में बनाया गया है। इसे उनके हसबेंड ने उनकी मौत के बाद उनकी याद में तैयार करवाया था।

 

किलबरी:- यह जगह 2194 मीटर की ऊंचाई पर स्थित और नैनीताल से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप शांति और नेचरल वातावरण में छुट्टी मानने के इच्छुक हैं, तो यह जगह आपके लिए बेस्ट रहेगी। अगर रुकने का मन कर जाए, तो यहां के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में इसकी भी व्यवस्था है।

 

रानीखेत:- यह नैनीताल से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चीड़ के पेड़ों से घिरा एक हिल स्टेशन है। कहा जाता है कि रानी पद्मिनी को यह जगह बेहद भा गई थी और तभी से इसे रानीखेत के नाम से जाना जाता है। इसका मतलब है क्वीन फील्ड। यह समुद्री तट से 1829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और टूरिस्टों के बीच बेहद पॉप्युलर है।

 

मुक्तेश्वर:- फलों के बगीचों और घने जंगलों से घिरा मुक्तेश्वर अपने कुदरती सौंदर्य से भरपूर नजारों के लिए पॉप्युलर है। 1893 में ब्रिटिशर्स ने यहां पर रिसर्च व एजुकेशन इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) की स्थापना की थी। यहीं पास पर बना भगवान शिव का मंदिर भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

 

कैसे जाएं:- नैनीताल देश के प्रमुख नगरों से रेल व बस सेवा द्वारा जुड़ा है। यह दिल्ली से 310 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

 

ट्रेन से:- काठगोदाम को द गेटवे ऑफ कुमाऊं हिल्स के नाम से भी जाना जाता है। यह नैनीताल से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कई बड़े शहरों मसलन दिल्ली, देहरादून, लखनऊ वगैरह से यह ट्रेन मार्ग से जुड़ा है। यह नैनीताल से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। ट्रेन से पहुंचने के बाद उससे आगे का सफर टैक्सी या बस से तय किया जा सकता है।

 

बस से:- नैनीताल से दिल्ली, लखनऊ, कानपुर जैसे तमाम बड़े शहरों के लिए सीधी बस सेवा है। प्राइवेट बसों के साथ- साथ यहां यूपी, हरियाणा और राजस्थान रोडवेज की भी अच्छी सर्विस है। वैसे आप टूर ऑपरेटर के जरिए कोच बस सेवा की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं।

 

वायु मार्ग:- नैनीताल पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट नई दिल्ली पालम में स्थित है। यहां नैनीताल से 310 किलोमीटर की दूरी पर है। नजदीकी इंटरनैशनल एयरपोर्ट इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…