*पाकिस्तान की जेल में सजा काटकर 28 साल बाद घर लौटेगा कानपुर का शमशुद्दीन…..*

*पाकिस्तान की जेल में सजा काटकर 28 साल बाद घर लौटेगा कानपुर का शमशुद्दीन…..*

*घर से गुस्सा होकर चला गया था: पाक में मिली काफी यातना, सरकार ने जब्त कर ली पूरी संपत्ति*

*लखनऊ/कानपुर।* भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तल्खी किस कदर दोनों देश के लोगों पर भारी पड़ रही है, उसकी नजीर है कानपुर का रहने वाला शमशुद्दीन जो 28 साल पहले परिजनों से गुस्सा हो कर पाकिस्तान चला गया था। दोनों देशों के बीच तनाव के चलते वह वहां से लौट नहीं पाया। पाकिस्तान की जेल में सजा काट 28 साल बाद कानपुर का शमशुद्दीन शहर लौटेगा। शमशुद्दीन पाकिस्तान की कराची जेल से छूटने के बाद अब अमृतसर के क्वारंटीन सेंटर में है। कानपुर में रहने वाला शमशुद्दीन का परिवार उसके आने की खबर से काफी खुश है।
शमशुद्दीन परिवार वालों से गुस्सा होकर पाकिस्तान चला गया था, जहां से वह वापस नहीं लौट सका। पाकिस्तान में उसे भारतीय जासूस साबित करने के लिए अमानवीय यातनाएं दी गईं। उसने झूठे दस्तावेजों से पाकिस्तान की नगारिकता हासिल कर ली। जब वह भारत लौटने के लिए पासपोर्ट ऑफिस गया तो धर लिया गया, जिसके बाद उसे भारत का एजेन्ट घोषित करने के तमाम प्रयास किए गए। शमशुद्दीन को यातनाएं दी गयी लेकिन वह अपनी बात पर अडिग रहा, जिसके बाद उसे गलत तरीके से बॉर्डर क्रास करने के अपराध में जेल भेज दिया गया। 24 अक्टूबर 2012 को उसे जेल भेजा गया। 26 अक्टूबर 2020 को उसे भारतीय फौज के सुपुर्द किया गया।
अमृतसर के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे शमशुद्दीन ने बताया कि उसे भारतीय जासूस साबित करने के लिए उसकी आंखे बांध कर कान के बगल से फायरिंग की जाती थी, उसने कई दिनों तक वहां रौशनी नही देखी। तमाम यातनाओं के बाद भी उसने खुद के भारतीय जासूस होने की बात कबूल नहीं की। कानपुर के बजिरया थाना क्षेत्र के कंघी मोहाल में रहने वाले शमशुद्दीन का पिता से विवाद हो गया था, जिसके बाद वह 1992 में घर छोड़कर दिल्ली चला गया। वहां से सउदी अरब जाना चाहता था, फिर वह अपने परिचित के पास पाकिस्तान चला गया। 90 दिन के वीजा पर वह पाकिस्तान गया था, वहां दंगे फसाद शुरू हो गए तो वापस लौटने के हालात नहीं बन पाए।
वीजा की अवधि बीत गयी तो उसके परिचितों ने कहा कि अब वीजा लेने गाए तो पकड़ लिए जाओगे, जिसके बाद वह पुराना मोहल्ला छोड़ कर कराची मे रहने लगा था जहां दोस्तों की मदद से जूते का काम करने लगा औऱ रिश्वत देकर एनआईसी कार्ड बनवा लिया. 1994 में उसने बीवी और अपनी दोनों बच्चियों को भी पाकिस्तान बुला लिया। 2002 में मुशर्रफ की सरकार के दौरान हालात ठीक हुए तो 2006 में बीवी बच्चों को वापस कानपुर भेज दिया। 2012 में वह कानपुर वापस लौटना चाहता था और पासपोर्ट बनवाने पहुंच गया, जहां वह पकड़ा गया।
शमशुद्दीन का कहना है कि जब उसे अपराधी साबित किया गया तो उसकी पूरी सम्पत्ति पाक सरकार ने जब्त कर ली। उसकी जिन्दगी के बेशकीमती 28 साल पाक में बर्रबाद हो गए, उसे इन सालों का हासिल कुछ भी नहीं हुआ बल्कि सालों जिल्लत और जुल्म के बीच जेल में काटने पड़े।
*”हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट, , ,*