बेरोजगारी में महंगाई की दोहरी मार-गृहणियां लाचार व परेशान…
-अशोक भाटिया- इस समय देश-दुनिया में कोरोना काल चल रहा है। कई लोगों की नौकरी जा चुकी है और लोग बेरोजगार हो गए हैं। व्यापारियों का काम धंधा खुल गया है पर व्यापार नदारत है। ऐसे में गृहणियों को अपना किचन चलाना बहुत कठिन हो रहा है ऊपर से प्याज-आलू जो मुख्य रूप से रसोई में उपयोग होता है के दाम आसमान को छू रहे है।इस समय प्याज के दाम तो 80 रुपए से ऊपर पहुंच गए है। नवरात्र में आलू की कीमतें हमेशा ही बढ़ती हैं लेकिन इस बार प्याज, टमाटर के अलावा हर सब्जी महंगी हुई है। कभी प्याज हमारे आंसू निकालता है तो कभी टमाटर इतना लाल हो जाता है कि टमाटर नहीं आग का गोला लगने लगता है।
प्याज का मुख्य उत्पादन महाराष्ट्र की नासिक में होता है जहाँ इस समय प्याज 8 हजार से 9 हजार प्रति क्विंटल बिक रहा है, यही कारण है कि कई राज्यों में प्याज के दाम सौ रुपए किलो से भी ऊपर पहुंच गए। बताया जाता है कि प्याज के भाव बढ़ने की बड़ी वजह है बारिश से प्याज का नुक्सान होना है। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण नर्सरी का रोप खराब हो गया इसलिए प्याज की नई फसल नहीं लगा पाए। वहीं जो प्याज उनके पास रखा हुआ था, वह भी बारिश की भेंट चढ़ गया। प्याज के रखरखाव की पर्याप्त व्यवस्था के बावजूद बरसात से बचाव के लिए बनाए गए शेड फेल हो गए और प्याज को पानी लग गया।
आखिरकार गला हुआ प्याज मजबूरी में फैंकना पड़ा। महाराष्ट्र में उस समय भारी बारिश हुई जब प्याज उत्पादक जिलों में किसान प्याज की पछेती खरीफ की नर्सरी की बुवाई और अगेती खरीफ प्याज खेत से निकाल रहे थे। इससे किसानों को बड़ा नुक्सान हुआ।इसी तरह आलू उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा राज्य पश्चिम बंगाल है, जहां 14 से 15 लाख टन उत्पादन कम हुआ। वहां केवल 86 लाख टन आलू की पैदावार हुई थी। इन दोनों बड़े आलू उत्पादक राज्यों में उत्पादन घटने की वजह से आपूर्ति बाधित हुई है। कोल्ड स्टोर में पड़े आलू की सर्वाधिक मांग इस समय बोआई के लिए है। आलू कारोबारियों के मुताबिक, कीमतों में गिरावट नवंबर में आलू की नई फसल के आने से पहले तक नहीं आएगी।
केन्द्र सरकार ने बढ़ते प्याज के दामों को देखते हुए 14 अक्तूबर को प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे कुछ राहत की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इसके बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भारी बारिश हुई, जिसने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। केन्द्र सरकार ने स्थिति को देखते हुए 15 दिसम्बर तक प्याज के आयात को सुलभ बनाने के लिए कुछ शर्तों में ढील दी। इससे अन्य देशों से प्याज आयात करने में व्यापारियों को सुगमता होगी। केन्द्र ने प्याज के स्टॉक की सीमा भी तय कर दी है। बिहार में चुनावी घमासान चल रहा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी उपचुनाव के लिए जोर-शोर से प्रचार युद्ध चल रहा है।यद्यपि प्याज, आलू और टमाटर के दाम बिहार या अन्य राज्यों के उपचुनाव में पहले की तरह चुनावी गणित पर कोई अधिक प्रभाव नहीं डाल रहे, लेकिन कोरोना महामारी से पहले ही आर्थिक रूप से परेशान आम आदमी को काफी दर्द दे रहे हैं।
अक्सर देखा जाता है कि कोरोना काल हो या कोई और संकट। शादियां हों या कोई समारोह, उसे यूनीक बनाने के लिए लोग नए-नए आइडियाज पर काम करते हैं। तमिलनाडु के तिरुवल्लूर की एक शादी काफी सुर्खियां बटोर रही है। एक जोड़े की शादी की रिसैप्शन में दोस्तों ने तीन किलो प्याज उपहार स्वरूप दिया। तमिलनाडु और केरल में तो प्याज 125 रुपए किलो बिका। प्याज, टमाटर और आलू की कीमतें भले ही कुछ लोगों के लिए व्यंग्य का विषय हो सकता है लेकिन आम आदमी इससे बहुत प्रभावित हो रहा है। दाल और खाने के तेल के दाम तो पहले ही काफी बढ़ चुके हैं। इससे गरीब की रसोई का बजट बिगड़ गया है। खपत के मुताबिक आलू के उत्पादन में बढ़ौतरी बहुत कम है। इसलिए खरीफ का आलू आने के बाद भी अधिक राहत की उम्मीद करना अर्थहीन है। अब विदेशों से प्याज आना शुरू हो गया है। तुर्की से भी प्याज आ चुका है। उम्मीद है कि कुछ दिनों में प्याज के दाम नियंत्रित हो जाएंगे। ऐसा नहीं है कि अफसरशाहों को इस बात का अंदाजा नहीं होता। ऐसी व्यवस्था की जरूरत है कि आलू, प्याज की कमी को देखते हुए अपने भंडारों के दरवाजे खोल दें और फसल बाजार में आ जाए। अगर आयात करना ही है तो वह त्यौहारी सीजन से पहले ही कर लिया जाना चाहिए ताकि गरीब की थाली में कम से कम आलू, प्याज तो होना ही चाहिए।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…