दोनों ही दलों के नेताओं की अभद्रता और जनहित में…

दोनों ही दलों के नेताओं की अभद्रता और जनहित में…

मुद्दों की उपेक्षा का चुप्पी साधे मतदता देख रहा तमाशा…

भोपाल, 23 अक्टूबर। मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव बेहद रोचक और कांटेदार हो गए हैं। यहां नेताओं को भी अंदाजा हो रहा है कि स्थिति किस तरह की निर्मित हो रही हे। राज्य की 28 विधानसभा सीटों के मतदाता चुप्पी साधे है। दलों की अभद्रता और जनहित में मुद्दों की उपेक्षा का तमाशा देख रहा है। मौन रहकर सबकुछ समझने और परखने वाला मतदाता आखिरी में अपना फैसला करेगा कि उसे किसके पक्ष में मतदान करना है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर दोनों ही दलों की हार-जीत किस पर टिकी है। मध्य प्रदेश उपचुनाव के रण में जीत का परचम लहराने के लिए दोनों ही पार्टियांं-भाजपा और कांग्रेस जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं, अगले महीने होने वाले उपचुनाव में भाजपा सरकारसे चौदह मंत्री मैदान में हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए यह चौदह मंत्री उपचुनावों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसी साल मार्च में भाजपा का दामन थामने वाले चौदह मंत्रियों को शिवराज मंत्रिमण्डल में शामिल किया गया था। सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, बदनावरसे राजवर्धनसिंह दत्तीगांव, सुवासरा से हरदीप सिंह डंग, दिमनी से गिरराज सिंह दंडोतिया, ग्वालियर से प्रद्मुनसिंह तोमर, डबरा से इमरती देवी, बमोरी से महेंद्र सिंह सिसोदिया, अनूपपुर से बिसाहूलाल सिंह, सांची से प्रभुराम चौधरी, सांवे से तुलसीराम सिलावट, सुमावली से एंदल सिंह कंसाना, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव, पोहरी से सुरेश धाकड़ को उपचुनाव में भाजपा ने अपना केंडिडेट बनाया है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने 25 मंत्रियों पर भरोसा जताते हुए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा था। मगर इनमें से तेरह को हार का सामना करना पड़ा था। केवल बारह मंत्री ही चुनाव जीत सकते थे। हारने वाले भाजपा सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया, ओमप्रकाश धुर्वे, रुस्तम सिंह, अर्चना चिटनीस, उमाशंकर गुप्ता, नारायण सिंह कुशवाहा, दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य, शरद जैन, ललिता यादव, बालकृष्ण पाटीदार के नाम शामिल हैं। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए तीन नवंबर को वोटिंग होगी और दस नवम्बर को चुनाव के नतीजे आएंगे। इसी दिन बिहार विधानसभा चुनाव का भी रिजल्ट घोषित होगा। प्रदेश में कांग्रेस गद्दारों और वफादारी पर ज्यादा जोर दे रहेहें। वहां यह फार्मूला कितना कारगार साबित होगा यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा। पर कांग्रेस को लगता है कि इससे उसे बहुत फायदा मिलने वाला है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…