स्वस्थ रहना है तो रहें स्वच्छ…
स्वस्थ रहने के लिए जहां उचित एवं पौष्टिक आहार तथा उचित आराम जरूरी है, वहीं स्वच्छता भी अनिवार्य है। अंदर तथा बाहर, दोनों प्रकार की सफाई होती रहे तो शरीर तंदरूस्त बना रहेगा तथा हम स्वस्थ रहकर अच्छा जीवन जी पाएंगे।
-वस्त्र, विशेषकर अंडरगारमेंट्स तो पूरी तरह साफ रखें। बनियान तथा अंडरवियर प्रतिदिन धोने चाहिए। इससे पसीने की दुर्गन्ध से भी बचेंगे।
-जहां रहना है, सोना है, काम करना है, बिस्तर वगैरह पूरी तरह साफ रखें। इससे मन भी प्रसन्न रहेगा।
-शरीर को अंदर से साफ करने के लिए यदि नेति आदि कर सकें तो ठीक वरना 10-11 गिलास पानी पीकर पसीने व पेशाब के जरिये शुध्द कर सकते हैं।
-ताजा व खुले पानी से प्रतिदिन स्नान करें। सर्दी के मौसम में यदि गुनगुने पानी से नहानी चाहें तो कोई हर्ज नहीं बल्कि अच्छा है।
-सदा स्वच्छ जल पीएं, दूषित कभी नहीं। जिन बर्तनों में खाना खाएं, वे भी स्वच्छ हों। साफ हाथों से पूरी सफाई का ध्यान रखते हुए भोजन तैयार करें। ढाबों के खाने से बचें।
-बर्तन धोने के लिए विम तथा सर्दियों में गर्म पानी और कीटनाशक पदार्थ का प्रयोग करें। इस प्रकार स्वच्छता रखने से उत्तम स्वास्थ्य मिलेगा।
-किसी अन्य व्यक्ति (भले ही परिवार का सदस्य ही क्यों न हो-द्वारा प्रयोग किया गया ब्रश, तौलिया, कंधा आदि प्रयोग न करें।
-बाजार में बिक रहे कटे फल, चाट आदि मत खाएं। उन पर धूल, मक्खी आदि कीटाणु छोड़ सकती है। अपना बचाव स्वयं करें।
-बासी भोजन कभी न खाएं। बिना धोये फल-सब्जी प्रयोग में न लाएं, चाहे घर में ही हों। बिना ढंका खाना मत खाएं।
-दूसरे व्यक्ति के जूठे बर्तन, गिलास या भोजन इस्तेमाल न करें।
-एक बिस्तर पर अकेले सोने की आदत हो। साथ सुलाने से बेआराम तो होंगे ही, सांस भी दूषित होती है।
-स्वच्छता हेतु हर बार कुछ खा लेने के बाद कुल्ला करें। दांतों में कोई खाद्य पदार्थ फंसा न रहे। भोजन के बाद दातुन या ब्रश अवश्य करें।
-यदि घर में कोई रोगी हो तो पूरी स्वच्छता बनाए रखें। उसके कारण किसी अन्य सदस्य को रोग न लिपट जाए।
-भीड़ आदि में कम से कम आएं। स्वच्छ व खुले वातावरण में ही जाएं और नाक से श्वास लेने की आदत हो।
-रोगी व्यक्ति के बिस्तर पर या उसके साथ सटकर न बैठें।
अगर आप अपने शरीर तथा आस-पास के वातावरण की सफाई रखेंगे, तभी अवश्य रहना संभव होगा।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट …