मृत्यु के बाद वह अन्य देवताओं में मिल जाते हैं…

मृत्यु के बाद वह अन्य देवताओं में मिल जाते हैं…

 

मिस्र के पिरामिडों का निर्माण सम्राट व महारानियों के शवों की सुरक्षा के लिए किया जाता था। शवों के साथ इनमें कीमती वस्तुएं भी रखी जाती थीं। मिस्रवासी मानते थे कि उनका सम्राट किसी देवता का वंशज है। वे मानते थे कि मृत्यु के बाद वह अन्य देवताओं में मिल जाता है।

 

प्राचीन मिस्र में सम्राट अपने जीवनकाल में ही बड़ा-सा मकबरा मृत्यु के बाद दफनाने के लिए बनवाता था। इसी मकबरे को पिरामिड कहा जाता है। यह पिरामिड त्रिभुजाकार होता था। सम्राट का शव रखने के लिए चट्टान को काटकर पिरामिडनुमा कब्र बनाई जाती थी। पिरामिड को बनाने में बहुत सारे पत्थर लगते थे। ये पत्थर नील नदी को पार करके लाए जाते थे।

 

मिस्र में लगभग 80 पिरामिड हैं जिनमें से तीन पिरामिड अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। इनमें सबसे ऊंचा है चिओप्स जिसकी ऊंचाई 481 फुट है, क्षेत्रफल 15 वर्ग एकड़ तथा इसका भार 550,000,000 कविंटल माना जाता है। इसमें पत्थरों के 32 लाख टुकड़े लगे। चार हजार मजदूरों ने इसका निर्माण किया और इसे बनाने में लगभग 30 वर्षों का समय लगा। सबसे ज्यादा ऊंचाई वाला पिरामिड पहले दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक था।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…