PM मोदी बोले- भ्रष्टाचार का वंशवाद आज की सबसे बड़ी चुनौती…

PM मोदी बोले- भ्रष्टाचार का वंशवाद आज की सबसे बड़ी चुनौती…

इस पर प्रहार करना होगा…

भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विजिलेंस एंड एंटी करप्शन के नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया।पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि पहले गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया,जिसकी नीतियों में नैतिकता हो,बाद के दशकों में कुछ अलग ही परिस्थितियां बनीं।
पीएम ने कहा कि हजारों करोड़ के घोटाले,शेल कंपनियों का जाल,टैक्स चोरी,ये सब वर्षों तक चर्चा के केंद्र में रहा। 2014 में जब देश ने बड़े परिवर्तन का फैसला लिया तो सबसे बड़ा चैलेंज इस माहौल को बदलना था,बीते कुछ सालों में देश करप्शन पर जीरो टालरेंस की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है।2014 से अब तक प्रशासनिक,बैंकिंग प्रणाली,हेल्थ,शिक्षा, कृषि,श्रम हर क्षेत्र में सुधार हुए।

पीएम ने कहा कि भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती,भ्रष्टाचार से देश के विकास को ठेस पहुंचती है।साथ ही भ्रष्टाचार सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है।देश की व्यवस्था पर जो भरोसा होना चाहिए,भ्रष्टाचार उस भरोसे पर हमला करता है।
पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार का वंशवाद आज की तारीख की सबसे बड़ी चुनौती है।भ्रष्टाचार करने के बाद ढिलाई और पर्याप्त सजा नहीं मिलने पर अगली पीढ़ी को लगता है कि जब ऐसे लोगों को मामूली सजा के बाद छूट मिल जाती है तो उसका भी भ्रष्टाचार के लिए मन बढ़ता है। ये स्थिति भी काफी खतरनाक है, लिहाजा भ्रष्टाचार के वंशवाद पर प्रहार करना होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब DBT के माध्यम से गरीबों की मिलने वाला लाभ 100 प्रतिशत गरीबों तक सीधे पहुंच रहा है।अकेले DBT की वजह से 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बच रहे हैं,आज ये गर्व के साथ कहा जा सकता है कि घोटालों वाले उस दौर को देश पीछे छोड़ चुका है।

1500 से ज्यादा कानून रद्द किए गए

पीएम ने कहा कि 2016 में मैंने कहा था कि गरीबी से लड़ रहे हमारे देश में भ्रष्टाचार का रत्ती भर भी स्थान नहीं है। भ्रष्टाचार का सबसे ज्यादा नुकसान अगर कोई उठाता है तो वो देश का गरीब ही उठाता है।ईमानदार व्यक्ति को परेशानी आती है,हमारा इस बात पर ज्यादा जोर है कि सरकार का न ज्यादा दबाव हो और न सरकार का अभाव हो।सरकार की जहां जितनी जरूरत है, उतनी ही होनी चाहिए। इसलिए बीते सालों में डेढ हजार से ज्यादा कानून खत्म किए गए हैं,अनेक नियमों को सरल किया गया है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…