दिखाई भले ही न दे,पर शामिल जरूर होता है खुदखुशी करने वाले का भी कोई क़ातिल जरूर होता होता है कोमल चौहान…
कोरोना वायरस अपने साथ सिर्फ महामारी ही नहीं लाया,इसके साथ आर्थिक और…
मानसिक स्वास्थ्य संकट भी उत्पन होने का खतरा बनता जा रहा है…
मथुरा हॉल ही में हुई घटनाएं और सुशांत सिंह राजपूत जैसे सफल अभिनेता की आत्महत्या की घटना ये सन्देश देती है की अगर तनाव और अवसाद के लिए समय रहते प्रयत्न नहीं किये गए तो ये कोरोना से भी बड़ी समस्या साबित हो सकती है ।।
आज के दौर में सभी अपनी अपनी तरह से समस्याओं और परेशानियों का सामना कर रहे हैं और ऐसे में कई बार अपने आस पास, सगे-संबधी या दोस्तों की समस्या पर इतना गौर नहीं कर पाते जैसे आर्थिक और पारिवारिक समस्यों से इंसान की जिंदगी में जो तनाव उत्पन्न होते हैं उसका तो समाधान अक्सर इतना आसान नहीं होता और ऐसे में आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं| इसको ऐसे कह सकते हैं की आज कल के दौर में जिंदगी सस्ती और बाकी सब कुछ महंगा हो चुका है। तनाव के समय में अगर एक ऐसा दोस्त / जानकार हो जो परेशानी सुन कर सही दिशा में जागरुक कर सकें तो आत्महत्या की घटनाओं पर कुछ अंकुश जरूर लगेगा। इसी तरह के लोगो को अवसाद से निकालने ,उनके लिए एक दोस्त का कार्य करने के लिए पुरे भारत में “एस्प्कॉम एक्सील फाउंडेशन (AKEF) आगे आई है और इस संस्था के द्वारा व्हाट्सप्प हेल्पलाइन नंबर +918100099998 जारी किया गया है और संस्था के चेयरमैन आशू गौड़, अध्यक्ष कोमल चौहान एवं राजस्थान सह -सचिव नरेश सोनी तनाव नियंत्रण के इस उद्देश्य का संरंक्षण कर रहे हैं । इस अभियान को उन राज्यों और जिले में किया जाएगा जहा संस्था के 100 से ज्यादा सदस्य होंगे ताकि लोगों को मोटीवेट करने के लिए समय की समस्या ना बने। संस्था के चेयरमैन आशू गौड़ ने बताया की हम इसको वर्कशॉप या सेमिनार के माध्यम से ना बढ़ा कर एक अलग रणनीति के अनुसार लोगों को जागरूक करेंगे क्यूंकि वर्कशॉप में जान संपर्क होना संभव नहीं हो पाटा और तनाव या आत्महत्या नियंत्रण का पहला कदम ही है की तनाव पीड़ित से संपर्क और बातचीत संभव हो सके। इस आत्महत्या रोकथाम के अभियान को उत्तर प्रदेश से मथुरा जिले और राजस्थान से टोंक जिले से जून में शुरू किया जाएगा और जहाँ मथुरा में इसको खुद संस्था की अध्यक्ष कोमल चौहान देख रही हैं, टोंक से नरेश सोनी और टोंक जिले के प्रमुख सयोजक राजकुमार मित्तल इसका नेत्तृत्व कर रहे हैं।
इनका प्रमुख उद्देश्य लोगो को आत्महत्या से रोकना है । ताकि कभी कोई किसी अवसाद, किसी दूसरी वजह से आत्महत्या की की सोचते है या करने की कोशिश करते है । ऐसे लोगो को अवसाद व् तनाव की स्थिति में ही मोटीवेट कर के आत्महत्या जैसे विचारों से रोका जा सके। आजकल देखा हमने आत्महत्या करके लोग जिंदगी में समस्यओं से भाग रहे है समस्याओं से भागे नहीं समस्यओं में भाग ले समस्या एक दिन ख़ुद भाग जाएगी
आत्महत्या नहीं समस्याओं का हल
जीत जायेंगे हम आज नही तो कल
यकीं रखों खुद पर जीत हम जाएंगे
हम आईना नहीं यहाँ जो टूट जाएंगे
माना कि समस्याओ ने आ घेरा होगा
दर्द दिल का सहकर हम मुस्कुराएंगे
है ज़रा सी उम्मीद बाकी इस दिल को
तिनका मिला तो उतर सागर में जाएंगे
ऐसा कोई मसअला नहीं जो सुलझे ना
जमाना में यह मसअले तो सर उठाएंगे
अंधेरी जिंदगी की राहों में साथी हम भी जुगुनू बन अंधेरे को हम आज हरायाएँगे बस हाथ बढ़ाया मुसीबतों में तेरे लिए यूँ इक कदम तुम तो बड़ो एक हम बढाएंगे दर्द दिल की दवा बस दुआ ठहरी हौसला बढ़ाने को ग़ज़ल यही गुनगुणाएंगे गुलाब सी फ़ितरत रखी जमाने मे हमने यूँ
कांटों में पैदा हुआ मगर खुशबू ही लुटाएँगे
अशोक सपड़ा सदस्य, एस्प्कोम ऐक्सिल फाउंडेशन ।।
संवाददाता अमित गोस्वामी की रिपोर्ट…