कुशीनगर में अब घटने लगा है कोयंबटूर 0238 प्रजाति का क्षेत्रफल : जिला गन्ना अधिकारी…
कुशीनगर, 07 दिसंबर। पिछले कई वर्षों से जो प्रजाति जिले में गन्ना का रकबा बढ़ाने में अधिक मददगार साबित हुई, उसी से अब किनारा किया जा रहा है। क्योंकि इस प्रजाति के गन्ने की फसल में रोग लगने लगा है, जिससे जनपद के अंदर गन्ना के क्षेत्रफल में 9607 हेक्टेयर की कमी आई है। किसानों को इस प्रजाति के गन्ने की खेती से और अधिक नुकसान न उठाना पड़े, इसलिए गन्ना विभाग की तरफ से दूसरी प्रजातियों के गन्ना की बुवाई के लिए किसानों को प्रेरित किया जाने लगा है।
25 वर्ष पहले तक जनपद में नौ चीनी मिलें संचालित होती थीं, लेकिन उसके बाद पांच चीनी मिलें एक-एक कर बंद हो गई थीं। शेष चीनी मिलों की तरफ से गन्ना मूल्य भुगतान और सप्लाई टिकट आवंटन सही ढंग से न हो पाने के कारण किसानों का गन्ना की खेती से धीरे-धीरे मोह भंग होने लगा। बाद में ढाढ़ा चीनी मिल स्थापित हुई तो उस क्षेत्र के किसानों में गन्ना की खेती के लिए रुझान फिर बढ़ा। चार वर्ष पहले गन्ना विभाग ने कोयम्बटूर 0238 प्रजाति के गन्ना की बुवाई शुरू कराई। अधिक उत्पादन और शर्करा की मात्रा ज्यादा पाए जाने के कारण यह किसानों और चीनी मिलों दोनों के लिए लाभदायक साबित हो रही थी, जिससे साल दर साल जिले में गन्ना का रकबा बढ़ता जा रहा था। परंतु इस साल बरसात में अतिवृष्टि व जलभराव के चलते 0238 प्रजाति पर ही सर्वाधिक असर पड़ा। निचले क्षेत्रों में बोया गया इस प्रजाति का गन्ना रेडरॉट नामक रोग का शिकार हो गया। फसल के सूखने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। जिले में करीब नौ हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में बोया गया गन्ना सूख गया है। लिहाजा गन्ना विभाग की तरफ से अब किसानों को कोयम्बटूर 0238 की बजाए को. 118, कोशा 8272, को. 98014 और कोएलके 94184 प्रजाति के गन्ना की बुवाई करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
गन्ना किसानों को इस साल रेड रॉट रोग के अलावा कोरोना महामारी ने भी प्रभावित किया है। लॉकडाउन के दौरान लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे। किसानों का कहना है कि जुलाई में जब बारिश शुरू हुई तो उस वक्त खेत की निगरानी व जरूरी कीटनाशकों का छिड़काव आदि प्रभावित था। गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए हरी पत्तियों की छंटाई व बंधाई का कार्य भी नहीं हो सका, जिसके चलते बारिश के साथ हवा चलते ही गन्ने की फसल गिरने लगी, जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
इस संबंध में जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि कोयम्बटूर 0238 प्रजाति का गन्ना किसानों और चीनी मिलों के लिए काफी लाभप्रद था। इसकी खेती से जनपद में गन्ना का रकबा भी बढ़ा, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते गन्ना बुवाई के लिए संसाधन और मजदूर नहीं मिले। यही नहीं अत्यधिक वर्षा के चलते काफी फसल या तो सूख गई या फिर रोगग्रस्त हो गई। इसलिए अब किसानों को को. 0238 की बजाए को. 118, कोशा 8272, को. 98014 और कोएलके 94184 प्रजाति के गन्ना की बुवाई के लिए जागरूक किया जा रहा है। गोष्ठियों और कार्यशालाओं के जरिए किसानों से अपील की जा रही है कि गन्ना की खेती के लिए प्रजातियों का चयन सही ढंग से करें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…