पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा 5 जून 2020 ‘पर्यावरण दिवस’ पर समाजवादी पार्टी मुख्यालय लखनऊ के प्रांगण में पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के 16 फिट ऊंचे दो पारिजात वृक्ष लगाए…

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा 5 जून 2020 ‘पर्यावरण दिवस’ पर समाजवादी पार्टी मुख्यालय लखनऊ के प्रांगण में पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के 16 फिट ऊंचे दो पारिजात वृक्ष लगाए…

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लखनऊ 5 जून। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा 5 जून 2020 ‘पर्यावरण दिवस’ पर समाजवादी पार्टी मुख्यालय लखनऊ के प्रांगण में पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के 16 फिट ऊंचे दो पारिजात वृक्ष लगाए गए। इस वृक्ष में सफेद रंग का फूल होता है जो सूखने पर सुनहरे रंग का हो जाता है। वृक्षारोपण के अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल तथा एसआरएस यादव एमएलसी भी मौजूद थे।
अखिलेश यादव ने पारिजात के वृक्षारोपण के पश्चात कहा कि मानव जब तक वृक्षों के प्रति संवेदनशील नहीं होगा तब तक प्रदूषण से मुक्ति नहीं मिल सकती है। मानवता के लिए पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार से यह आशा नहीं की जा सकती है कि वह प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाएगी। समाज में तमाम तरह के प्रदूषण फैलाने के लिए भाजपा ही जिम्मेदार है।
श्री यादव ने कहा कि पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़े रखना भाजपा का प्रिय एजेण्डा है। इसे वह हथियार की तरह राजनीति में इस्तेमाल करती है। भाजपा ने पिछले वर्षों में वृक्षारोपण का दिखावा भर किया, उनकी संख्या मुख्यमंत्री जी के दिव्य अंकगणित की भेंट चढ़ गई। कितने वृक्ष लगे और कितने जीवित बचे, इसका कहीं ब्यौरा उपलब्ध नहीं है।
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार के कार्यकाल में करोड़ों की संख्या में व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाए गए थे। वे तमाम वृक्ष इसलिए जीवित बचे हुए हैं क्योंकि उनका रखरखाव बाद तक किया गया। समाजवादी सरकार में वन क्षेत्र का विस्तार हुआ था। लखनऊ के गोमतीनगर में स्थित डाॅ0 राममनोहर लोहिया पार्क और 400 एकड़ जमीन पर बना जनेश्वर मिश्र पार्क में देशी-विदेशी वृक्षों के साथ सुंदर फूलों की क्यारियां भी है जहां प्रातः सायं बड़ी भीड़ जुटती है। यह एशिया का सबसे बड़ा पार्क है। लखनऊ में गोमती के दोनों तटों का सौंदर्यीकरण हुआ, इसके रिवरफ्रंट की अलग शान है। देश का सबसे लम्बा ग्रीनफील्ड आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे भी समाजवादी सरकार की देन है।
समाजवादी पार्टी और सरकार पर्यावरण के प्रति प्रारम्भ से ही गम्भीर और सजग थी। इसलिए उसके कार्यकाल में ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण संरक्षण के काम किए गए। पहले वृक्षारोपण में 5 फिट ऊंचे पेड़ लगाए जाते थे जबकि समाजवादी सरकार ने 16 फिट के वृक्षों का रोपण शुरू कराया। नदियों की सफाई के साथ तालाबों के सौंदर्यीकरण पर भी विशेष ध्यान दिया गया। बुन्देलखण्ड में एक दिन में 5 करोड़ वृक्षारोपण का रिकार्ड गिनीज बुक में दर्ज है। दुधवा नेशनल पार्क में गेस्टहाउस एवं कैन्टीन बनी। चरखारी महोबा सहित बुन्देलखण्ड में 100 तालाबों का जीर्णोद्धार और 7300 किलोमीटर नहरों का निर्माण हुआ। कन्नौज के लाख बहोसी पक्षी विहार का सुंदरीकरण हुआ।
2015-16 में अंतर्राष्ट्रीय पक्षी महोत्सव मनाने के अलावा मथुरा वृंदावन के घाटों का बिस्तार और लखनऊ के कुकरैल क्षेत्र में जैवविविधता तथा पर्यटन केन्द्र बना। बटेश्वर घाट, वाराणसी वरूणा नदी कोरिडोर योजना, बहराइच में कतर्निया घाट, इटावा में लाॅयन एण्ड एनिमल सफारी, गोरखपुर के रामगढ़ तालाब का सौंदर्यीकरण, अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग में धार्मिक और छायादार वृक्षों का रोपण और कानपुर तथा लखनऊ के प्राणिउद्यान में टाॅयट्रेन चलाने के कार्य भी समाजवादी सरकार में हुए।
समाजवादी सरकार में पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण कार्य साइकिल ट्रैक के निर्माण का था। साइकिल विश्व में परिवहन का एक ऐसा साधन है जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच रखता है। ये मानवीय विकास एवं प्रगति के इतिहास में पर्यावरण के साथ सौहार्द बनाए रखते हुए आगे बढ़ते रहने का दर्शन भी है। समाजवादी सरकार में प्रदेश के प्रत्येक जिले में साइकिल यात्रियों की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए साइकिल ट्रैक निर्मित किए गए थे। भाजपा सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से साइकिल टैªक ही खत्म कर दिए। नोएडा, लखनऊ में शानदार साइकिल ट्रैक और इटावा से आगरा वाया बटेश्वर तक एशिया का पहला साइकिल हाइवे बना था, जिनका अब अतापता नहीं है। समाजवादी सरकार में साइकिल ट्रैक, जांगिंग ट्रैक, वाकिंग ट्रैक, किड्स प्ले एरिया के साथ-साथ 500 मीटर पर पेयजल, टाॅयलेट और पार्किंग की व्यवस्था भी की गई थी।
भाजपा सरकार के रहते आज पर्यावरण दिवस और गत दिवस मनाए गए साइकिल दिवस पर जनता को यह शर्मनाक तोहफा मिला है कि प्रदेश की प्रसिद्ध एटलस साइकिल कम्पनी ने अपना उत्पादन बंद कर कर्मचारियों को बाहर कर दिया। हजारों मजदूरों के सामने आजीविका का गम्भीर संकट हो गया है। ये बेचारे गरीब कहां जाएंगे? भाजपा की गलत नीतियों से एक और बंदी शुरू हो गई है। एक भी उद्योग लगा नहीं, जो लगे थे वे भी अब अपने यहां तालाबंदी करने जा रहे हैं। क्या भाजपा के पर्यावरण संरक्षण का यही माॅडल है?

“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट…