पूर्व आईपीएस बृजभूषण बख्शी का निधन, पुलिस में शोक की लहर…
गोमतीनगर/तालकटोरा एसओ रहे प्रकाश अरविंद बख्शी जी के साथ (फाइल फोटो) 👆
सीओ चौक/एसपी टीजी व एसएसपी लखनऊ रहे बीबी बख्शी…
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की हिंसा में जलने से सर्किल को बचाने में सफल रहे थे…
लखनऊ/नोयडा। रिटायर्ड आईपीएस अफसर और लखनऊ के एसएसपी रह चुके बीबी बक्शी का बीती रात निधन हो गया। 74 वर्षीय बीबी बख्शी डीआईजी गोरखपुर के पद से 2006 में रिटायर हुए थे, वर्तमान में वे नोयडा में रह रहे थे। शुगर के मरीज बख्शी पिछले कुछ दिनों से गम्भीर रूप से अस्वस्थ चल रहे थे थे। बख्शी जी के दो बेटे व एक बेटी है, तीनों सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं।
लखनऊ पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है, यहां के अनेक पुलिस अफसर अपने काम से सुर्खियों में रहे और नागरिकों का विश्वास जीता। ऐसे ही ‘अलग बात’ वाले आईपीएस बीबी बख्शी थे। अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था के साथ उन्होने जनता में ऐसी बैठ बनाई कि बरसों बाद भी लोग उन्हें याद करते हैं। कुछ ही लोग शिकायत या समस्या लेकर आते थे, जबकि अपराधियों और पुलिसकर्मियों की गतिविधियों की जानकारी देने वालों की खासी तादात होती थी। मुखबिर तंत्र मजबूत होने से वह जल्द ही बदमाशों का सुराग लगा लेते थे।उन्हे पता रहता था कि उनके सामने शिकायत लेकर आया व्यक्ति कितना सच बोल रहा है ? संभ्रांत नागरिकों की वे बेहिचक मदद करते थे। नागरिकों की सुरक्षा के लिए रात्रि गश्त व बीट पुलिसिंग को उन्होने काफी मजबूत किया था।
ट्रांसगोमती क्षेत्र के पहले अपर पुलिस अधीक्षक…..
बीबी बख्शी ने पदोन्नति के बाद राजधानी में यादगार कप्तानी की थी। क्षेत्राधिकारी और अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनाती के दौरान उन्होने खुद का मुखबिर तंत्र खड़ा किया, जो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनने पर खूब काम आया। अपराधियों की ही नहीं पुलिसकर्मियों के भी क्रियाकलापों की उन्हें खबर रहती थी। बड़ी संख्या में नागरिक उनसे परिचित थे और वह भी उनके लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे। देर रात भ्रमण करके लौटते तो शिविर कार्यालय में मिलने वालों का तांता लगा होता।
सराहनीय था सीओ चौक के पद का कार्यकाल…..
बृजभूषण बख्शी लखनऊ में 1984 में सीओ (चौक) हुआ करते थे, उन्ही के समय 31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी, जिसके बाद लखनऊ में भी हिंसा शुरू हो गई थी। बीबी बख्शी ने उस समय अपनी कार्य कुशलता व मिलनसार व्यवहार के चलते जल्द ही चौक सर्किल की स्थिति संभाल ली थी। इसी दिन बाजारखाला थाने के निकट ही वल्देव दास के स्कूल के सामने हालात का फायदा उठाते हुए अपराधियों ने मशहूर मूर्तिकार पवन सोनकर व उनके एक परिचित की गोली मारकर हत्या कर दी थी, दिनदहाड़े डबल मर्डर से बाजारखाला थाना क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी, परंतु बख्शी साहब ने बाजारखाला थाने में लगातार दो दिनों तक बैठकर हालात और ज्यादा बिगड़ने से बचा लिए थे। (तब बाजारखाला थाना चौक सर्किल में आता था)।
बख्शी जी के सीओ रहते ही पाटानाला चौकी के सामने कुख्यात अपराधी हसन मिर्जा उर्फ भय्यू पुलिस मुठ भेड़ में मारा गया था। भय्यू के आतंक से एक बड़े धार्मिक गुरु काफी परेशान थे। बख्शी जी के मार्ग निर्देशन में पूरे सर्किल की पुलिस जबरदस्त टीम भावना के साथ काम करती थी जिसके अपराधियों की रूह कांपती थी। उनके निधन की खबर से उनके समय में लखनऊ के थानेदार रहे कई इंस्पेक्टर काफी भावुक नजर आए और सभी काफी दुखी थे। (30-11- 2020)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,