क्या बालू पर छापे मार कार्यवाही,डीएम बंसल पर पड़ी भारी ?

क्या बालू पर छापे मार कार्यवाही,डीएम बंसल पर पड़ी भारी ?

बांदा।वैसे तो स्थानांतरण होना नौकरी में एक सामान्य प्रक्रिया है, पर बांदा जिला अधिकारी अमित बंसल के स्थानांतरण के पीछे बालू माफियाओं के सरकार पर वर्चस्व की भी कहांनी को रफ्ता-रफ्ता रफ्तार के रूप में बयां कर रही है। न काहू से दोस्ती न काहू से बैर, कुछ इसी तर्ज पर जिला चला रहे थे बांदा से स्थानांतरित किए गये जिला अधिकारी अमित सिंह बंसल। पर समय पहिया घूमा और केवल साढ़े छह माह ही बांदा में वह टिक पाये की अकस्मात उनका स्थानांतरण कर दिया गया। आम चरचा जनमानस में यही है की पांच दिन पूर्व डीएम ने बालू व्यवसाय से जुड़े एक नेता सहित कई परमिट एंव लाइसेंसधारियों की डंप बालू के अड्डों पर छापेमार कार्रवाई की थी। उनका ‘स्टंप’ उखड़ने का क्या यह कारण तो नहीं ?
आपको बता दें की अमित बंसल ने इसी वर्ष 22 फरवरी को बांदा में चार्ज ग्रहण किया था। मार्च से कोरोना का कहर टूट पड़ा। सारे प्रशासनिक कार्य और योजनाएं लगभग ठप हो गए। इधर, सितंबर में अमित बंसल ने डंप बालू के कई स्थानों का खुद निरीक्षण किया। चार दिन पूर्व गिरवां थाना क्षेत्र में पाया कि मुख्य मार्ग से 50 मीटर दूरी के बजाय नियम विरुद्ध 19 मीटर दूरी पर डंप किया गया है।
सीसी कैमरे और विक्रय रेट बोर्ड नहीं लगा था। मौके पर कोई अभिलेख नहीं मिले। यह डंप एक जिला स्तरीय नेता का बताया गया। इसी दिन डीएम ने तिंदवारा में डंप 1240 घन मीटर बालू की भी जांच के आदेश डिप्टी कलक्टर व खनन अधिकारी को दिए थे। अगले दिन 10 सितंबर को मटौंध थाना क्षेत्र के चिलाहटा गांव में खेत में 566 घन मीटर बालू का अवैध डंप मिला।
नरैनी क्षेत्र के रेसौरा गांव में निर्धारित मात्रा से अधिक डंप बालू पाई गई। उसी रात अफसरों के साथ बांदा शहर में 20 ओवरलोड ट्रक भी पकड़ाए। बालू कारोबारियों और माफिया पर चार दिनों के अंदर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद डीएम के तबादले को इस नजरिए से भी कुछ लोग देख रहे हैं। हालांकि शासन ने अमित बंसल का जलवा बरकरार रखा है। अब उन्हें जिलाधिकारी के रूप में ही मऊ जिले की कमान सौप दी गई है।

पत्रकार शरद मिश्रा की रिपोर्ट…