कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे…

कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे…

– महेंद्र पाल (संयोजक शेफ़र्ड फैमिली ट्रस्ट एवम राष्ट्रीय गूंज ngo)

यह बहुत ही पुरानी कहावत है, कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे , और यह आज के परिवेश में भारतिय नागरिको के लिए बहुत ही सटीक भी है, वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव का बस एक ही तरीका है अनुशाशन , लेकिन भारतिय नागरिक इस बात को ही नजरअंदाज कर रहे है ,

बहुत से लोगो के समक्ष यह बहुत ही प्रमाणिक स्तिथि है कि वे अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कैसे करे, उनके सामने अपने परिवार का पालन पोषण करना एक पहाड़ के तरह उनके समक्ष है, उनके सामने राशन से लेकर पैसे तक कि दिक्कत है, परन्तु जब हमसब किसी वैश्विक महामारी का सामना करते है तब इन परेशानियों से गुजरना ही होता है

हमसब को यह समझना होगा और यह आत्मसात करना होगा कि इस समय भारत एक जंग लड़ रहा है, और हर भारतीय एक सैनिक है, हमसब ने बहुत से फिल्मों में देखा है, की कैसे एक सिपाही अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने परिवार से दूर, भूख प्यास से तड़पता है, कैसे वह इन सब कठिनाइयों के बावजूद भी अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना तन मन दोनो दावँ पर लगाते है, तो उनके सामने तो अपनी परिस्तिति बहुत ही सुदृढ है, हमसब अपने घरों में है, अपने परिवार के साथ है, सिर्फ हमसब को सरकार द्वारा सुझाये कुछ कायदों का पालन करना है, और वह भी क्या है तो अनुशाशन में रहना है, बिना किसी अतिआवश्यक काम के अपने घर से बाहर नही आना है, अगर हमसब इस अनुशाशन का पालन कुछ दिनों तक पूर्ण ईमानदारी से कर गए तो इस कोरोनो जंग में जीत अपनी होगी, मानवता की होगी

लेकिन इसमे भी कुछ लोग बाधा उतपन्न करते है, सस्ती लोकप्रियता के लिए अफवा फैलाते है, इसी अफवा या अपूर्ण खबर फैलाई गई जिसका खामियाजा महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कलवा एवम मुंबई के बांद्रा इलाके में 800 से 1000 लोगो को कानूनी कार्यवाही एवम पुलिस के डंडे खाकर उठाना पड़ा, और यह सब किस लिए सिर्फ सस्ती लोकप्रियता, बेहूदी राजनीति के चक्कर मे,और जिन्होंने भी यह किया मजबूर लोगो की भावना से खेला उसे मानवता कभी माफ नही करेगी

इस वक्त हर मजबूर इंसान एक आग के ढेर पर बैठा है, जिसे सिर्फ एक चिंगारी आग का गोला बना देगा , जहाँ एक तरफ सरकार, सच्चे मानव, और सच्चे समाजसेवी संस्थाए ऐसे मजबूर नागरिको को हर प्रकार सहायता फिर वो उनके खाने पीने की व्यवस्था, राशन की व्यवस्था से लेकर उनको रहने की सुविधा भी उपलब्ध करवा रही है, वही ये मानवता के दुश्मन सिर्फ उनके भावना के साथ खिलवाड़ कर सिर्फ राजनीति कर रहे है

इन लोगो का सिर्फ एक ही धर्म है और वह है कि लोगो की भावना से खेलते हुए सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हाशिल करना
यही हाल कुछ संजसेवको का भी है, ये लोग मजबूर लोगो को मदद करने के बहाने सिर्फ अपना उल्लू साधना चाहते है, ये लोग सिर्फ किसी ना किसी बहाने मीडिया में बने रहना चाहते है, इसीलिए अनेक राज्य सरकारों को मजबूर लोगो को मदद करते समय तस्वीरे लेने और उन्हें प्रसारित करने पर कानून रोक लगानी पड़ी, क्योकि इस सेल्फी मुहिम से जो मजबूर इंसान थे उनके स्वाभिमान का मजाक बनाया जा रहा था, और जिन राज्यो में यह सेल्फी कानून बंद की गई वहाँ समाजसेवियों में गिरावट देखने को मिल रही है
यह भी सत्य है कि चालों में रहने वाले, झुग्गी में रहने वालो के समक्ष अपने घरों में रहना दुर्भर हो रहा है, क्योकि गर्मी के इस मौसम में जहाँ उनके घरों में सूर्य की रोशनी का पहुँचना भी नामुमकिन है, वहाँ 24 घटे और अब तो कई हफ्ते घरों में रहना मुश्किल है, फिर भी वे सब एक सच्चे सिपाही की तरफ लड़ रहे है, अनुशाशन का पालन कर रहे है,

तो अब हर नागरिक को भी अनुशाशन के साथ ही सतर्क भी रहना होगा और बिना अधिकृत सूचना या पूर्ण खबर को जाने किसी भी अफवा पर विश्वास नही करना है, हर सच्चे समाजसेवक को भी मानवता को शर्मशार ना करते हुए सिर्फ और सिर्फ जो सही खबर हो वही जनता तक पहुँचाना चाहिए

तो इस वैश्विक महामारी से जितने में भारत वर्ष का साथ दें और अनुशाशन से अपने घरों में रहे, स्वस्थ रहे.

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…