खून की कमी से जूझ रहे हैं सभी ब्लड बैंक…
कोरोना काल में आई रक्तदान में भारी कमी…
नई दिल्ली। कोरोना काल में खून की कमी से ब्लड बैंक ‘कमजोर’ हो गए हैं। कमजोरी इतनी है कि अब ब्लड बैंक अपने ही अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों को रक्त उपलब्ध करवाने में असहाय हैं। यह कहना है पी.आर.ऍफ़.के संस्थापक अभिमन्यु गुलाटी का।
दरअसल, कोरोना महामारी ने जहां दुनिया भर में आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है, वहीं लोगों की नौकरियां भी छिन गई। यह अदृश्य वायरस अभी भी सक्रिय है और इसकी सक्रियता से कई प्रतिकूल प्रभाव पैदा हुए हैं। श्री गुलाटी कहते हैं इन्सान की रगों में दौड़ने वाला रक्त किसी प्रयोगशाला में तैयार नहीं किया जा सकता। रक्त के लिए रक्तदान ही करना होता है। दूसरी तरफ कोरोना काल में रक्तदान शिविर न लगने के कारण रक्त की आपूर्ति ना के बराबर है।
श्री गुलाटी कहते हैं उत्तर -पूर्वी दिल्ली के गुरु तेगबहादुर अस्पताल सहित अन्य सरकारी एवं निजी अस्पतालों के ब्लड बैंक इन दिनों खून की कमी से जूझ रहे हैं। या यूं कहें कि ब्लड बैंक ही अनिमिया अथवा खून की कमी का शिकार हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाने माने गुरु तेगबहादुर अस्पताल के ब्लड बैंक में हमेशा जरूरत से ज़्यादा यूनिट रक्त रहता था, लेकिन अब यहां रक्त के जरूरतमंद मरीजों और उनके तीमारदारों को बहुत बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्य तमाम सरकारी और निजी अस्पतालों का है।
कारण स्पष्ट है कोरोना काल में “स्वैच्छिक रक्तदान” करने वाले लोग यह महादान नहीं कर पा रहे हैं। लॉकडाउन में छूट के बाद कुछ रक्तदानी ब्लड बैंकों में आकर रक्तदान कर रहे हैं, लेकिन मांग व आपूर्ति के अनुपात में यह रक्त बहुत कम है।
रक्त की कमी का सर्वाधिक प्रभाव थैलेसीमिया प्रभावित बच्चों पर पड़ रहा है। इन्हें प्रतिमाह दो से तीन बार रक्त की जरूरत पड़ती है। गुरु तेगबहादुर अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में इन बच्चों को रक्त चढ़ाया जाता है। इन दिनों जब खून की कमी है तो ब्लड बैंक का स्टाफ भी रक्त देने से इन्कार कर रहा है।
हालांकि कुछ गैरसरकारी संस्थाओं/सामाजिक संगठनों द्वारा इन बच्चों को रक्त उपलब्ध करवाने के लिए अपने स्तर पर रक्तदान शिविर लगाए जा रहे हैं। दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी ने रक्तदान शिविरों पर विराम सा लगा दिया है।
इधर, लॉकडाउन खुलने के बाद से सड़क हादसों में भी वृद्धि हुई है। वहीं गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी के दौरान तो रक्त की जरूरत पड़ती ही है। इसी प्रकार सामान्य ऑपरेशन में भी रक्त चाहिए। इन सभी जरूरतों को पूरा करने में ब्लड बैंक अक्षम साबित हो रहे हैं।
100 से अधिक बार स्वयं रक्तदान कर चुके और रक्तदान के क्षेत्र में विगत् 26 वर्षों” से सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और पीपुल्स राइट्स फ्रंट के संस्थापक प्रमुख अभिमन्यु गुलाटी का कहना है कि मुझसे कोरोना काल में भी कई लोगों ने फोन कर रक्त की मांग की।
उन्होंने कहा कि मैं जितना रक्त उपलब्ध करवा सकता था मैंने करवाया, लेकिन यह जरूरी है कि सरकार रक्तदान शिविर लगाने की जरूरी अनुमति एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करे अन्यथा ब्लड बैंकों में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।
अभिमन्यु गुलाटी ने कहा कि उन्होंने स्वयं भी कोरोना काल में रक्तदान किया। उनका कहना है कि इस संकटकाल में ब्लड बैंकों में रक्त की कमी न हो, सरकार यह सुनिश्चित करे।
गुलाटी ने जानकारी देते हुए कहा कि सामाजिक संगठन द्वारा आगामी 25 दिसम्बर, दिन शुक्रवार को प्रातः 11.00 बजे। भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती के अवसर पर “रक्तदान शिविर” का आयोजन हर वर्ष की भांती इस वर्ष भी, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के शाहदरा स्थित मानसरोवर पार्क, डी.डी.ए. फ्लैट्स में समुदाय भवन के निकट किया जाएगा।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…