सात समंदर पार पहुंची काशी के काव्य-रस गोष्ठी की खुशबू…

सात समंदर पार पहुंची काशी के काव्य-रस गोष्ठी की खुशबू…

वाराणसी15 मई। सोशल मीडिया के जरिये काशी में ऑनलाइन हो रही काव्य-रस गोष्ठी की खुशबू सात समंदर पार जा पहुंची हैं। काव्य-रस गोष्ठी की आयोजक प्रमिला देवी फाउंडेशन की अध्यक्ष पायल लक्ष्मी सोनी ने बताया ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न से प्रशसंक स्मृति कार्तिक ने उन्हें कॉल करके बधाई संदेश दिया। स्मृति के अलावा भी कई साहित्य प्रेमी सात समंदर पार बैठे काशी से बहती काव्य-रस की धारा में गोते लगा रहे हैं।
वहीं काव्य-रस गोष्ठी की तीसरी निशा में श्रुति गुप्ता ने अपनी रचना ‘जाने कब से खोल रही हूँ मन के उलझे तारों को, बहने से भी रोक न पाती सजल नयन के धारों को।’ सुना समां बांधा।
नागेश शांडिल्य ने अपनी रचना ‘मरने पर बाजा बजता है, आकर देखो काशी में’ पढ़कर काशी की गहराई को छूने का प्रयास किया।
डॉ. लियाकत अली ने ‘इस दौर में उस दौर की स्याही नहीं मिलती, जो मर्ज आज कल है दवाई नहीं मिलती।’ सुनाकर कोरोना महामारी के भयावह स्थिति को बताया।
प्रज्ञा श्रीवास्तव ने अपनी रचना ‘एक अजनबी मुसाफिर से हमारी युं मुलाकात हुई, धीरे से उसके आहटों ने दिल में हलचल मचा दिया’ सुनाकर युवाओं के मन को टटोलने की कोशिश की।
श्रुति गुप्ता (लखनऊ) ने भी युवाओं को समर्पित अपनी रचना ‘जाने कब से खोल रही हूँ, मन के उलझे तारों को’ सुनाया। रचनाकार प्रिया सिंह की गजल ‘हर जनम में सनम हम तुम्हारे रहें, जानो दिल जान तुम पर ही वारे रहें।’ को विशेष प्रशंसा मिली।
स्मृति कार्तिक ने प्रमिलादेवी फॉउंडेशन के अध्यक्ष पायल सोनी को अपना यह संदेश भेजा। “अपनी मम्मी को फेसबुक पर लाइव कविता पढ़ते देख कितना सुखद अहसास हुआ।मैं बता नहीं सकती।मां का नाम मंजरी पांडेय है। वैसे इसके पहले भी मंचों पर मम्मी को पढ़ते देखा है । पर  अभी कोरोना और लाकडाउन ने जो संकट पैदा कर दिया जिसके  कारण भारत आने की और घूमने फिरने की हमलोगो को अपनी  योजना  कैन्सिल करनी पड़ी । ऐसे में मम्मी को घर से काव्यपाठ करते देख कर अत्यंत प्रसन्नता हुई   ।मम्मी स्वस्थ और प्रसन्न है तथा नयी तकनीकियों का कितना प्रयोग कर रही है  ये देख गर्व भी हुआ। प्रमिला देवी फाउंडेशन को  तथा  पायल जी को बहुत बहुत बधाई।

“हिंद वतन समाचार” की रिपोर्ट…