*चीनी जासूस को रक्षा दस्तावेज देने के आरोपी*

*चीनी जासूस को रक्षा दस्तावेज देने के आरोपी*

 

*पत्रकार राजीव शर्मा को जमानत*

 

*नई दिल्ली।* देश की रक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज चीन के जासूसों को देने के आरोपी स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने मामले की जांच के लिए निर्धारित समय 60 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर आरोपी को जमानत प्रदान की है। इसी के साथ उच्च न्यायालय ने संबंधित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के 14 नवंबर के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके तहत उसने 60 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं होने के आधार पर आरोपी राजीव शर्मा को जमानत देने से इंकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी थी।

 

जस्टिस योगेश खन्ना ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद कहा है कि ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के प्रावधानों के तहत दर्ज इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपी को अधिकतम 14 साल तक कैद की सजा हो सकती है। लेकिन इसमें, न्यूनतम कितनी सजा होगी, यह निर्धारित नहीं है। ऐसे में पुलिस को इस मामले में जांच के लिए सिर्फ 60 दिन का वक्त होना चाहिए। न्यायालय ने कहा है कि पुलिस ने 60 दिनों के भीतर आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है, ऐसे में वह इस आधार पर स्वत: जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

 

उच्च न्यायालय ने आरोपी राजीव शर्मा को एक लाख रुपये का निजी मुचलका और जमानती जमा करने की शर्त पर जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। अदालत ने आरोपी को अपना संपर्क नंबर अपने इलाके के थाना प्रभारी को देने का आदेश दिया है। आरोपी को मोबाइल लोकेशन हमेशा ऑन रखने को कहा है। इसके साथ ही अदालत की अनुमति के बगैर आरोपी को दिल्ली-एनसीआर से कहीं नहीं जाने का निर्देश दिया है।

 

दिल्ली पुलिस ने स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को चीन की खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से पैसे लेकर देश की रक्षा, सैन्य खरीद, सीमाओं पर सेना की योजना से जुड़े दस्तावेज देने के आरोप में 14 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया था। बाद में पुलिस ने एक चीनी महिला और नेपाली युवक को भी गिरफ्तार किया था। इस मामले में 60 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर आरोपी ने जमानत की मांग की थी लेकिन, 14 नवंबर को संबंधित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने जमानत देने से इंकार कर दिया। साथ ही कहा कि यदि आरोपी को इस समय जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह जांच में बाधा डालने का प्रयास कर सकता है। इसके अगले दिन आरोपी ने सत्र न्यायालय में अपील दाखिल कर समय पर आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने के आधार पर जमानत देने की मांग की। लेकिन सत्र न्यायालय ने मामले की सुनवाई 7 जनवरी 2021 तक के लिए टाल दी। इसके बाद आरोपी ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द करने और जमानत देने की मांग की थी।