लखनऊ में करोड़ों रूपये की सरकारी भूमि पर कब्ज़ा…

लखनऊ में करोड़ों रूपये की सरकारी भूमि पर कब्ज़ा…

लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में करोड़ों रूपये की सरकारी भूमि पर कब्ज़ा हो चुका है। लखनऊ विकास प्राधिकरण,लखनऊ नगर निगम ,जिला एवम पुलिस प्रशासन इन कब्ज़ों पर पता नहीं क्यों चुप्पी साधे है?  यह बेशकीमती जमीनें ट्रांस गोमती के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के करीब से लेकर माननीय उच्च न्यायालय इलाहबाद की लखनऊ खंड पीठ तक सर्विस लेन पर कब्ज़ा की जा चुकीं है। इंदिरा नगर ,जानकीपुरम ,सीतापुर रोड पर खदरी व भिटौली बक्शी का तालाब तक सरकारी भूमि पर कब्ज़ा हो चुका है।
सरकारी भूमि पर कब्ज़े का यह अभियान सिर्फ यहाँ तक सीमित नहीं रहा है। लखनऊ के तेलीबाग,पारा में यही खेल जारी है। इतना ही नबीउल्लाह रोड़ पर आज भी सरकारी की भूमि कई बास बल्ली की दुकानें कायम हैं।

बांस मंडी का इतिहास
1971 में टैगोर मार्ग (अब मनकामेश्वर मंदिर मार्ग ) से बांस मंडी को नबी उल्लाह रोड़ पर बसाया गया। जहाँ 1985 तक बांस मंडी रही। तत्कालीन सरकार ने बांस मंडी के स्थान पर विधायक निवास बनाये जाने का प्रस्ताव पेश किया। जिसका तब के जुझारू नेता डीपी बोरा ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। तत्कालीन सरकार ने बांस मंडी के स्थान पर विधायक निवास बनाये जाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया। बांस मंडी के स्थान पर सूरज कुंड विकसित किये जाने व इंदिरा गाँधी के नाम पर तारा मंडल व जजेज़ कॉलोनी बनाये जाने को मंजूरी दे दी। बांस मंडी के सभी दुकानदारों को जहाँ आज पुलिस ऑफिस है वो स्थान दिया गया। साल 2003 में नबी उल्लाह रोड स्तिथ बासमण्डी को पु:न यहाँ हटाया गया। अब वो जमीन पुलिस ऑफिस के निर्माण के लिए दे दी गयी। शेष भूमि पर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए छोड़ दी गयी। पुलिस ऑफिस का निर्माण समय से हो गया था। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए छोडी गयी भूमि पर कब्ज़े होते चले गए। फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्माण पता नहीं क्यों टल गया।
संजय गुप्ता अध्यक्ष आदर्श व्यापार मंडल लखनऊ का कहना है की साल  2003 में आदर्श व्यापार मंडल के बैनर तले 26 दुकानदारों को जो कि नबी उल्लाह रोड बास मंडी के विस्थापित थे को शासन से बातचीत कर केशव नगर व मड़ियांव सीतापुर रोड़ पर बसाया गया था।

यह कब्ज़े पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे हैं। करोड़ों रूपये की भूमि कब्ज़े दारों के पास। इस पर तुर्रा यह एक पुलिस ऑफिस है दूसरी पुलिस चौकी रिवर बैंक कॉलोनी है। किसी को भी यहाँ कब्जे नहीं दिखते ।

लखनऊ में रिज़वान अहमद सिद्दीकी पूर्व अध्यक्ष आदर्श बांस बल्ली व्यापार मंडल लखनऊ का कहना है “लखनऊ में सिर्फ बांस बल्ली की 26 दुकानें ही “वैध” है जिन्हें लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा साल 2003 में केशव नगर व मड़ियांव सीतापुर रोड़ पर बसाया गया था।
जब यह संवाददाता इस मामले की तह में गया तो पता चला की की जिन लोगों ने लखनऊ ने करोड़ों रुपये की सरकारी भूमि पर कब्ज़ा किये है व सभी पूर्वचंल के एक ज़िले से हैं और एक ही बिरादरी से है। जारी है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…