चिन्ता से बचिए…

चिन्ता से बचिए…

 

आजकल विश्व की संभवतः सबसे प्रमुख व्यक्तिगत समस्या है ‘चिन्ता। प्रायः सभी स्त्री-पुरुष भली-भांति जानते हैं कि चिन्ता करना हानिकारक है लेकिन फिर भी चिंतित रहते हैं। यह देखा गया है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक चिंताग्रस्त रहती हैं। कभी गृहस्थी की चिंता, तो कभी रोटी की चिंता, कभी इसकी चिंता कभी उसकी, कभी गंभीर चिंता तो कभी सामान्य चिंता अर्थात् चिन्ता उन्हें किसी न किसी रूप में घेरे रहती है।

चिंता हमारी शक्तियों का ह्रास करती है, विचारों को भ्रांत बनाती है तथा स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है। जिस समय हम चिंता कर रहे होते हैं उस समय हमारे सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है क्योंकि चिंता एकाग्रता को खत्म करती है। जब हम चिंतित रहते हैं तो हमारे विचार सर्वत्र भटकते रहते हैं और हम निर्णय करने की शक्ति से हाथ धो बैठते हैं।

अक्सर हमारी चिंताएं किसी न किसी प्रकार की मूर्खतापूर्ण कल्पनाओं से भरी होती हैं। हम अपना जीवन बहुत सी ऐसी बातों की चिंता में व्यतीत करते हैं जो वास्तव में कभी नहीं होती। यदि ध्यान से सोचें तो आपको स्मरण हो जाएगा कि अपने जीवन की किसी महत्वपूर्ण घटना से पूर्व आपका मन कई दिनों या कई महीनों तक बेचैन रहा था जैसे परीक्षा परिणाम से पूर्व, किसी पद ग्रहण करने से पहले या फिर कोई महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले।

उस समय आपको यही आशंका घेरे रहती है कि कहीं आपका अनुमान गलत न हो जाए अथवा कहीं आप असफल न हो जाएं। उस समय उस आशंका, चिंता या भय के कारण आपका मन भारी-भारी रहता था, आप अपने को अस्वस्थ, अप्रकृत अनुभव करते थे किन्तु उस समय आपने इस सत्य पर विचार नहीं किया था कि वह आशंका का भूत आपके अपने ही मन की रचना थी। इस प्रकार अनेक महिलाएं अपने ही मन की पैदा की हुई चिंताओं से कष्ट पाती रहती हैं और अपना जीवन बर्बाद कर लेती हैं। चिंता से मुक्त होने के कुछ उपाय जानिए–यदि आप चिन्ता से दूर रहना चाहते हैं तो आज की परिधि में रहिए। भविष्य की चिंता मत कीजिए। रोज नयी जिंदगी का श्रीगणेश कीजिए।

-स्मरण रखिये कि ‘आजवही’ कलहै जिसकी आपने कल चिंता की थी।

-अनेक चिंताएं समय बीतने पर स्वतः ही हल हो जाया करती हैं, अतः चिंता करना व्यर्थ है।

-चिंता निवारण का एक सरल उपाय है कि व्यस्त रहा कीजिए ताकि चिंता का अवसर ही न मिले।

-चिंता एवं थकान रोकने के लिये काम करने में अपना उत्साह बढ़ायें व काम को उसके महत्व के अनुसार प्रधानता दीजिए।

-अपनी भूलों का लेखा रखिए एवं अपनी आलोचना स्वयं कीजिए। इससे चिंता दूर करने में मदद होगी।

-चिंता से दूर भागकर उससे बचा नहीं जा सकता पर उसके प्रति अपने मानसिक रवैये को बदलने से उसे दूर किया जा सकता है।

-आज जिस समस्या को लेकर आप चिंतित हैं, हो सकता है कि समय उसे अपने आप हल कर दे।

-अपनी कठिनाइयों को उनके सही रूप में देखने का प्रयास करें। जिस चिंता को हमने कुछ दिनों बाद भुला ही देना है तो उसे आज ही क्यों करें।

-कोई रोचक पुस्तक पढ़िये, उसमें इतान लीन हो जाइये कि चिंता खत्म हो जाए।

-चिंता से बचने के लिये उत्साह एवं स्फूर्ति के साथ जीवन बिताइए।

-तथ्यों का आंकलन कीजिए। संसार में आधी चिंताएं तो इसलिए होती हैं कि लोग अपने निर्णय के आधार को जाने बिना ही निर्णय लेने का प्रयास करते हैं।

-अपने मस्तिष्क में शांति, साहस, स्वास्थ्य और आशा के विचार रखिए। हमारा जीवन हमारे विचारों जैसा ही होता है।

-दूरस्थ तथा संदिग्ध कार्यों को छोड़ सन्निकट एवं निश्चित कार्यों को हाथ में लेना ही हमारा ध्येय होना चाहिये। इससे चिंता स्वतः ही खत्म होती है।

-कल पर विचार अवश्य कीजिए, उस पर मनन कीजिए, योजनाएं बनाइए, तैयारी कीजिए, किन्तु उसके लिये चिंतित मत होइए।

-यदि आपके पास समस्या पर निर्णय लेने के लिये आवश्यक तथ्यों हो तो उसे वहीं, उसी समय हल कर लीजिए।

यदि आप उपरोक्त तथ्यों पर ध्यान देंगी तो अवश्य ही आपकी चिंताएं समाप्त हो जाएंगी।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…