आखिर गैंग रेप की घटनाएं कब रूकेगी?…
भरत मिश्र प्राची- देश में लगातार अमानवीय गैंग रैप, बलात्कार की अपराधिक घटनाएं बढ़ती हीं जा रही है जिसे कहीं न कहीं से राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा है। इस तरह की अपराधिक घटनाओं पर भारी विरोध के चलते अनेक अपराधियों को फांसी की सजा भी दी जा चुकी है फिर भी अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहा। देश एवं राज्य की सरकारें बार-बार बदलती रही पर इस दिशा में आज तक ऐसा कोई ठोस उपाय नहीं निकल सका जिससे इस तरह की घटित घटनाओं पर अंकुश लग सके। जब भी इस तरह की घटनाएं घटी, विपक्षी दलों द्वारा विरोध किये जाने का परिदृश्य हर बार सामने आया पर इस तरह की घटनाएं कभी घट न सके एवं इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वालों को राजनीतिक संरक्षण न किल सके, इस दिशा में कभी भी पक्ष विपक्ष में वैचारिक मंथन आज तक नहीं हो पाया। इस तरह की घटनाओं में शामिल कहीं न कहीं से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होते है जिन्हें राहत मिल जाती और घटनाएं बार -बार घटती रहती। जब घटना घअ जाती, राजनीति शुरू हो जाती पर कोई भी राजनीतिक दल इस तरह की घटनाओं में शामिल को राजनीतिक संरक्षण न मिल सके, इस दिशा में न तो कोई कदम उठाया, न विचार हीं किया। केवल आज तक राजनीति होती रही। इस तरह के परिवेश को देखने के लिये आजतक घटित घटनाओं के परिदृश्य पर नजर डालें जहां विरोध तो है पर इस तरह की घटनाएं भविष्ए में न घट सके, कोई सकरात्मक पहल नहीं। घटनाएं घटती रहती है, विरोध की राजनीति चलती रहती है, अपराधी पनाह पाता रहता है,। इस तरह के परिवेश में घटित अमानवीय अपराधिक घटनाओं को कैसे रोका जा सकता। विचारणीय मुद्दा है।
इस तरह की अपराधिक घटनाएं किसी कौम के साथ हो, निंदनीय एवं अमानीव कृत्य है जिससे जुड़े अपराधी पर दल एवं कौम की राजनीति नहीं होनी चाहिए। अपराध करने वाले किसी भी कौम के हो, उनका समाजिक बहिष्कार कर उसे दंड दिलाने में पूरी सहभागिता निभानी चाहिए। अपराधी को संरक्षण देने एवं बचाव करने वाले भी अपराध की श्रेणी में आते है। देश में बलात्कार की घटित घटनाएं पर एक नजर डालें तो इस दिशा में घटनाएं बढ़ती हीं नजर आ रही है। इस मामले में 14 अगस्त 2004 को पं. बंगााल के अलीपुर जेल में 14 वर्ष पूर्व 15 वर्षीय छात्रा के साथ किये बलात्कार मामलें पर घटित घटना को लेकर धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई तो 20 मार्च 2020 को 2012 में घटित निर्भया कांड में शामिल 4 अपराधियों को फांसी दी गई। फिर भी इस दिशा में न तो चेतना जगी न अपराधियों में अपराध को लेकर भय। इस तरह के मामले को लेकर देश में अनेक मुकादमें दर्ज है जिसमें कुछ तो जेल की हवा खा रहे तो कुछ राजनीतिक लाभ लेकर खुले घूम रहे है। उनके चेहरे पर न तो शिकन है न लाज शर्म। इस तरह के मामले को लेकर जम्मू कश्मीर के कठुआ, राजस्थान के बारां, उत्तर प्रदेश के उन्नाव, बलरामपुर एवं विशेष रूप से हथरस की घटनाएं देशभर मे चर्चा का केन्द्रबिन्दु बनी हुई है। जिसे लेकर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष में नोंक झोंक देखने को मिल रही है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसे कौम की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। इस तरह की रेप गैंग रेप की घटनाए अमानवीय एवं देश व समाज को कलंकित करने वाली है जिसपर राजनीति करने एवं सरंक्षण देने के वजाय रोक प्रक्रिया पर विचार करना चाहिए। इस तरह की घटनाओं से जुड़े लोगों को किसी भी तरह का संरक्षण न मिले एवं सामाजिक बहिष्कार के साथ कठोर दंड का प्रावधान पर अमल हो तभी इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता। आज देश के सामने इस तरह की घटनाओं को लेकर यक्ष प्रश्न खड़ा है आखिर कब तक इससे निजात मिलेगी?
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…