मजबूत कृषि से आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल…
कृषि कानूनों पर न्यायालय के फैसले का होगा सम्मान: कोविंद…
नई दिल्ली, 29 जनवरी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को आत्मनिर्भर कृषि से और मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के तीन नए कानूनों को व्यापक विमर्श के बाद पारित किया गया था और सरकार अब इन पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का अनुपालन करेगी। उन्होंने कहा कि इसी सोच के साथ सरकार ने बीते छह वर्षों में बीज से लेकर बाज़ार तक हर व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन का प्रयास किया है, ताकि भारतीय कृषि आधुनिक बने और खेती का भी विस्तार हो। संसद के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, ‘‘सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करते हुए लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने का फैसला किया है। सरकार आज न सिर्फ एमएसपी पर रिकॉर्ड मात्रा में खरीद कर रही है बल्कि खरीद केंद्रों की संख्या भी बढ़ा रही है।’’ कृषि कानूनों के संदर्भ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘संसद ने व्यापक विमर्श के बाद सात महीने पूर्व तीन महत्वपूर्ण कृषि सुधार, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, कृषि (सशक् तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक पारित किए। इन कृषि सुधारों का सबसे बड़ा लाभ भी 10 करोड़ से अधिक छोटे किसानों को तुरंत मिलना शुरू हुआ।’’ उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को होने वाले इन लाभों को समझते हुए ही अनेक राजनीतिक दलों ने समय-समय पर इन सुधारों को अपना भरपूर समर्थन दिया था। देश में अलग-अलग मंच पर, देश के हर क्षेत्र में दो दशकों से जिन सुधारों की चर्चा चल रही थी और जो मांग हो रही थी, वह सदन में चर्चा के दौरान भी परिलक्षित हुई। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ वर्तमान में इन कानूनों के क्रियान्वयन को देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।’ कोविंद ने कहा , ‘‘ सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा को सर्वोपरि रखने वाली सरकार, इन कानूनों के संदर्भ में पैदा किए गए भ्रम को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है। सरकार ने लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी और शांतिपूर्ण आंदोलनों का हमेशा सम्मान किया है। लेकिन पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि कृषि क्षेत्र में एक या दो हेक्टेयर जमीन वाले छोटे और सीमान्त किसानों विशेष ध्यान देने की जरूरत है और सरकार ऐसा ही कर रही है। देश में 80 प्रतिशत किसान ‘छोटे’ की श्रेणी में आते हैं और इनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक है। कोविंद ने कहा कि ऐसे किसानों के छोटे-छोटे खर्च में सहयोग करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के जरिये उनके खातों में लगभग 1,13,000 करोड़ रुपये से अधिक डाले गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी देश के छोटे किसानों को हुआ है। इस योजना के तहत पिछले पांच वर्ष में किसानों को 17,000 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में और लगभग 90,000 करोड़ रुपये की राशि मुआवजे में मिली है। उन्होंने कहा कि देश के छोटे किसानों को जोड़कर 10 हजार किसान उत्पादक संगठन बनाने से उन्हें (छोटे किसानों) भी संपन्न किसानों की तरह बेहतर तकनीक, ज्यादा ऋण, कटाई के बाद प्रसंस्करण और विपणन की सुविधाएं और प्राकृतिक आपदा के समय सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। इससे किसानों को अपनी फसल की ज्यादा कीमत और ज्यादा बचत का विकल्प भी मिला है। राष्ट्रपति ने कहा कि आज कृषि के लिए उपलब्ध सिंचाई के साधनों में भी व्यापक सुधार आ रहा है। ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के मंत्र पर चलते हुए सरकार पुरानी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के साथ ही सिंचाई के आधुनिक तरीके भी किसानों तक पहुंचा रही है। 2013-14 में जहां 42 लाख हेक्टेयर जमीन में ही सूक्ष्म-सिंचाई की सुविधा थी, वहीं आज 56 लाख हेक्टेयर से ज्यादा अतिरिक्त जमीन को इससे जोड़ा जा चुका है। कोविंद ने कहा कि देश में आज खाद्यान्न उपलब्धता रिकॉर्ड स्तर पर है। वर्ष 2008-09 में जहां देश में 23.4 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार हुई थी, वहीं साल 2019-20 में यह बढ़कर 29.6 करोड़ टन तक पहुंच गयी है। इसी अवधि में सब्जी और फलों का उत्पादन भी 21.5 करोड़ टन से बढ़कर अब 32 करोड़ टन तक पहुंच गया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …