मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऊर्जा का उत्पादन एवं खपत विकास का मुख्य आधार…
लखनऊ 27 नवम्बर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऊर्जा का उत्पादन एवं खपत विकास का मुख्य आधार है। ऊर्जा का उपयोग कृषि, उद्योग, ट्रांसपोर्ट, रोजगार सृजन आदि सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में होता है। उत्तर प्रदेश मानवशक्ति और भौगोलिक रूप से देश के अग्रणी राज्यों में सम्मिलित है। प्रदेश में सौर एवं बाॅयोफ्यूल के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन की अपार सम्भावनाएं हैं। राज्य सरकार प्रदेश के विकास और औद्योगिकीकरण के लिए अक्षय ऊर्जा विशेषकर सौर एवं बाॅयोफ्यूल ऊर्जा की सम्भावनाओं को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री आज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रिन्यूबल इनर्जी इन्वेस्टर्स मीट एण्ड एक्सपो-2020 (थर्ड आर0ई0-इन्वेस्ट) को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी कार्यक्रम में जनपद गोरखपुर से वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से ‘सौर ऊर्जा नीति-2017’ प्रख्यापित की गयी है। उन्होंने कहा कि इस नीति में ओपेन एक्सेस के द्वारा थर्ड पार्टी विक्रय, कैप्टिव उपयोगार्थ सोलर पावर परियोजनाओं की स्थापना एवं सोलर पार्क जिसमें एक साथ कई सौर पावर परियोजनाओं की स्थापना की जा सकती है, के विकास का प्राविधान किया गया है। नीति के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 10,700 मेगावाॅट क्षमता की सौर विद्युत परियोजनाओं की अधिष्ठापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 6,400 मेगावाॅट यूटीलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाओं एवं 4,300 मेगावाॅट रूफटाॅप सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ‘सौर ऊर्जा नीति-2017’ के अन्तर्गत आॅनलाइन सिंगल विण्डो क्लियरेंस, सोलर पावर परियोजनाओं की स्थापना हेतु भूमि पर 100 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी में छूट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्ष के लिए शत-प्रतिशत छूट, सोलर पावर परियोजनाओं हेतु पर्यावरण क्लियरेंस लिये जाने की छूट, थर्ड पार्टी को पावर सेल की अनुमन्यता, जिसमें पावर सेल पर इन्ट्रा-स्टेट में व्हीलिंग ट्रांसमिशन चार्जेज पर 50 प्रतिशत तथा इन्टर-स्टेट पर 100 प्रतिशत की छूट आदि प्रोत्साहनों का प्राविधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बुन्देलखण्ड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थापना हेतु 05 मेगावाॅट एवं अधिक क्षमता की सोलर पावर परियोजनाओं के ग्रिड संयोजन हेतु 05 मेगावाॅट से 10 मेगावाॅट क्षमता के लिए 10 कि0मी0 तक, 10 मेगावाॅट से 50 मेगावाॅट क्षमता के लिए 15 कि0मी0 तक, 50 मेगावाॅट से अधिक के लिए 20 कि0मी0 तक पारेषण लाइनों पर आने वाला व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने की व्यवस्था है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सौर विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से 4,000 मेगावाॅट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये ग्रीन इनर्जी कॉरीडोर का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। इस कॉरीडोर में उत्पादित ऊर्जा की निकासी के लिये पारेषण तंत्र के विकास पर लगभग 5,500 करोड़ रुपये का व्यय सम्भावित है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2025 तक 04 वर्षों में प्रति वर्ष 1,000 मेगावाॅट की परियोजनायें स्थापित कर लक्ष्य प्राप्त करने की योजना बनायी गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निजी विकासकर्ताओं द्वारा अब तक कुल 969 मेगावाॅट क्षमता की यूटीलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की गयी है। सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत आमंत्रित बिडिंग के माध्यम से 1,122 मेगावाॅट क्षमता की सौर पावर परियोजनाओं का आंवटन किया जा चुका हैं। इनमें से 500 मेगावाॅट क्षमता की परियोजनाओं की कमीशनिंग मार्च, 2021 तक किये जाने की सम्भावना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत 535 मेगावाॅट क्षमता की सौर पावर परियोजनाएं ओपेन एक्सेस के अन्तर्गत तृतीय पार्टी विक्रय अथवा कैप्टिव उपयोगार्थ स्थापना हेतु आवंटित की गयीं। इनमें से 70 मेगावाॅट क्षमता की परियोजनाओं की कमीशनिंग हो गयी है। अवशेष की कमीशनिंग मार्च, 2021 तक की जानी है। ओपेन एक्सेस के अन्तर्गत तृतीय पार्टी सेल/कैप्टिव उपयोगार्थ 900 मेगावाॅट क्षमता की परियोजना के आवंटन की कार्यवाही गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार की ‘अल्ट्रा मेगा रिन्यूबल सोलर पावर पार्क योजना’ के अन्तर्गत, जनपद जालौन में 1200 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना की सैद्धान्तिक सहमति एम0एन0आर0ई0 से प्राप्त हो गयी है। इस पार्क की स्थापना यूपीनेडा एवं एन0एच0पी0सी0 लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम ‘बुन्देलखण्ड सौर ऊर्जा लिमिटेड (बी0एस0यू0एल0)’ द्वारा की जायेगी। उन्होंने कहा कि ‘अल्ट्रा मेगा रिन्यूबल सोलर पावर पार्क योजना’ के अन्तर्गत जनपद झांसी में तथा जनपद ललितपुर में 600-600 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गयी है। इन सोलर पार्क की स्थापना यूपीनेडा एवं टी0एच0टी0सी0 लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम ज्न्ैब्व् स्पउपजमक द्वारा की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कृषकों की आय में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान’ (प्रधानमंत्री कुसुम योजना) प्रारम्भ की गयी है। यह महत्वाकांक्षी योजना उत्तर प्रदेश में भी संचालित की जायेगी। पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-अ के तहत, किसानों द्वारा अपनी अनुपयोगी भूमि पर 500 किलोवाट क्षमता से लेकर अधिकतम 02 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर प्लाण्ट स्थापित किया जा सकता है। स्थापित सोलर पावर प्लाण्ट का ग्रिड संयोजन 33/11 के0वी0 सब-स्टेशन पर किया जायेगा। इस प्रकार चिन्हित सब-स्टेशन के 05 कि0मी0 की परिधि में अनुपजाऊ/बंजर भूमि पर सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना कृषकों द्वारा की जा सकती है। भारत सरकार से 75 मेगावाॅट क्षमता के लक्ष्य की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके सापेक्ष कृषकों के चिन्हीकरण की कार्यवाही बिडिंग के द्वारा की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एम0एन0आर0ई0, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी0एम0 कुसुम योजना) प्रारम्भ किया गया है। पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेट-बी के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 हेतु 8,000 सोलर पम्प का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष स्थापना कार्य कराया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन हेतु शासन द्वारा कृषि विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-सी के अन्तर्गत निजी ग्रिड संयोजित नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण करते हुए नेट मीटरिंग के माध्यम से अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन का लाभ देकर कृषकों की आय में वृद्धि का भी प्राविधान है। किसान, सिंचाई के उपरान्त अतिरिक्त उत्पादित विद्युत का विक्रय राज्य की विद्युत वितरण कम्पनी को कर सकेंगे। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2022 तक 20,000 निजी नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण किये जाने का लक्ष्य है। ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटाॅप पावर प्लाण्ट लगाये जाने का प्राविधान भी किया गया है। अब तक प्रदेश में कुल 229 मेगावाॅट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटाॅप पावर प्लाण्ट की स्थापना करायी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जैव ऊर्जा प्रोत्साहन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत बायोफ्यूल से संबंधित उद्यम की स्थापना पर 15 से 25 प्रतिशत वित्तीय उपादान, 10 वर्षों तक एस0जी0एस0टी0 की प्रतिपूर्ति तथा भूमि क्रय पर स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट प्रदान की जा रही है। योजना के अन्तर्गत अब तक बायो फ्यूल उत्पादन के उपयुक्त 14 प्रस्तावों की स्वीकृति दी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत/संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा जुलाई, 2018 में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता-2018 (यू0पी0ई0सी0बी0सी0-2018) की अधिसूचना जारी की गई। इसी क्रम में ई0सी0बी0सी0 को भवन संहिता में अंगीकार किये जाने हेतु आवास विभाग द्वारा जनवरी, 2019 में शासनादेश निर्गत किया गया है। इसके अन्तर्गत इस संहिता से आच्छादित प्रदेश के सभी सरकारी एवं वाणिज्यिक भवनों का निर्माण ई0सी0बी0सी0 मानकों के अनुरूप किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विकास खण्डों के मुख्य ग्रामीण बाजारों में सार्वजनिक मार्ग प्रकाश व्यवस्था हेतु ‘पण्डित दीन दयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाइट योजना’ चलायी जा रही है। योजना के अन्तर्गत अब तक 25,569 संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष में 7,000 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना का लक्ष्य है। ‘मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना’ के अन्तर्गत चयनित राजस्व ग्रामों में वैकल्पिक मार्ग प्रकाश व्यवस्था हेतु सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। योजना के प्रथम चरण में चयनित राजस्व ग्रामों में अब तक 13,791 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना की जा चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2,500 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सौभाग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश के ऐसे सभी घरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकृत किया जाना है, जिन्हें ग्रिड लाइन से विद्युतीकृत किया जाना संभव नहीं है। लगभग 01 लाख घरों को सोलर पावर पैक के माध्यम से विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य है। योजना के अन्तर्गत 44,760 घरों में सोलर पावर पैक स्थापित किये जा चुके हैं। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल एवं विद्युत की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से प्राथमिक विद्यालयों में सोलर आर0ओ0 वाॅटर संयंत्रों की स्थापना की योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत अब तक प्रदेश में 3,400 प्राथमिक विद्यालयों में सोलर आर0ओ0 वाॅटर संयंत्रों की स्थापना करायी गयी है। प्रदेश में सिंचाई हेतु कृषकों को अनुदान पर सोलर पम्प उपलब्ध कराये जाने की योजना क्रियान्वित की गयी है। इस योजना के अन्तर्गत विभिन्न क्षमता के कुल 29,648 सोलर पम्पों की स्थापना करायी गयी है।
मुख्यमंत्री आज नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रिन्यूबल इनर्जी इन्वेस्टर्स मीट एण्ड एक्सपो-2020 (थर्ड आर0ई0-इन्वेस्ट) को सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी कार्यक्रम में जनपद गोरखपुर से वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से ‘सौर ऊर्जा नीति-2017’ प्रख्यापित की गयी है। उन्होंने कहा कि इस नीति में ओपेन एक्सेस के द्वारा थर्ड पार्टी विक्रय, कैप्टिव उपयोगार्थ सोलर पावर परियोजनाओं की स्थापना एवं सोलर पार्क जिसमें एक साथ कई सौर पावर परियोजनाओं की स्थापना की जा सकती है, के विकास का प्राविधान किया गया है। नीति के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 10,700 मेगावाॅट क्षमता की सौर विद्युत परियोजनाओं की अधिष्ठापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 6,400 मेगावाॅट यूटीलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाओं एवं 4,300 मेगावाॅट रूफटाॅप सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की ‘सौर ऊर्जा नीति-2017’ के अन्तर्गत आॅनलाइन सिंगल विण्डो क्लियरेंस, सोलर पावर परियोजनाओं की स्थापना हेतु भूमि पर 100 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी में छूट, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्ष के लिए शत-प्रतिशत छूट, सोलर पावर परियोजनाओं हेतु पर्यावरण क्लियरेंस लिये जाने की छूट, थर्ड पार्टी को पावर सेल की अनुमन्यता, जिसमें पावर सेल पर इन्ट्रा-स्टेट में व्हीलिंग ट्रांसमिशन चार्जेज पर 50 प्रतिशत तथा इन्टर-स्टेट पर 100 प्रतिशत की छूट आदि प्रोत्साहनों का प्राविधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बुन्देलखण्ड एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थापना हेतु 05 मेगावाॅट एवं अधिक क्षमता की सोलर पावर परियोजनाओं के ग्रिड संयोजन हेतु 05 मेगावाॅट से 10 मेगावाॅट क्षमता के लिए 10 कि0मी0 तक, 10 मेगावाॅट से 50 मेगावाॅट क्षमता के लिए 15 कि0मी0 तक, 50 मेगावाॅट से अधिक के लिए 20 कि0मी0 तक पारेषण लाइनों पर आने वाला व्यय राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने की व्यवस्था है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सौर विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से 4,000 मेगावाॅट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये ग्रीन इनर्जी कॉरीडोर का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। इस कॉरीडोर में उत्पादित ऊर्जा की निकासी के लिये पारेषण तंत्र के विकास पर लगभग 5,500 करोड़ रुपये का व्यय सम्भावित है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2025 तक 04 वर्षों में प्रति वर्ष 1,000 मेगावाॅट की परियोजनायें स्थापित कर लक्ष्य प्राप्त करने की योजना बनायी गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में निजी विकासकर्ताओं द्वारा अब तक कुल 969 मेगावाॅट क्षमता की यूटीलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की गयी है। सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत आमंत्रित बिडिंग के माध्यम से 1,122 मेगावाॅट क्षमता की सौर पावर परियोजनाओं का आंवटन किया जा चुका हैं। इनमें से 500 मेगावाॅट क्षमता की परियोजनाओं की कमीशनिंग मार्च, 2021 तक किये जाने की सम्भावना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत 535 मेगावाॅट क्षमता की सौर पावर परियोजनाएं ओपेन एक्सेस के अन्तर्गत तृतीय पार्टी विक्रय अथवा कैप्टिव उपयोगार्थ स्थापना हेतु आवंटित की गयीं। इनमें से 70 मेगावाॅट क्षमता की परियोजनाओं की कमीशनिंग हो गयी है। अवशेष की कमीशनिंग मार्च, 2021 तक की जानी है। ओपेन एक्सेस के अन्तर्गत तृतीय पार्टी सेल/कैप्टिव उपयोगार्थ 900 मेगावाॅट क्षमता की परियोजना के आवंटन की कार्यवाही गतिमान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार की ‘अल्ट्रा मेगा रिन्यूबल सोलर पावर पार्क योजना’ के अन्तर्गत, जनपद जालौन में 1200 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना की सैद्धान्तिक सहमति एम0एन0आर0ई0 से प्राप्त हो गयी है। इस पार्क की स्थापना यूपीनेडा एवं एन0एच0पी0सी0 लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम ‘बुन्देलखण्ड सौर ऊर्जा लिमिटेड (बी0एस0यू0एल0)’ द्वारा की जायेगी। उन्होंने कहा कि ‘अल्ट्रा मेगा रिन्यूबल सोलर पावर पार्क योजना’ के अन्तर्गत जनपद झांसी में तथा जनपद ललितपुर में 600-600 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर पार्क की स्थापना सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गयी है। इन सोलर पार्क की स्थापना यूपीनेडा एवं टी0एच0टी0सी0 लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम ज्न्ैब्व् स्पउपजमक द्वारा की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा कृषकों की आय में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान’ (प्रधानमंत्री कुसुम योजना) प्रारम्भ की गयी है। यह महत्वाकांक्षी योजना उत्तर प्रदेश में भी संचालित की जायेगी। पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-अ के तहत, किसानों द्वारा अपनी अनुपयोगी भूमि पर 500 किलोवाट क्षमता से लेकर अधिकतम 02 मेगावाॅट क्षमता के सोलर पावर प्लाण्ट स्थापित किया जा सकता है। स्थापित सोलर पावर प्लाण्ट का ग्रिड संयोजन 33/11 के0वी0 सब-स्टेशन पर किया जायेगा। इस प्रकार चिन्हित सब-स्टेशन के 05 कि0मी0 की परिधि में अनुपजाऊ/बंजर भूमि पर सोलर पावर प्लाण्ट की स्थापना कृषकों द्वारा की जा सकती है। भारत सरकार से 75 मेगावाॅट क्षमता के लक्ष्य की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके सापेक्ष कृषकों के चिन्हीकरण की कार्यवाही बिडिंग के द्वारा की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एम0एन0आर0ई0, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पी0एम0 कुसुम योजना) प्रारम्भ किया गया है। पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेट-बी के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 हेतु 8,000 सोलर पम्प का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष स्थापना कार्य कराया जा रहा है। योजना के क्रियान्वयन हेतु शासन द्वारा कृषि विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पी0एम0 कुसुम योजना के कम्पोनेन्ट-सी के अन्तर्गत निजी ग्रिड संयोजित नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण करते हुए नेट मीटरिंग के माध्यम से अतिरिक्त सौर ऊर्जा उत्पादन का लाभ देकर कृषकों की आय में वृद्धि का भी प्राविधान है। किसान, सिंचाई के उपरान्त अतिरिक्त उत्पादित विद्युत का विक्रय राज्य की विद्युत वितरण कम्पनी को कर सकेंगे। