हृदय नारायण दीक्षित ने आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर कहा कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाॅंधी द्वारा अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए संविधान का दुरूपयोग किया…
लखनऊ 24 जून। विधान सभा, उ0प्र0 हृदय नारायण दीक्षित ने आपातकाल के 45वें वर्ष की पूर्व संध्या पर कहा कि यह तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाॅंधी द्वारा अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए संविधान का दुरूपयोग किया गया था। श्रीमती गाॅंधी को यह प्रेरणा हिटलर द्वारा 1933 में जर्मनी में लगायी गई इमरजेंसी से प्राप्त हुई थी। भारत में लगाये गये आपातकाल के समय विचार स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया था। प्रेस के साथ उत्पीड़न हुआ था। समूचे देश में पुलिस राज था। हजारों लोग जेल में डाल दिये गये। पुलिस ने बहुत लोगों का अंग-भंग कर दिया। तानाशाही का नंगा नाच लगभग पौने दो साल रहा।
अध्यक्ष विधान सभा ने अपने रोचक अनुभव साझा करते हुये कहा कि वह पूरे आपातकाल उन्नाव जेल में रहे। उन्होंने अपना अनुभव सुनाते हुये कहा कि इसी अवधि में लोकसभा के चुनाव हुए। चुनाव नतीजे आकाशवाणी पर सुनने के लिए उनके पास एक छोटा ट्रांजिस्टर था। रात के 03 बजे जेलर आया उसने उन्हें बहुत डांटा, अपशब्द कहे। 5ः30 बजे प्रधानमंत्री श्रीमती गाॅंधी ने इस्तीफा दिया। 6ः30 बजे जेलर फिर आया उसने कहा कि सबको बधाई हो। आपकी सरकार बनने जा रही है। मैं 1ः30 घण्टे के भीतर ही अबे से मान्यवर हो गया था। उन्होंने आपातकाल का पूरा नंगा नाच देखा। आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय है। संविधान की अवमानना हुई थी।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…