लावारिसों का सहारा बानी उनकी “उम्मीद’…
लखनऊ 8 फरवरी। लावारिसों कि सेवा में उम्मीद संस्था के लोग हमेशा से तत्पर दिखाई पड़ते है। इनका नारा ही है –
मत समझ लावारिस अपने को भाई।
हम है तेरे – चल रैन बसेरे मेरे भाई।।
देखने वाली बात है कि रोज लाखो की तादाद में लोग हजरतगंज क्षेत्र से निकलते है, परंतु हम अपनी जिंदगी में इतना व्यस्त हो गए है कि हमारे पास अपने परिवार के लिए समय नही रह गया है, तो फिर सड़क पर पड़े कई दिनों से भूखे प्यासे ठंड से कापते हुए अनजान लोगों के लिए समय कहा होगा। लालबाग लीला सिनेमा के पास कई दिनों से एक व्यक्ति बहुत बुरे हालातों में लावारिसो की तरह पड़ा हुआ था। सुनील सिंह नाम के एक व्यक्ति अपने किसी काम से लालबाग गए तो उन्हीने इस व्यक्ति को देखा और उसके बारे में पता किया। बस इतना पता चला कि कई दिनों से यही नाली के पास पड़ा हुआ है, सुनील जी के अंदर के इंसान ने उन्हें झंझोड़ा और सुनील जी ने फेसबुक से उम्मीद संस्था का नंबर निकाला और उन्हें फ़ोन किया। संस्था के रोहित लालबाग पहुचे और उस व्यक्ति को रैन बसेरे ले जाने के लिए प्रयास किया। कोई भी ऑटो वाले उस व्यक्ति को ले जाने के लिए तैयार नही हो रहा था शायद उनका ऑटो गंदा हो जाएगा। फिर उन्होंने रिकशा वालो से निवेदन किया तो बहुत ही मुश्किल से एक रिक्शा वाला तैयार हुआ और सबकी मदद से इस व्यक्ति को जियामऊ रैन बसेरे लेकर गए। रैन बसेरे में रहने वाले लोगो की मदद से तुरंत उसको नहला के उसके कपड़े बदले गए और उसको खाना खिलाया।
संस्था के सदस्यों का कहना है कि यह सब करने से ऐसा महसूस होता है कि सारे तीर्थ और हज इनकी यही कर लिए। ईश्वर भी यही कहते है कि अगर मुझे ढूंढना है तो तीर्थ और काबो में नही बल्कि मेरे इंसान की सेवा करो मै तुझे तेरे मन के अंदर ही मिल जाऊंगा और वो सुकून दूंगा जो तुझे कही नही मिलेगा।
इन्होने आमजन से अपील कि है कि अपने शहर को अपना ही समझे और अपनों की मदद करने में अपना योगदान दे, जिससे किसी को नई जिंदगी मिल सके।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…