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2022 तक 20,000 निजी नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण किये जाने का लक्ष्य है। ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटाॅप पावर प्लाण्ट लगाये जाने का प्राविधान भी किया गया है। अब तक प्रदेश में कुल 229 मेगावाॅट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटाॅप पावर प्लाण्ट की स्थापना करायी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जैव ऊर्जा प्रोत्साहन कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत बायोफ्यूल से संबंधित उद्यम की स्थापना पर 15 से 25 प्रतिशत वित्तीय उपादान, 10 वर्षों तक एस0जी0एस0टी0 की प्रतिपूर्ति तथा भूमि क्रय पर स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत छूट प्रदान की जा रही है। योजना के अन्तर्गत अब तक बायो फ्यूल उत्पादन के उपयुक्त 14 प्रस्तावों की स्वीकृति दी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत/संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार द्वारा जुलाई, 2018 में ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता-2018 (यू0पी0ई0सी0बी0सी0-2018) की अधिसूचना जारी की गई। इसी क्रम में ई0सी0बी0सी0 को भवन संहिता में अंगीकार किये जाने हेतु आवास विभाग द्वारा जनवरी, 2019 में शासनादेश निर्गत किया गया है। इसके अन्तर्गत इस संहिता से आच्छादित प्रदेश के सभी सरकारी एवं वाणिज्यिक भवनों का निर्माण ई0सी0बी0सी0 मानकों के अनुरूप किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विकास खण्डों के मुख्य ग्रामीण बाजारों में सार्वजनिक मार्ग प्रकाश व्यवस्था हेतु ‘पण्डित दीन दयाल उपाध्याय सोलर स्ट्रीट लाइट योजना’ चलायी जा रही है। योजना के अन्तर्गत अब तक 25,569 संयंत्रों की स्थापना की जा चुकी है। चालू वित्तीय वर्ष में 7,000 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना का लक्ष्य है। ‘मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना’ के अन्तर्गत चयनित राजस्व ग्रामों में वैकल्पिक मार्ग प्रकाश व्यवस्था हेतु सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। योजना के प्रथम चरण में चयनित राजस्व ग्रामों में अब तक 13,791 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना की जा चुकी है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2,500 सोलर स्ट्रीट लाइटों की स्थापना की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सौभाग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश के ऐसे सभी घरों को सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकृत किया जाना है, जिन्हें ग्रिड लाइन से विद्युतीकृत किया जाना संभव नहीं है। लगभग 01 लाख घरों को सोलर पावर पैक के माध्यम से विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य है। योजना के अन्तर्गत 44,760 घरों में सोलर पावर पैक स्थापित किये जा चुके हैं। प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल एवं विद्युत की सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से प्राथमिक विद्यालयों में सोलर आर0ओ0 वाॅटर संयंत्रों की स्थापना की योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत अब तक प्रदेश में 3,400 प्राथमिक विद्यालयों में सोलर आर0ओ0 वाॅटर संयंत्रों की स्थापना करायी गयी है। प्रदेश में सिंचाई हेतु कृषकों को अनुदान पर सोलर पम्प उपलब्ध कराये जाने की योजना क्रियान्वित की गयी है। इस योजना के अन्तर्गत विभिन्न क्षमता के कुल 29,648 सोलर पम्पों की स्थापना करायी गयी है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…