उत्तर प्रदेश सरकार ने (आसवनी की स्थापना) (पन्द्रहवां संशोधन) नियमावली, 2020 के प्रख्यापन को अनुमति प्रदान कर दी…
लखनऊ 28 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश सरकार ने (आसवनी की स्थापना) (पन्द्रहवां संशोधन) नियमावली, 2020 के प्रख्यापन को अनुमति प्रदान कर दी है।यह जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि इस नियमावली के प्रख्यापन के पश्चात प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिये जाने हेतु प्रदेश में स्थापित होने वाली आसवनियों को आसवनी स्थापना हेतु एक वर्ष के स्थान पर दो वर्ष हेतु पी.डी.-33 अनुज्ञापन निर्गत किया जायेगा। आसवनी स्थापना न होने की दशा में पुनः लाइसेंस धारक से रूपया 2,50,000 जमा कराकर अनुज्ञापन की वैधता एक वर्ष के लिये बढ़ाये जाने की व्यवस्था की गयी है। नये आसवनियों को पर्यावरण एवं अन्य औपचारिकताएं पूर्ण करने में समय लगता है और एक वर्ष के बाद पुनः नवीनीकरण प्रक्रिया पूर्ण करने में कठिनाई होती थी।
आसवनी स्थापना हेतु पेय मदिरा निर्माणार्थ निर्गत नये एवं विस्तारित क्षमता के अनुज्ञापियों को आसवनी स्थापित होने तक पेय मदिरा के विनिर्माण के लिये अन्य आसवनियों से एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल क्रयकर पेय मदिरा निर्माण किये जाने की व्यवस्था की गयी। प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा दिये जाने हेतु प्रदेश में आसवनियों में ऐसे नैयत्यिक प्रकृति के कार्य जिससे क्षमता परिवर्तन नहीं होगी जैसे शीरा टैंकों की मरम्मत, पाइप लाइनों के मरम्मत का कार्य, आसवनियों में स्थापित शीरा भण्डारण टैंकों एवं चीनी मिल में स्थापित शीरा भण्डारण टैंकों को बी-हैवी एवं सी-हैवी शीरा एवं एथनाल के उपयोग हेतु वर्गीकृत किये जाने, आसवनी में भवन का मरम्मत कार्य किये जाने एवं नैत्यिक प्रकृति के अन्य कार्यों किये जाने की अनुमति दिये जाने का अधिकार उप आबकारी आयुक्त को दिया गया है। पूर्व में इन कार्यों की स्वीकृति आयुक्त स्तर से निर्गत किया जाता था।
वर्तमान में कार्यरत आसवनियों को जिन्हें अधिष्ठापित क्षमता का विस्तार किये जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है, उन्हें कतिपय शर्तों को पूरा किये जाने पर विस्तारित की जाने वाली क्षमता के 90 प्रतिशत के स्थान पर 60 प्रतिशत तक एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल क्रय कर पेय मदिरा निर्माण किये जाने की अनुमति प्रदान किये जाने की व्यवस्था की गयी है। नई पेय आसवनी स्थापित करने और औद्योगिक आसवनियों एवं कैप्टिव आसवनियों को पेय मदिरा उत्पादन करने व उनकी क्षमता में वृद्धि करने हेतु अनुज्ञा प्रदान करने के लिये निर्णय लिये जाने हेतु आयुक्त अवसंरचना एवं औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में गठित समिति के स्थान पर अपर मुख्य सचिव, आबकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निर्णय लिये जाने की व्यवस्था कर दी गयी है। आबकारी आयुक्त द्वारा आसवनियों में न्यूनतम अल्कोहल उत्पादकता मानक की प्राप्ति में विफल होने पर संयुक्त प्रान्त आबकारी अधिनियम, 1910 के अधीन आसवकों का अनिवार्य लाइसेंस रद्द करने, शास्ति एवं प्रतिभूति जब्त करने का प्राविधान था। जिसके स्थान पर आसवनियों को सुचारू रूप से चलाये जाने के उद्देश्य से न्यूनतम अल्कोहल की प्राप्ति में विफल होने पर लाइसेन्स रद्द किये जाने की अनिवार्यता समाप्त कर शास्ति, प्रतिभूति जब्त अथवा लाइसेन्स रद्द किये जाने का प्राविधान किया गया।:
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…