चीन से आयी पर्यावरण के लिए एक अच्छी ख़बर…
लखनऊ 29 जनवरी। दुनिया के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक चीन में कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में कोयले से उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी पहली बार हुई 50 फ़ीसद से कम, बढ़ी गयी है अक्षय ऊर्जा क्षमता।
चीन दुनिया को हैरान करने से नहीं चूकता। हम और आप भले ही उससे त्रस्त हों, लेकिन चीन अपनी दुनिया में मस्त और व्यस्त है। उसे जो करना होता है वो करता है और बाकी दुनिया देखती रह जाती है। मसलन दुनिया के कुल कार्बन उत्सर्जन के करीब 28 फ़ीसद के लिए अकेले चीन ही ज़िम्मेदार है लेकिन उसके उत्सर्जन पर लगाम लगाने की कोई ख़ास वैश्विक पहल नहीं दिखती। हाँ, चीन ने ख़ुद घोषणा ज़रूर कर दी है अपने उत्सर्जन को अगले दशकों में कम करने की। साथ ही, आये दिन चीन से पर्यावरण के लिए सकारात्मक कदमों की कोई न कोई ऐसी खबर आ जाती है कि उत्सर्जन के लिए आलोचना करना मुश्किल होता है।
मसलन चीन ने इतने ज़ोर-शोर से पौधारोपण करना शुरू कर दिया है कि उसके द्वारा उत्सर्जित आधी कार्बन डाइऑक्साइड तो उसके जंगल ही सोख लेते हैं और अब, एक ताज़ा घटनाक्रम से पता चलता है कि वर्ष 2020 में चीन में न सिर्फ 120 गीगा वाट सौर और वायु ऊर्जा प्लांट स्थापित किए गए, बल्कि कुल बिजली उत्पादन में कोयला उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी पहली बार 50 फ़ीसद से नीचे भी आ गई। कोयला बिजली उत्पादन कार्बन उत्सर्जन का एक बड़ा कारक होता है। जब दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही थी, तब वर्ष 2020 में चीन में अक्षय ऊर्जा की क्षमता रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। इस साल चीन में 120 गीगावॉट सौर और वायु बिजली परियोजनाएं स्थापित की गयीं, जिनकी वजह से अक्षय ऊर्जा क्षमता में साल दर साल 29 फीसद की अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखी गई। इस दौरान कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में कोयले से उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी पहली बार 50 फ़ीसद से कम हो गई। चीन के नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन और चाइना पावर न्यूज़ के ताजा आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। चीन का सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत कोयला खुद ही अक्षय ऊर्जा के तेजी से विस्तार का रास्ता बनते हुए देख रहा है।
चीन की बिजली उत्पादन क्षमता वर्ष 2020 में लगभग 200 गीगावाट बढ़ी है। इसके साथ ही इस देश में कुल ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़कर 2200 गीगावॉट से ऊपर चली गई है। कुल बिजली उत्पादन में सौर तथा वायु ऊर्जा की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जबकि कोयला उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी और सिकुड़ी है। इसके अलावा कोयले से बनने वाली बिजली के उपयोग की औसत दर में भी लगातार गिरावट का रुख है।
सौर और वायु बिजली उत्पादन क्षमता में हुई तेजी से बढ़ोत्तरी के अनेक कारण माने जाते हैं:-
1- चीन में वर्ष 2019 में 20 गीगावॉट से ज्यादा उत्पादन क्षमता वाली वायु ऊर्जा परियोजनाएं तैयार की गई लेकिन उन्हें वर्ष 2020 में ही ग्रिड से जोड़ा गया।
2- सब्सिडी समय सीमा की शर्त को पूरा करने के लिए ऑन शोर विंड और सौर परियोजनाओं को तेजी से जोड़ा गया।
3- चीन के नेशनल एनर्जी एडमिनिस्ट्रेशन ने सितंबर 2020 में एक नोटिस जारी करके ग्रिड कंपनियों से कहा कि वे ग्रिड से जोड़ी गई नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़े और अप्रत्याशित तेजी को संभालें। इससे भविष्य में अक्षय ऊर्जा के विस्तार के लिए और जगह देने का स्पष्ट नीतिगत संकेत मिलता है। आइये इस पूरे घटनाक्रम पर विशेषज्ञों की राय जान लें।
ड्रावर्ल्ड एनवायरनमेंट रिसर्च सेंटर के मुख्य अर्थशास्त्री, डॉक्टर झांग शूवे, कहते हैं, “ताजा आधिकारिक आंकड़े यह बताते हैं कि वर्ष 2020 में चीन में 120 गीगावॉट से भी ज्यादा सौर तथा वायु ऊर्जा क्षमता बढ़ी है। हालांकि वायु ऊर्जा से संबंधित क्षमता का एक बड़ा हिस्सा वर्ष 2019 में बनाया गया था, लेकिन इसे वर्ष 2020 में लागू किया गया। मगर अब भी यह बहुत स्पष्ट है कि अक्षय ऊर्जा के इस तीव्र विस्तार के प्रभावों को कम करके नहीं आंका जा सकता।” वो अपनी बात आगे बढाते हुए कहते हैं, “इससे जाहिर होता है कि वर्ष 2060 में कार्बन से पूरी तरह मुक्ति हासिल करने की घोषणा से ऊर्जा क्षेत्र के सभी हितधारकों की अपेक्षाओं और व्यवहार में पहले ही बदलाव देखा जा रहा है। ऐसी अपेक्षा है कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधान के बावजूद आने वाले वर्षों में भी चीन में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से विकास जारी रहेगा। इस अवसरवादी नजरिए में ग्रिड कंपनियों के लिए जरूरी है कि वह अपने सिस्टम ऑपरेशन को तेजी से सुधारें और अक्षय ऊर्जा से जुड़ने की अपनी क्षमता का तेजी से निर्माण करें।”
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नॉर्वे के सबसे बड़े पेंशन फंड रिस्पांसिबल इन्वेस्टमेंट एंड केएलपी की प्रमुख जीनेट बरगैन, कहते हैं, “वायु ऊर्जा क्षमता निर्माण के मामले में चीन नित नए रिकॉर्ड बना रहा है और सौर ऊर्जा उत्पादन में मजबूत बढ़ोत्तरी जारी रहने से यह देश अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा देश बन गया है। वैश्विक निवेशक आने वाली 14वीं पंचवर्षीय योजना का सांसें थाम कर इंतजार कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि बिजली उत्पादन के लिए कोयले का इस्तेमाल चरणबद्ध ढंग से खत्म हो जाएगा और सौर तथा वायु ऊर्जा से संबंधित मजबूत उद्योगों को तरजीह मिलेगी और बैटरी स्टोरेज के साथ उन्हें सुपर चार्ज किया जा सकता है। प्रदूषण फैलाने वाले कोयले की अब जरूरत नहीं है क्योंकि उसके विकल्प मौजूद हैं और उनका तेजी से विकास हो रहा है।”
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…