रिक्शा चोरी मामले में पीड़ित को गुमराह कर फर्जी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पोर्टल पर भेजी…

रिक्शा चोरी मामले में पीड़ित को गुमराह कर फर्जी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पोर्टल पर भेजी…

रतनलाल नगर चौकी इंचार्ज पर अन्य केसों में भी लापरवाही का आरोप, किये गए लाइन हाजिर…

कानपुर। पुलिस के सिस्टम को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी व आला अधिकारी चाहे जितनी कोशिश कर लें लेकिन शहर के चौकियों में पदस्थ दरोगा व सिपाहियों की शिकायत कर्ताओं के पक्ष में की गई लापरवाही व पीड़ित को बार बार गुमराह कर जांच और कार्यवाही का झूठा आश्वासन देना पुलिस की बदनामी का कारण तो बनता ही है साथ ही पीड़ित को न्याय में विलम्ब एवं पुलिस पर अविश्वसनीयता का भी सबसे बड़ा कारण है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दबौली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं सिविल डिफेंस वार्डन कान्ति शरण निगम का एक ई रिक्शा UP78 DT 9422 फ़रवरी 2020 में गुजैनी बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चोरी कर लिया गया था, जिस पर तत्कालीन एस पी साउथ अपर्णा गुप्ता के निर्देश पर थाना गोविंद नगर में मुकदमा संख्या 42/20 दर्ज किया गया पर विवेचना अधिकारी के रूप में जो भी दरोगा को ये केस दिया गया उन्होंने पीड़ित से सारी जानकारी लेने के बाद भी वाहन बरामदगी और चोरों को पकड़ने का कोई प्रयास नहीं किया।
जबकि स्वयं पीड़ित द्वारा शहर में ई रिक्शा चोरों को पकड़ने का अभियान एक एन जी ओ की मदद से चलाया गया और कई महत्वपूर्ण जानकारियां पुलिस से साझा की गई लेकिन पुलिस की लापरवाही से इसका असर पीड़ित को न्याय दिलाने में कारगर सिद्ध न हो सका और पीड़ित के ही निजी खर्च से वाहन को खोजने में की गई सारी मेहनत बेकार हो गई और पैसे ख़तम होने पर वो दर दर भटकने को मजबूर हो गया।
इससे आहत हो आठ महीने बीत जाने पर पीड़ित द्वारा मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करते हुए न्याय की गुहार लगाई पर वहां से भी जांच थाना गोविंद नगर ही भेजी गई जिस पर शुरू से दर्ज केसों में विवेचना के नाम पर हमेशा लापरवाही बरतने वाले दरोगा मनोज कुमार भाटी ने जनसुनवाई पर आख्या भेज दी कि इस केस में 18 अगस्त 2020 को अंतिम रिपोर्ट संख्या 51 न्यायालय में भेज दी गई है और पुलिस कार्रवाई की कोई आवश्यकता नहीं है।
वरिष्ठ अधिकारियों से पीड़ितो की शिकायत के आधार पर जांच में रतनलाल नगर चौकी इंचार्ज मनोज कुमार भाटी को अन्य केसों में भी विवेचना में लापरवाही बरतने में दोषी पाया गया और डी आई जी प्रीतिंदर सिंह ने दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया लेकिन पीड़ितो को गुमराह करने वाले और अपने पद का दुरूप्रयोग कर शासन को झूठी रिपोर्ट प्रेषित करने वाले पुलिस कर्मियों पर कोई भी मुकदमा आखिर दर्ज कर कारवाई क्यों नहीं की जाती ये एक बड़ा सवाल है।
पुलिसिया तंत्र में भ्रष्टाचार के कारण आदमी को दर दर ठोकर खाने पर मजबूर करने के जिम्मेदारों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं..?
क्या ऐसे ही स्मार्ट सिटी की परिकल्पना को साकार करेगी यू पी सरकार..?

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…